Header advertisement

टीआरपी घोटाला : एनबीए ने कहा- रिपब्लिक टीवी की सदस्यता को निलंबित करे आईबीएफ़

नई दिल्ली : मुंबई पुलिस द्वारा जारी की गई वॉट्सऐप चैट के लीक होने के बाद आलोचनाओं का सामना कर रहे अर्णब गोस्वामी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं.

एनबीए ने आईबीएफ़ से मांग की है कि रिपब्लिक टीवी की प्राथमिक सदस्यता को निलंबित कर दिया जाना चाहिए.

आईबीएफ़ देश के टीवी चैनलों की संस्था है और इसके प्रमुख इंडिया टीवी के चेयरमैन और संपादक रजत शर्मा हैं.

एनबीए ने एक बयान जारी कर कहा है कि अर्णब और न्यूज़ चैनलों की रेटिंग देने वाली एजेंसी बार्क के पूर्व सीईओ पार्थ दासगुप्ता के बीच की जो कथित वॉट्सऐप चैट लीक हुई है, वह बेहद हैरान करने वाली है.

एनबीए ने कहा इन मैसेज से साफ है कि दोनों के बीच आपसी साठगांठ थी और इससे हर महीने फर्जी तरीक़े से बाक़ी चैनलों की रेटिंग घटाई जाती थी और रिपब्लिक टीवी को ग़लत फ़ायदा पहुंचाया जाता था.

एनबीए ने आगे कहा है कि दोनों के बीच जो बातचीत हुई है, जिसमें सचिवों की नियुक्ति, कैबिनेट में फेरबदल.

पीएमओ तक पहुंच होना और सूचना और प्रसारण मंत्रालय के कामकाज से जुड़े संदेश शामिल हैं, इससे एनबीए की ओर से पिछले चार साल से जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे सही साबित होते हैं.

एनबीए का कहना है कि वह टीआरपी रेटिंग में छेड़छाड़ की बात को कहती रही है और एनबीए से बाहर का कोई सदस्य बार्क के प्रबंधन के शीर्ष अफ़सरों के साथ मिलकर इस काम को अंजाम देता रहा है.

एनबीए ने मांग की है कि जब तक टीआरपी में छेड़छाड़ के मसले का अदालत से समाधान नहीं हो जाता है तब तक आईबीएफ़ रिपब्लिक टीवी की सदस्यता को सस्पेंड कर दे.

संस्था ने यह भी कहा है कि टीआरपी में छेड़छाड़ की ख़बरों से प्रसारण मंत्रालय की छवि को भी नुक़सान पहुंचा है.

एनबीए ने कहा है कि बार्क की ओर से हर महीने फर्जी आंकड़े जारी किए जाते रहे और इससे न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स को जबरदस्त नुक़सान हुआ.

एनबीए ने बार्क से कहा है कि वह हिंदी न्यूज़ चैनलों को लेकर जारी की गई टीआरपी का ऑडिट करवाए और साथ ही यह भी बताए कि उसने पिछले तीन महीने में इस दिशा में कौन से क़दम उठाए हैं, संस्था ने कहा है कि वह अपने काम में पारदर्शिता लाए.

न्यूज़ चैनलों की दुनिया में बीते साल अक्टूबर में तब हंगामा खड़ा हो गया था जब मुंबई पुलिस ने दावा किया था कि कुछ टीवी चैनल पैसे देकर अपनी टीआरपी बढ़ाया करते थे.

इस मामले में रिपब्लिक टीवी पर गंभीर आरोप लगे थे, रिपब्लिक भारत टीवी अचानक ही नंबर एक चैनल बन गया था, सुशांत सिंह मामले में चैनल की कवरेज को लेकर भी ढेरों सवाल खड़े हुए थे.

इसके बाद से ही बार्क निशाने पर आ गई थी, उस पर आरोप लगे थे कि उसकी रेटिंग प्रणाली ग़लत है और न्यूज़ चैनलों द्वारा उसके कर्मचारियों को महंगे उपहार टीआरपी को प्रभावित किया जा रहा है.

बार्क पर जो आरोप लगाए गए, ऐसे ही आरोप पहले टैम इंडिया पर लगाए जाते थे, उस समय टैम इंडिया ही हर हफ़्ते रेटिंग के आंकड़े देती थी और तब इसे लेकर काफी विवाद भी होता था.

मुंबई पुलिस ने टीआरपी स्कैम में अर्णब गोस्वामी का हाथ होने को लेकर सबूत होने का दावा किया था.

पुलिस ने अदालत में रिपोर्ट पेश कर कहा था कि अर्णब गोस्वामी ने रिपब्लिक टीवी के दो चैनलों की रेटिंग बढ़ाने के लिए पार्थो दासगुप्ता को लाखों रुपये का भुगतान किया था.

इसके बाद पार्थो दासगुप्ता और रिपब्लिक टीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विकास खानचंदानी को मुंबई पुलिस ने गिरफ़्तार किया था, आगे जाकर इस मामले ने राजनीतिक तूल भी पकड़ा था.

जब आर्किटेक्ट अन्वय नाइक की हत्या के मामले में मुंबई पुलिस ने अर्णब गोस्वामी को गिरफ़्तार किया था, तब बीजेपी अर्णब के बचाव में खुलकर उतर आई थी.

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *