वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह

देश में दूसरा लॉकडाउन 15 अप्रैल से शुरू हो चुका है जो 20 अप्रैल से कतिपय चुनिंदा छूट के साथ 3 मई तक चलेगा। लेकिन जिस तरह देश में स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाएँ इस महामारी से निपटने में स्वयं वेंटिलेटर पर हैं तो 40-44 दिन के लॉकडाउन में यदि कोरोना का खात्मा नहीं हुआ तब क्या होगा? क्या फिर नये सिरे से लॉकडाउन लगाया जायेगा? क्या लॉकडाउन के अलावा कोई अन्य विकल्प है ही नहीं ?

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा है कि लॉकडाउन कोरोना वायरस से लड़ने का किसी तरह का समाधान नहीं है। लॉकडाउन महज़ एक पॉज़ बटन है जिसे लगाकर हमने इसे फैलने से रोक दिया है लेकिन जैसे ही हम लोग लॉकडाउन से बाहर आएंगे तो वायरस फिर से और दुगुनी तेजी से अपना काम करना शुरू कर देगा। राहुल गांधी ने वीडियो प्रेस कांफ्रेंस कर बार-बार टेस्टिंग की संख्या बढ़ाने की बात कही। उन्होंने कहा कि ‘रैंडम टेस्ट’ बहुत तेजी से करने की जरूरत है।

बड़े पैमाने पर टेस्टिंग से आपको अंदाजा लग जाता है कि वायरस किस दिशा में बढ़ रहा है। ऐसे में आप वायरस को आइसोलेट कर सकते हैं, टारगेट कर सकते हैं और फाइट कर सकते हैं। राहुल गाँधी की बात उनके राजनीतिक विरोधियों को नागवार लग सकती है लेकिन लाख टके का सवाल चारों और पूछा जा रहा है कि क्या 40-44 दिन के लॉकडाउन से कोरोना का खात्मा हो जायेगा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए 3 मई तक लॉक डाउन बढ़ाने की घोषणा की है। ऐसे में यह विचारणीय है कि 21 दिन के पहले लॉक डाउन में भारत ने क्‍या-क्‍या हासिल किया और कहां कहां चूक रह गई। अगर आंकड़ों की नजर से देखें तो जिस दिन पहला लॉकडाउन शुरू हुआ यानी 25 मार्च को, उस दिन भारत में कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की कुल संख्‍या 618 थी, वहीं इस महामारी से 13 लोगों की मौत हो चुकी थी। लॉकडाउन के 21 दिन पूरे होने पर देश में करीब 10,000 लोग कोरोना संक्रमण से पीड़ित हैं और 300 से ज्‍यादा लोग कोविड 19 से ग्रस्‍त होकर मारे जा चुके हैं।

यानी पहले 21 दिन के लॉकडाउन में कोरोनो से होने वाली मौतों का आंकड़ा 25 गुना से अधिक बढ़ चुका है। वहीं कोरोना पीड़ितों की संख्‍या भी करीब 15 गुनी हो गई है। देश में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या गुरुवार को 452 हो गई। 24 घंटे के अंदर संक्रमण के चलते 27 लोगों ने जान गंवा दी। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 7 संक्रमितों की मौत हुई।

गौरतलब है कि जिस दिन भारत में पहला लॉक डाउन शुरू हुआ था, उस दिन के शुरू होते समय तक दुनिया में इस वायरस से मरने वालों की संख्‍या 16,000 थी और पीड़ितों की संख्‍या पौने चार लाख के करीब थी। देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 13 हजार 336 हो गई है। गुरुवार को 1 हजार 54 नए मामले सामने आए। इनमें महाराष्ट्र में 286, मध्यप्रदेश में 226, राजस्थान में 55, उत्तर प्रदेश में 70, गुजरात में 163, और बिहार में 8 नए मरीज मिले हैं। यानी लॉक डाउन के दौरान भारत में और पूरी दुनिया में बीमारी रुकने के बजाय बहुत तेजी से बढ़ी है।

वास्तव में लॉकडाउन के बावजूद महामारी का इतना प्रसार यही बताता है कि लॉक डाउन शुरू होने से पहले ही देश में अच्‍छी खासी संख्‍या में लोग इसकी चपेट में आ गए थे, लेकिन उनकी गिनती नहीं की गई थी। लॉकडाउन के दौरान जब जांच पड़ताल शुरू हुई तो वे मामले सामने आ गए। इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्‍या जब दूसरा लॉकडाउन 3 मई को खत्‍म होगा तब भी उसके नतीजे वैसे ही आएंगे, जैसे लॉक डाउन वन के आए हैं? महामारी से लड़ने की कुंजी जितने ज्‍यादा टेस्‍ट उतनी ज्‍यादा सुरक्षा में छिपी है। जिस देश ने अपनी जनसंख्‍या घनत्‍व के लिहाज से सबसे ज्‍यादा कोरोना टेस्‍ट किए हैं, वहां बीमारी उतनी ही तेजी से काबू में आई है।

अब भारत की बात लेते हैं। तो भारत में पिछले लॉकडाउन का टेस्‍ट के लिहाज से बहुत अच्‍छा उपयोग नहीं किया जा सका। देश में इस दौरान 1.5 लाख से कुछ अधिक टेस्‍ट ही किये जा सके। देश के जनसंख्‍या घनत्‍व के लिहाज से देखें तो हमने हर 8800 आदमी में से 1 आदमी का टेस्‍ट किया। जबकि अगर हमें जर्मनी की रफ्तार से कोरोना को फतह करना था तो हमें कम से कम 1.32 करोड़ टेस्‍ट करने की जरूरत थी और अगर हमें दक्षिण कोरिया की रफ्तार से चलना था तो 65 लाख कोरोना टेस्‍ट होने चाहिए थे। अमेरिका की रफ्तार के लिए हमें कम से कम 33 लाख टेस्‍ट करने चाहिए थे।

राहुल गाँधी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि लॉकडाउन का दूसरा चरण भी तभी कामयाब होगा जब हम इस दौरान 35 से 50 लाख के बीच कोरोना टेस्‍ट निपटा लें। एक अप्रैल से देश ने औसतन 15000 टेस्‍ट प्रतिदिन की क्षमता हासिल कर ली है। जाहिर है इसे डेढ़ से दो लाख टेस्‍ट प्रतिदिन तक ले जाने की जरूरत है, तभी 3 मई तक यह काम पूरा होगा। राहुल गांधी ने कहा कि अगर टेस्टिंग की संख्या नहीं बढ़ी तो देश दोबारा लॉकडाउन की स्थिति में जा सकता है।

राहुल ने कहा कि पिछले 2 महीने में मैंने कई एक्सपर्ट्स से बात की है। लॉकडाउन सिर्फ एक पॉज बटन है ये कोरोना संकट का सॉल्यूशन नहीं है। जब लॉकडाउन से बाहर आएंगे, तो इसका असर फिर दिखना शुरू हो जाएगा। लॉकडाउन सिर्फ आपको एक वक्त देगा ताकि आप तैयारी कर सको। राहुल ने कहा कि अगर एक बार बीमारी शुरू हो गई, ऐसे में आज टेस्टिंग किट की सप्लाई लिमिटेड है। बिना टेस्ट के आपको पता ही नहीं लगेगा कि बीमारी आखिर कहां पर है। कांग्रेस नेता ने कहा कि कोरोना को हराने के लिए टेस्ट की संख्या को बढ़ाना होगा और वायरस से आगे रहकर काम करना होगा। राहुल गांधी ने कहा कि सरकार को टेस्टिंग के लिए एक रणनीति बनानी होगी, ताकि कहीं पर भी कोई कोरोना पीड़ित व्यक्ति ना बच पाए।

गौरतलब है कि राहुल गांधी कई बार सरकार को कोरोना वायरस के मसले पर घेर चुके हैं। देश में कम हो रहे कोरोना टेस्ट की संख्या, पीपीई-टेस्टिंग किट की कमी का मुद्दा राहुल उठाते रहे हैं। राहुल गांधी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस मसले पर चिट्ठी लिखी गई है।

विदेशी हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस की चुनौती से दुनिया इतनी जल्दी छुटकारा नहीं पा सकेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेष राजदूत डेविड नाबारो ने भी आगाह किया है कि कोरोना वायरस मानव जाति का लंबे वक्त तक पीछा करता रहेगा। जब तक लोग वैक्सीन से खुद को सुरक्षित नहीं कर लेते, कोरोना वायरस का प्रकोप जारी रहेगा। अमेरिकी कोरोना वायरस टास्कफोर्स के सदस्य और महामारी विशेषज्ञ डॉ. एंथोनी फाउची ने एक इंटरव्यू में कहा कि हम ये नहीं कह सकते हैं कि ये महामारी एक या दो हफ्ते में खत्म होने वाली है। डॉ. फाउची ने ये भी कहा कि कोरोना वायरस का जड़ से खत्म होना मुश्किल है। हो सकता है कि ये सिजनल बीमारी का रूप धारण कर ले।

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