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केजरीवाल सरकार के स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में सात कोरोना योद्धाओं को विशेष आमंत्रण

नई दिल्ली : अरविंद केजरीवाल सरकार ने कोरोना महामारी में अपनी जान की बाजी लगा कर लोगों की सेवा कर रहे सात कोरोना योद्धाओं को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कल दिल्ली सचिवालय में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में विशेष रूप से आमंत्रित किया है। विशेष आमंत्रण में शामिल प्रशासनिक, चिकित्सा, नर्सिंग, पुलिस, सिविल डिफेंस और सफाई व्यवस्था के क्षेत्र में काम करने वाले यह कोरोना योद्धा अपनी जान जोखिम में डाल कर कोरोना से प्रभावित लोगों की सेवा कर रहे हैं। इनके मेहनत, लगत और समर्पण की बदौलत ही प्रभावित लोगों को समय पर इलाज, खाना और अन्य राहत सामग्री मुहैया कराई जा सकी और दिल्ली माँडल की पूरी दुनिया में पहचान बनी। दिल्ली सरकार ने कोरोना संकट में विशेष योगदान दे रहे न कोरोना योद्धाओं के कार्य से प्रभावित होकर स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में विशेष आमंत्रित किया है। कल आयोजित होने वाले कार्यक्रम के दौरान यह कोरोना योद्धा अपने-अपने क्षेत्र में काम करने वाले लोगों का प्रतिनिधित्व करेंगे। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने हमें कोरोना योद्धा का खिताब देकर काफी सम्मान दिया है.

राजीव सिंह परिहार, एडीएम (सेंट्रल)

राजीव सिंह परिहार सेंट्रल जिले के एडीएम हैं और कोविड ड्यूटी के दौरान नोडल अधिकारी थे। उन्होंने कहा, ‘एडीएम एक जिले के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सीईओ होता है, और कोरोना लॉकडाउन के दौरान, मैं बसों और ट्रेनों के माध्यम से अन्य राज्यों के प्रवासियों की आवाजाही की जिम्मेदारी संभाल रहा था। मैं प्रवासियों को हंगर रिलीफ सेंटर के लिए स्थानांतरित करने की जिम्मेदारी भी संभाल रहा था और मैं हंगर राहत केंद्र वहां रहने वाले प्रवासियों को भोजन और अन्य सभी सुविधाएं मुहैया कराने की देखरेख करता था। इस कार्य में कई तरह की चुनौतियां थीं, लेकिन मुझे खुशी है कि मैं पूरे ऑपरेशन का हिस्सा बना। यह एक टीम प्रयास था और मैं खुश हूं कि हमारे सामूहिक प्रयासों का अच्छा परिणाम रहा।

डॉ. हिरदेश कुमार, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, राजीव गांधी स्पेशल हॉस्पिटल

डॉ. हिरदेश कुमार द्वारका के रहने वाले हैं और 2 दिनों के लिए राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में कोविड ड्यूटी पर तैनात थे। ड्यूटी के दौरान, उन्हें आरजीएसएसएच में फ्लू और जांच क्लिनिक का प्रभारी बनाया गया था। उन्होंने कहा, ‘मैं राजीव गांधी अस्पताल में डायवर्टेड पोस्टिंग पर था। मैं आचार्य भिक्षु अस्पताल में पूर्णकालिक डॉक्टर हूं, जो एक गैर-कोविड अस्पताल है। मैं डायग्नोस्टिस्ट अनुभाग में तैनात था। मैं प्रतिदिन 60-70 मरीजों की जांच किया। मैं मरीजों की देखरेख करता था कि उन्हें कोरोना जांच की आवश्यकता है या नहीं और यदि उन्हें कोरोना जांच की आवश्यकता है, तो उनकी जांच उसी दिन किए गए। अगले दिन, मैं मरीजों को इस बात पर मार्गदर्शन और परामर्श देता था कि क्या उन्हें होम आइसोलेशन में अलग-थलग रहना है या अस्पताल में भर्ती होना चाहिए.

डॉ. हिरदेश ने कहा कि आरजीएसएसएच में ड्यूटी के दौरान वह अपने घर द्वारका नहीं गए और लीला एंबिएंस में रहे जो राजीव गांधी अस्पताल से अटैच था। परिवार से दूर रहना मुश्किल था। मेरी पत्नी उसी समय बीमार हो गई थी, लेकिन मैं मरीजों की सेवा करना चाहता था क्योंकि महामारी के दौरान लोगों की मदद करने का यह मेरा मौका था। मेरे पिता 94 साल के हैं। जिसके कारण मैं घर आने को लेकर बहुत सतर्क रहता था। जब तक मैं गैर-कोविड अस्पताल में था, तब तक मैं कोरोना से डरता था। लेकिन एक बार जब मैं राजीव गांधी में तैनात था, तो मेरा सारा डर दूर हो गया। मैंने अपना दो बार जांच कराया। परीक्षण के परिणाम निगेटिव आया। मैं कोरोना योद्धा का खिताब पाकर बहुत खुश हूं। यदि मेरी पहचाना जा रहा है, यह मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है.

सोनू, नर्सिंग अधिकारी, एलएनजेपी अस्पताल

सोनू ने 2 अप्रैल को दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल के वार्ड में नर्सिंग अधिकारी के रूप में अपनी ड्यूटी शुरू की। उन्होंने कहा, ‘वार्ड शुरू में भरा हुआ था, हर दिन 30-35 नए मरीज आते थे। मैं जानता था कि मेरी फील्ड के लोग मरीजों का काफी ध्यान देते हैं। मेरे मरीज बहुत सहयोग करते थे। मैने सुना था कि मरीजों को दिए जाने वाले आवश्यक उपचार के साथ-साथ उनकी मानसिक स्थिति को जानना बहुत महत्वपूर्ण है। मरीजों का कहना है कि वे अस्पताल में आकर फंस गए हैं और वे बहुत निराश थे, क्योंकि वे कोरोना संक्रमित थे। उनके लिए यह स्वाभाविक था, क्योंकि वे सबसे अलग थे और उनका परिवार या उनके दोस्तों से कोई संपर्क नहीं था। हमने उन्हें मनोवैज्ञानिक मदद दी, क्योंकि अगर कोई मरीज अपना मनोबल खो देता है, तो कोई भी उपचार या दवा उन्हें ठीक नहीं कर सकती है। दूसरे दौर की ड्यूटी के दौरान मुझे भी 31 मई को कोरोना हो गया। मैं लगभग 17 दिनों तक होम आइसोलेशन में था। लेकिन लोगों की सेवा करने के प्रति मेरा मनोबल कम हीं हुआ और मैं ठीक होने के तुरंत बाद लोगों की सेवा करने के लिए वापस आ गया.

प्रदीप चौहान, कांस्टेबल, दिल्ली पुलिस

प्रदीप चौहान दिल्ली पुलिस में कांटेबल हैं और फिलहाल वो सीएस आफिस में वायरलेस आॅपरेटर की ड्यूटी कर रहे हैं। पिछले 10 साल से पुलिस विभाग में सेवारत हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं सीएस साहब के आने जाने की जानकारी रखता हूं और उसके मुताबित अन्य व्यवस्थाएं कराता हूं। ड्यूटी के दौरान मैं कोरोना से संक्रमित हो गया था और मुझे 17 दिनों तक होम आइसोलेशन में रहना पड़ा था। स्वस्थ्य होने के बाद से लगातार ड्यूटी कर रहा हूं। मुझे कोरोना योद्धा के रूप में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। यह सम्मान पाकर मैं बहुत खुश हूं। कोरोना योद्धा का खिताब मिलने से मेरे परिवार के लोग भी काफी खुश हैं.

तेज बहादुर, कैट्स एंबुलेंस चालक, जीटीबी

तेज बहादुर जीटीबी में कैट्स चालक हैं। उन्होंने कहा, ‘कोरोना शुरू होने के अभी तक जितने भी मरीज मिले, उन्हें अस्पतालों में शिफ्ट कराया। इस दौरान उन्हें कई मरीजों के बहुत करीब जाना पड़ जाता है। कई बार मरीजों को गोंद में उठाना भी पड़ जाता है। एक दिन कोविड संक्रमित एक प्रिग्नेंट महिला अस्पताल में आई। उसके शरीर में ब्लड बहुत कम था और उसकी हालत काफी गंभीर थी। डाॅक्टर ने उसे निजी अस्पताल में शिफ्ट करने की सलाह दी। उस महिला को उन्हें गोंद में उठाना पड़ा। इस दौरान उनका पीपीई किट फट गया और वह डर गए कि उन्हें भी कोविड हो जाएगा। लेकिन भगवान का शुक्र है कि उन्हें कोरोना नहीं हुआ और आज भी स्वस्थ्य हैं। इस दौरान मैं कई दिनों तक घर नहीं जा सका। घर जाने के दौरान मैं पूरी सावधानी बरतता हूं। कोरोना योद्धा कहलाने में मुझे गर्व है.

दीना नाथ यादव, सिविल डिफेंस वालेंटियर, पूर्वी दिल्ली

दीना नाथ यादव पूर्वी दिल्ली में सिविल डिफेंस वालेंटियर हैं। उन्होंने कहा, ‘लाॅकडाउन के दौरान हंगर रिलीफ सेंटर में गरीबों को खाना बंटवाया। जिनके पास घर नहीं थे और जो प्रवासी मजदूर अपने घर जा रहे थे और उन्हें पुलिस ने नोएडा व गाजियाबाद बाॅर्डर पर रोक दिया था, उन सभी लोगों को नाइट सेंटर में शिफ्ट कराया। ईस्ट विनोद नगर और वेस्ट विनोद नगर में रहने वाले यूपी और बिहार के लोगंो की जांच करा कर उनके गृह राज्य भिजवाने में मदद की। अपने क्षेत्र में लोगों का कोरोना टेस्ट भी कराने की जिम्मेदारी संभालता हूं। इस दौरान मैं भी कोविड से संक्रमित हो गया था। लेकिन स्वस्थ्य होने के बाद दोबारा ड्यूटी पर आ गया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने मुझे कोरोना योद्धा का खिताब देकर काफी सम्मान दिया है.

अशोक कुमार, सुपरवाइजर, साउथ दिल्ली नगर निगम

अशोक कुमार साउथ दिल्ली नगर निगम में सफाई कर्मचारियों के सुपरवाइजर हैं और डीईएमएस विभाग में सेवा दे रहे हैं। अशोक कुमार ने कहा, ‘दरियागंज से वार्ड-55 तक उनके क्षेत्र में आता है। इस क्षेत्र में जो भी कोरोना पाॅजिटिव केस आते हैं, उनके घर से एमसीडी के कर्मचारियों से कूड़ा एकत्र कराना और उनके घर को सैनिटाइज कराने का काम करते हैं। इस दौरान लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक रहने की भी सलाह देता हूं, ताकि उनकी वजह से आस-पड़ोस में रहने वाले लोग प्रभावित न हों। कोरोना योद्धा के तौर पर विशेष रूप से आमंत्रित किए जाने से गर्वांवित महसूस कर रहा हूं.

रिपोर्ट सोर्स, पीटीआई

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