नई दिल्ली : दिशा रवि मामले में पूर्व जजों और आईपीएस अधिकारियों के एक फोरम ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा है, फोरम के 47 सदस्यों ने पत्र में देश को बदनाम करने वालों की साज़िश और उसके बाद उसके कवच बन कर खड़े समूहों को उजागर किया है.
पत्र में राष्ट्रपति से मांग की गई है कि दिल्ली पुलिस की जांच को दबाव डाल कर और दुष्प्रचार कर बदनाम करने की कोशिश की जा रही है, इससे सावधान रहने की ज़रूरत है.
जजों और आईपीएस अधिकारियों की ओर से भेजे गए पत्र में लिखा गया है, हम न्यायिक और कानून से जुड़े पेशे से संबंधित नागरिकों का एक फोरम हैं, जिन्होंने कानून और संविधान के शासन को बनाए रखने के लिए अपने जीवन का काफी बड़ा हिस्सा बिताया है.
हमने करियर की शुरुआत में शपथ ली थी कि देश के लिए जो सही है, वही करेंगे, दिल्ली पुलिस द्वारा बेंगलुरु निवासी दिशा रवि की गिरफ्तारी की गई है, उसे साजिशकर्ताओं के एक समूह का सदस्य होने के लिए गिरफ्तार किया गया है.
जिसने एक टूलकिट तैयार किया है जिसमें एक दस्तावेज शामिल है, जिसका अर्थ है कि कुछ लोगों के बीच विभिन्न मीडिया हाउस, स्थापित फैक्ट चेकर्स और एनजीओ के ज़रिए भारत को बदनाम करने के लिए ये सब किया गया है.
दिल्ली के बाहरी इलाके में कुछ किसान समूहों द्वारा विरोध प्रदर्शन करके असामाजिक और देश विरोधी कृत्यों को उकसाया जा रहा है.
भारत में हिंसा को उकसाने की कोशिश की गई है, जैसा कि 1984 में एक बयान में कहा गया था- पृथ्वी तब हिलती है, जब एक बड़ा पेड़ गिरता है और तबाही का कारण बनता है.
पत्र में कहा गया है, “लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार ने संवैधानिक रूप से कृषि कानून को पारित किया है और भारत के लोगों के प्रति अपने कर्तव्य के बारे में जागरूक किया है, निहित स्वार्थों वाले कुछ लोग.
पुलिस की बदनामी करने के लिए और अपने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को छिपाने के लिए पुलिस द्वारा कानूनी कार्रवाई को बढ़ा चढ़ा कर बताने का प्रयास कर रहे हैं, ये कुछ और नहीं बल्कि बचाव के तरीक़े हैं, जो जांच के रुख़ को मोड़ देते हैं, ताकि उनके काले कारनामें उजागर ना हों.
पत्र में कहा गया है कि खुले स्रोतों पर उपलब्ध जानकारी स्पष्ट रूप से पाई गयी है, कुछ भारतीय नागरिकों ने सक्रिय रूप से प्रतिबंधित तत्वों और संगठनों के साथ मिल कर काम किया है.
जिन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रमुख शहरों में सभी भारतीय दूतावासों, उच्च आयोगों और महावाणिज्य कार्यालयों के सामने विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की योजना बनाई, इस अधिनियम के द्वारा, उन्होंने न केवल वर्तमान सरकार में भारतीय प्रवासी समुदाय और पीआईओ के विश्वास को कम करने का प्रयास किया है.
बल्कि इन विदेशी सरकारों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को भी गुमराह करने की कोशिश की है, जो स्पष्ट रूप से हमारे देश के साथ इन देशों के मैत्रीपूर्ण संबंधों के लिए एक साज़िश है.
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