नई दिल्ली : तेल की बढ़ती कीमतों ने आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है, खाने में उपयोग होने वाले सभी खाद्य तेलों मूंगफली, सरसों का तेल, वनस्पती और सोयाबीन की औसत कीमतें एक बार फिर बढ़ गई हैं, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की कीमतों में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
खाद्य तेल की बढ़ती कीमतें सरकार के लिए चिंता का कारण बनी हुई है, यहीं कारण है कि इसकी कीमतों को कम करने के तरीकों को लेकर सरकार विचार कर रही है.
भारत में पाम ऑयल का आयात होता है लेकिन लाँकडाउन के कारण मलेशिया जैसे देशों में इसका प्रोडक्शन घट गया है, इसके साथ ही बीज के दाम भी बढ़े हैं, हालांकि सरकारी स्तर पर प्राइस पर नियंत्रण के प्रयास हो रहे हैं.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मूल्य निगरानी सेल से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि सरसों के तेल की औसत कीमत बीते गुरुवार को 120 प्रति लीटर थी, जबकि बीते साल ये कीमत 100 रुपये प्रति लीटर थी.
वनस्पती तेल की कीमत एक साल पहले 75,25 थी जो अब बढ़कर 102,5 प्रति किलोग्राम हो गई है, सोयाबीन तेल का औसत मूल्य 110 प्रति लीटर पर बिक रहा था जबकि 18 अक्टूबर 2019 को औसत मूल्य 90 रुपये था, सूरजमुखी और ताड़ के तेल के मामले में भी यही रुझान रहा है.
सितंबर में खाद्य तेल जैसे पामोलीन तेल और सोयाबीन तेल की कीमतों में करीब 15 फीसदी तक कि बढ़ोतरी देखने को मिली थी, दूसरी तरफ सरसों के तेल और सनफ्लॉवर के तेल की कीमतों में 30 से 35 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई.
अब सरकार को यह विचार करना है कि क्या ताड़ के तेल के आयात शुल्क को कम किया जाए क्योंकि ताड़ के तेल की कीमतों में वृद्धि सीधे अन्य खाद्य तेलों की कीमतों पर प्रभाव डालती है.
ब्यूरो रिपोर्ट, दिल्ली
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