देश की आत्मा बचाने का यज्ञ है राहुल की भारत जोड़ो यात्रा
उबैदउल्लाह नासिर
विगत 8 वर्षों में यह देश आर्थिक तौर से खोखला समाजिक तौर से बिखरा हुआ और सामरिक तौर से असुरक्षित हो गया है, देश का संवैधानिक लोकतंत्र मरणासन स्थिति में है, न्यायपालिका समेत सभी संवैधानिक संस्थाएं रीढ़ और दंत विहीन की जा चुकी हैं I झूट और लफ्फाजी का ऐसा दुश्चक्र चला दिया गया है की सच्चाई पानी मांग रही है I समाज का ऐसा नैतिक पतन हुआ है की हत्यारों और बलात्कारियों का बेशर्मी से महिमामंडन किया जाता है उन्हें धर्म रक्षक बताया जाता है I जंग आज़ादी के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हमारे लिए जो आदर्श और उसूल तय किये थे और जिनके कारण आर्थिक और सामरिक तौर से कमज़ोर भारत तीसरी दुनिया का नेता बन गया था और जिन आदर्शों और उसूलों पर चल कर एशिया अफ्रीका और लातीनी अमरीका के कई देशों ने आज़ादी हासिल की थी वह सारे उसूल दफन कर दिए गए हैं यही कारण है कि सभी अंतर्राष्ट्रीय मानकों में भारत नीचे गिरता जा रहे है चाहे वह लोकतंत्र का मांनक हो मानवाधिकार का मानक हो प्रेस की आज़ादी का मानक हो अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और धार्मिक आज़ादी का मानक हो सब में भारत पिछड़ता जा रहा है I
इन हालात में देश एक बार फिर कांग्रेस की ओर उम्मीद भरी नज़रों से देख रहा है मगर कटु सत्य यह है की कांग्रेस अभी अपने को उस युद्ध के लिए तैयार नहीं कर पाई है जो इस देश को बचाने के लिए ज़रूरी है I उसका मुकाबला बीजेपी जैसी पार्टी से है जिसके पास 3M (Money,Media,Man/MusclePower) की बहुतायत है जबकि कांग्रेस इन तीनों में बहुत कमज़ोर है,उसका संगठन जर्जर है, वोट बैंक फिसलता जा रहा है, खजाना लगभग खाली है एक मोटे अनुमान के मुताबिक़ बीजेपी के पास 50 हज़ार करोड़ का फण्ड है जबकि कांग्रेस के पास केवल 500 करोड़ हैं I कॉर्पोरेट funding का 86% बीजेपी को मिला है बाक़ी में कांग्रेस समेत अन्य दल हैं इसके साथ ही “सत्ता का उपयोग” भी जैसा उसको आता है शायद ही किसी पार्टी को आता हो I चुनावों में इसका भी भरपूर फायदा उसको मिलता है I एक वरिष्ट पत्रकार ने कहा था की बीजेपी अपनी Popularity (लोकप्रियता ) से ज्यादा अपनी Strategy (हिकमतअमली ) और संसाधनों के सहारे चुनाव जीतती है और जहां नहीं जीतती वहां अपने “संसाधनों और हथियारों” के सहारे सरकार बना लेती है I इसके दर्जनों उदाहरण जनता के सामने है इनकी तफसील बताने की ज़रूरत नहीं है I दुःख और शर्म इस बात का है की जनता को इस अनैतिकता असंवैधानिकता अदि से कोई फर्क नहीं पड़ता I लोकतंत्र का चीर हरण हो रहा है, उसके वोटों को बेचा जा रहा है उसके फैसलों को बदला जा रहा है और वह मूकदर्शक बनी रहती है Iलोकतंत्र की रक्षा अगर जनता नहीं कर सकती तो लोकतंत्र नहीं बचा रह सकता वह भीड़तन्त्र और बहुसंख्यकवाद बन के रह जाएगा I
एक सब से महतवपूर्ण बात यह है कि संघ परिवार और मोदी जी खुद जानते हैं की उनको सब से बड़ा चैलेंज कांग्रेस और विशेषकर गांधी परिवार से ही मिल सकता है यही नहीं उनकी सरकार से जब भी जनता का मोह भंग होगा वह कांग्रेस की ओर ही जायेगी इसी लिए बहुत योजनाबद्ध और आक्रमकता से कांग्रेस, नेहरु गाँधी परिवार और विशेषकर राहुल गाँधी के खिलाफ चरित्र हनन का अभियान चलाया जा रहा है, उन्हें अपरिपक्व अज्ञानी साबित करने की कोशश युद्ध स्तर पर चलाई जा रही है I बीजेपी का IT सेल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने मर्यादाओं और लोकलाज को एकदम त्याग दिया है उनके झूट और कुत्सित प्रचार के आगे गोएबल्स का प्रचारतन्त्र पानी भरता नज़र आ रहा है, whattsapp यूनिवर्सिटी द्वारा ऐसा झूट फैलाया जा रहा और अवाम खासकर नवजवानों की ऐसी ब्रेन वाशिंग कर दी गयी है कि नेहरु गाँधी परिवार हिन्दू से मुसलमान हो गया और 2014से पहले भारत जैसे कुछ था ही नहीं यह उनके दिमागों में ठूंस दिया गया है I
मोदी युग की सब से बड़ी देन धर्म की बुनियाद पर ध्रुवीकरण है जिस ने समाज को ही नहीं घरों और परिवारों को भी बाँट दिया है I इसका आगाज़ तो अडवानी जी ने अपनी रथयात्रा से किया था लेकिन वह समाज को इस हद तक बांटने में सफल नहीं हुए थे I आज हालत यह है कि आम आदमी हर तरह की समस्याएं कठिनाइयाँ झेल रहा है देश की बर्बादी का एक एक मंजर उसकी नज़रों के सामने है देश की लोटिया थालिया तक बेचा जाना, नोट बंदी से अर्थव्यवस्था का कचूमर निकल जाना, जी एस टी से ब्योपार का भट्टा बैठ जाना, मूर्खतापूर्ण अंदाज़ में किये गए लॉक डाउन के कारण हुए पलायन से मजदूरों दुर्गत होना, कोरोना की दूसरी लहर में चिकित्सा व्यवस्था की पोल खुल जाना, विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना से भारत में करीब 50 लाख लोगों की मौत गंगा में तैरती और गंगा की तलहटी में दफन लाशो, भारत की हज़ारों वर्ग किलो मीटर ज़मीन पर चीन का कब्जा और उसके द्वारा गाँव बसा लेना आदि सब अवाम केवल इस लिए नज़रअंदाज़ कर रहे हैं की मोदी योगी अमित शाह “मियां को टाइट” किये हुए हैं I उसके घर की छत टपक रही इसकी उसे चिंता नहीं है लेकिन मियां के घर पर बुलडोज़र चल रहा है इससे उसकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं है, उसे नौकरी नहीं मिल रही है कोई बात नहीं लेकिन पड़ोस के मीट की दूकान बंद करा दी गयी है वह इसी में मस्त है, मियां की मस्जिद गिरा दी गयी कोई बात नहीं उसकी कांवड़ यात्रा पर पुष्प वर्षा हो रही है इसी से उसका सीना चौड़ा हो रहा है I पर पीड़ा का यह सुख उसे इससे पहले किसी सरकार ने नहीं दिया था यही सोच कर वह बीजेपी को भरभरा के वोट दे रहा है I
देश को इस मकडजाल से निकालने इसकी भावनात्मक एकता और संवैधानिक लोकतंत्र की रक्षा की ज़िम्मेदारी कांग्रेस पर है क्योंकि बिना भाव्नातमक एकता और लोकतंत्र के देश को न एक रखा जा सकता है और न ही उसे प्रगति पथ पर ले जाया जा सकता है I मगर कांग्रेस खुद ही दयनीय स्थिति में है इसके आंतरिक और वाह्य दोनों कारण है, मोदी युग में जो नए प्रकार की राजनीति शुरू हुई है जिसमें नैतिकता, मर्यादा,शिष्टाचार ही नहीं सभ्य भाषा तक के लिए जगह नहीं रह गयी साम दाम दंड भेद राजनीति के आवश्यक तत्व हैं लेकिन मर्यादा नैतिकता और सभ्यता की कीमत पर सफलता लोकतंत्र के लिए ज़हर हलाहल बन रहा है I जनता किसी को वोट दे कर चुनती है सरकार कोई और बना रहा है इससे ज्यादा दुखद स्थिति लोकतंत्र के लिए और क्या हो सकती है यह तो ऐसा ही है कि शादी किसी के साथ हो और सुहागरात कोई और मनाये, यह अनैतिकता की पराकाष्ठा ही तो है I विगत 8 वर्षों में विपक्ष के सैकड़ों नेताओं पर ED CBI आय कर विभाग के छापे पड़ चुके हैं मगर बीजेपी के एक नेता से पूछताछ तक नहीं हुई यही नहीं विपक्ष के जो नेता दल बदल कर के बीजेपी में शामिल हो गए उन्हें भी अभयदान मिल गया I कांग्रेस क्या किसी भी पार्टी के पास मोदी अमित शाह ब्रांड की इस राजनीति की काट नहीं है कोई भी पार्टी साम्प्रदायिकता और ध्रुवीकरण का ऐसा घिनौना खेल नहीं खेल सकती जैसा यह लोग खेल लेते हैं I लेकिन अगर देश को बचाना है तो लोकतंत्र और देश की भावनात्मक एकता को बचाना होगा और यह भी सच है की राष्ट्रीय स्तर पर यह काम केवल कांग्रेस कर सकती है Iमगर इस महायग्य के लिये कांग्रेस को पहले अपना घर दुरुस्त करना होगा जिसमें सब से महत्वपूर्ण और आवश्यक है की कांग्रेस वैचारिक तौर पर खुद मज़बूत करे I यह ठीक है की कांग्रेस में हमेशा से विभिन्न विचारधाराओं के लोग शामिल रहे हैं लेकिन बुनियादी तौर से कांग्रेस एक धर्मनिर्पेक्ष समाजवादी पार्टी रही है, लेकिन जब से इसमें नर्म हिंदुत्व का समावेश किया जाने लगा कांग्रेस अपनी मूल विचारधारा से कट के रह गयी है I आरएसएस की विभाजनकारी साम्प्रदायिक और प्रतिगामी विचारधारा से लड़ना उसने बंद कर दिया I देश को आज केवल राजनैतिक तौर से ही नहीं वैचारिक तौर से भी आरएसएस/बीजेपी को हराने की ज़रूरत है क्योंकि वह देश को न केवल संवैधानिक लोकतंत्र के रास्ते से बल्कि सनातन धर्म की सर्वधर्म समभाव और वसुधैव कुटुम्बकम की अति मानवतावादी विचारधारा से भी विमुख कर रहा है नैतिकता और मर्यादा से तो उसे कुछ लेना देना ही नहीं I
कांग्रेस को नेहरु गाँधी की शुद्ध विचारधारा पर चाल कर ही नया जीवन दिया जा सकता है, स्व. अटल जी ने एक बार कहा था की कांग्रेस हमें हिंदुत्व के मुद्दे पर नहीं हरा सकती है क्योंकि जिसे हिंदुत्व के नाम पर वोट देना है वह शुद्ध हिंदुत्व वादी को वोट देगा दोगली विचारधारा को नहीं इस पैमाने पर अगर देखा जाए तो राहुल गांधी पूरी तौर से खरे उतरते हैं आरएसएस और उसकी विचारधारा का खुल कर वही विरोध कर रहे हैं उस से खुल कर लड़ रहे है, हालांकि आरएसएस ने उन पर कई मुक़दमें भी करवाए लेकिन न वह डरे न दबे यहाँ तक जब उन से कहा गया की वह आरएसएस के बारे में जो कह रहे उस पर माफ़ी मांग लें तो मुक़दमा वापस ले लिया जाएगा तो उन्होंने भरी सभा में कहा “मैं राहुल गांधी हूँ राहुल सावरकर नहीं जो माफ़ी मांग ले, मर जाऊँगा मगर आरएसएस से माफ़ी नहीं मांगूंगा”I चक्रव्यूह में फंसे अभिमन्यु की तरह आज राहुल अकेले दम पर एक निरंकुश सत्ता से टकरा रहे हैं I जो यह समझते हैं की राहुल की लड़ाई सत्ता के लिए है वह भूल नहीं कर रहे हैं बल्कि अव्वल दर्जे के धूर्त हैं क्योंकि 10 साल तक सत्ता जिसके दरवाज़े खड़े रही हो और उस ने उसे छुवा तक नहीं वह सत्ता के लिए वह सब लंदफंद नहीं करेगा जिसके द्वारा लोग सत्ता सुख भोग रहे हैं I राहुल की लड़ाई देश उसकी आत्मा उसकी भावनात्मक एकता उसके संवैधानिक लोकतंत्र और उसकी आर्थिक आज़ादी बचाए रखने की है I
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को इसी परिपेक्ष में देखने और समझने की न केवल ज़रूरत है बल्कि इस यज्ञ में आहूति देना राष्ट्रीय कर्तव्य भी है I