Header advertisement

तीन दिवसीय छठवें चौरी चौरा इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल का आगाज, शहीदों की कार्यक्रम में उमड़ा जनसैलाब

गोरखपुर (यूपी) : केंद्र और राज्य सरकार इस वर्ष गोरखपुर के चौरी चौरा जनांदोलन के सौ साल पूरे होने पर पूरे प्रदेश में वर्ष भर कार्यक्रम कर रही है। वहीं इस जन आंदोलन के गुमनाम नायकों कि खोज परख और उनके परिजनों के सम्मान दिलाने का कार्य जिले के अवाम का सिनेमा द्वारा कई वर्षों से किया जा रहा है।

इसी क्रम में दो फरवरी से 6वा अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल कार्यक्रम शुरू किया गया है। जिसमे चौरी चौरा जनविद्रोह के नायकों भगवान अहीर और रूदली केवट अंग्रेजी सेना में रह चुके थे और वे लोग असहयोग आंदोलनकारियों को प्रशिक्षित करते थे।

नजर अली आला दर्जे के पहलवान थे जो चौरी चौरा जन विद्रोह के केन्द्र रहे डुमरी खुर्द में अखाड़ा चलाते थे। विक्रम अहीर और कोमल पहलवान थे। जन नायक का खिताब पाने वाले कोमल पहलवान ही जेल से भागने में सफल हो गए लेकिन मुखबिरी के बाद पकड़ में आ गए और 1924 के गर्मियों में फांसी दे दी गई।

विक्रम अहीर और नेऊर पहलवान की वंशज सोमारी देवी, शहीद रूदली केवट के वंशज राम वचन, शहीद नजर अली के वंशज आखिरूज्जमा, कोमल पहलवान के वंशज फौजदार सहित शहीद अब्दुल्लाह के वंशज अलीमुन्निशा संयुक्त रूप से फ़िल्म फेस्टिवल का उद्घाटन किया।

अवाम का सिनेमा द्वारा सम्मान पाकर उनके परिजन अभिभूत हुए और उन्होंने अपने परिजनों से सुने हुए उस कालखंड के आंदोलन को याद किया और कहा कि ये उस दौर का ऐसा जनांदोलन था जिसे उस समय असहयोग आंदोलन को स्थगित न करके अगर आगे बढ़ाया गया होता तो शायद देश को 1922 में ही अंग्रेजो से आजादी मिल गई होती।

यह जन आंदोलन लंबे उत्पीड़न से तंग फिरंगी हुकूमत के खिलाफ ऐसे जनविद्रोह की ऐसी चिंगारी थी। जिसने ब्रिटिश सरकार के 24 सिपाहियों को जिंदा जला कर खाक कर दिया था। चौरी चौरा प्रकरण में 273 लोगों को गिरफ्तार किया गया था जिसमें 272 में से 228 पर अब्दुल्लाह व अन्य बनाम ब्रिटिश हुकूमत के नाम से मुकदमा चला था।

क्रांतिकारी शहीद अब्दुल्लाह ब्रह्मपुर ब्लाक के राजधानी गांव के रहने वाले थे। लिहाजा ऐतिहासिक रूप से चर्चित राजधानी गांव में स्थित रामचंद्र यादव इंटर कालेज में फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया है। जिसमे आजादी के आंदोलन से जुड़ी फिल्म छात्रों और ग्रामीणों को दिखाई गई।

फ़िल्म फेस्टिवल के मुख्य अतिथि शहीद शोध संस्थान के निदेशक सूर्यकांत पांडेय ने अपने उद्बोधन में कहा की चौरी चौरा जन विद्रोह जलियांवाला कांड की प्रतिक्रिया स्वरूप उभरा जन आंदोलन था। जिसमे जनहिंसा के विरोध में गांधी ने आंदोलन वापस ले लिया था।

जबकि 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के वक्त ब्रितानी सरकार के खिलाफ आमजन ने ब्रिटिश सरकार पर जमकर हमला बोला था। चौरी चौरा आंदोलन पर पहली पुस्तक लिखने वाले लेखक राम मूर्ति को भी सम्मानित किया गया।

श्यामा मल्ल महाविद्यालय की आचार्य गरिमा यादव की अगुवाई में सैकड़ों छात्र छात्राएं मार्च करते हुए राजधानी कार्यक्रम स्थल पहुंचे। आजादी के क्रांतिवीरों पर पोस्टर प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रही।

शहीदों के वंशजो को किया गया सम्मानित

शहीद अब्दुल्लाह के वंशज अलीमुन्निशा, बेबी खातून,शहीद नजर अली के वंशज आखिरूज्जमा, शहीद कोमल पहलवान के वंशज फौजदार, शहीद विक्रम के वंशज सोमारी देवी, रूदली केवट के वंशज रामवचन केवट का शाल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

फ़िल्म फेस्टिवल में मुख्य रूप से अविनाश गुप्ता, राम उग्रह यादव, योगेन्द्र जिज्ञासु, धीरेन्द्र प्रताप,  सुरेन्द्र कुमार, डॉ. धनंजय यादव, रूद्र प्रताप, पारसनाथ मौर्या, डॉ. शंभू निषाद, हरगोविंद प्रवाह, अंकित कुमार, केशव नाथ यादव, दयानंद विद्रोही,नरसिंह यादव, राधेश्याम, डॉ. यदुकुल श्री मणिदेव मल्ल, मुरारी यादव,लाल साहब, चद्रवती देवी प्रधान राजधानी कमरूज्जमा आदि उपस्थित रहे।

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *