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भारत और चीन के बीच हुए हिंसक झड़प की असली वजह क्या है?

नई दिल्ली: लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प क्यों हुई? यह सवाल अपने आप में महत्वपूर्ण इसलिए है कि 1967 में नाथू ला में हुई झड़पों के बाद पहली बार इतनी इतनी बड़ी तादाद में सैनिक मारे गए हैं, मोटे तौर पर शांत रहने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इसके पहले भी छोटी-मोटी झड़पें हुई हैं, डोकलाम जैसा कांड भी हुआ है, दोनों देशों की रणनीतिक भौगोलिक स्थिति या उस इलाक़े के महत्व को लेकर समझ में भी कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं आया है, फिर क्या हुआ कि इस तरह का कांड हो गया?

इसे समझने के लिए पहले उस इलाक़े की भौगोलिक स्थिति को समझना होगा, पूर्वी लद्दाख में ही लेह, लद्दाख और पैंगोंग झील है, इस झील के लगभग तीन चौथाई पर चीन का नियंत्रण है, उसके लगभग एक चौथाई इलाक़े पर भारत का कब्जा है, ये दोनों ही इलाक़े इन दोनों ही देशों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, पैंगांग झील इलाके की भौगोलिक संरचना आठ अंगुलियों जैसी है, इस पूरे क्षेत्र को ‘एट फिंगर्स’ यानी ‘आठ अंगुलियाँ’ कहते हैं, भारत का मानना है कि फिंगर सिक्स से वास्तविक नियंत्रण रेखा गुजरती है, यानी फिंगर वन से लेकर फिंगर सिक्स तक उसका इलाक़ा है,

‘एट फिंगर्स’

चीन का मानना है कि यह वास्तविक नियंत्रण रेखा फिंगर फोर के पास है, यानी भारत का इलाक़ा फिंगर फोर तक है, भारत की ओर से अंतिम चौकी इंडो टिबेटन बॉर्डर पुलिस की है जो फिंगर फोर के पास है, इस पूरे एट फिंगर्स पर भारत और चीन दोनों की सेनाएं गश्त करती रहती हैं, फिंगर वन से फिंगर फोर तक सड़क है, पर वहां से फिंगर सिक्स तक पगडंडी है, जिस पर पैदल चला जा सकता है या अधिक से अधिक खच्चर का इस्तेमाल किया जा सकता है, वहां से फिंगर एट तक चीन ने सड़क बना रखी है, फिंगर फोर से लेकर फिंगर सिक्स तक का इलाक़ा ऐसा है जहां कई बार चीनी और भारतीय सेनाएं आमने-सामने होती हैं, पर मोटे तौर पर कोई अप्रिय घटना नहीं होती है,

इस बार चीनी सैनिकों ने फिंगर सिक्स के पास कैंप लगा लिए हैं, वे वहां से पीछे हटने को तैयार नहीं है, मारपीट वहां नहीं हुई है, मारपीट हुई है गलवान घाटी में, उसकी क्या वजह है? गलवान घाटी में श्योक नदी के किनारे-किनारे भारत एक सड़क बना रहा है, इस सड़क पर काम बीते कई सालों से चल रहा है, चीन बीच-बीच में इसका विरोध करता रहा है, पर इसे लेकर आक्रामक नहीं रहा है, वह सड़क दौलत बेग ओल्डी तक जाती है, दौलत बेग ओल्डी वह जगह है जहां भारत अपना हवाई बेस बना सकता है,

वहां हवाई बेस बन जाने से भारत के लिए पूरे इलाक़े का हवाई सर्वेक्षण करना, निगरानी रखना आसान हो जाएगा, फिलहाल उस सड़क की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि चीनी सैनिक वहां से थोड़ी दूरी पर ही हैं और वे वहां से उस पर नज़र रख सकते हैं,  पर इस बार की लड़ाई न तो दौलत बेग ओल्डी को लेकर हुई है न ही उस सड़क को लेकर, उस सड़क के पास बहने वाली श्योक नदी पर भारत ने एक पुल बनाया है, उस पुल के बन जाने से भारत के लिए यह मुमकिन हो गया है कि वह सड़क से वह नदी पार कर उस तरफ के इलाक़े में तुरन्त पहुँच जाए,

सारा खेल श्योक नदी के उस पार के इलाक़े को लेकर ही है, वह इलाक़ा अक्साइ चिन के पास है, चीन का दावा इस अक्साइ चिन पर है, चीन ने उस पुल का विरोध किया, इस बार चीनी सैनिक अक्साइ चिन के इलाक़े को पार कर श्योक नदी के पास तक पहुँच गए, यानी भारत के नए बने पुल से थोड़ी दूरी पर है,  मेजर जनरल स्तर पर हुई पहली बातचीत में चीन इस पर राजी हो गया था कि उसके सैनिक वह इलाक़ा खाली कर लौट जाएंगे, पर उसके सैनिक वहां डटे हुए थे, कुछ भारतीय सैनिक वहां गए और उन्होंने चीनी सैनिकों से वह इलाक़ा छोड़ कर जाने को कहा,

इस पर दोनों पक्षों में कहा सुनी हुई और चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर हमले किए, उन्हें मार दिया, कुछ भारतीय सैनिक खाई में गिर गए, पुल के इस पार बिहार रेजीमेंट के तकरीबन 150 जवान तैनात थे, साथियों और अपने कमांडर की मौत से तमतमाए इन भारतीय सैनिकों ने पुल पार किया और चीनी सैनिकों पर हमला कर दिया, इसके बाद दोनों पक्षों में ज़बरदस्त झड़प हुई, जिसमें दोनों ही पक्षों के सैनिक हताहत हुए,

सवाल है कि इस पुल या इस सड़क को लेकर चीनी सेना इतना संवेदनशील क्यों है, इसका जवाब है अक्साइ चिन, श्योक नदी पर बना पुल भारतीय सड़क को अक्साइ चिन से जोड़ता है, भारत का कब्जा इसके उत्तर में कराकोरम दर्रे तक है, यह भारत के लिए भी संवेदनशील है,

चीन की संवेदनशीलता की वजह यह है कि अक्साइ चिन से ही कराकोरम हाईवे निकलता है जो आगे चल कर चीन- पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को जोड़ता है, यह आर्थिक गलियारा पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर और बाल्टिस्तान होते हुए बलोचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक जाता है, उस बंदरगाह से चीन अपना माल पूरे यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका के बाज़ारों तक भेज सकता है,

यदि भारत का कब्जा अक्साइ चिन के पास के इलाके पर हो जाए तो वह ज़रूरत पड़ने पर आर्थिक गलियारे को काट सकता है, चीन का पूरा फोकस किसी तरह अक्सचाइ चिन को भारत की नजर या प्रभाव से दूर रखना है, इसलिए यह झड़प उस पुल को लेकर हुई है

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