नई दिल्ली : भारत ने चीन को आज संसद से सख्त संदेश देते हुए कहा कि पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों की यथास्थिति में एकतरफा बदलाव की उसकी कोशिश किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है। भारत इस मामले का समाधान संवाद से करना चाहता है लेकिन अपनी संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता की रक्षा करने की खातिर हर परिस्थिति के लिए तैयार भी है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सेना के साथ गतिरोध पर लोकसभा में दिये वक्तव्य में चीन और वैश्विक समुदाय को दो टूक शब्दों में कहा कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एकतरफा बदलाव के इरादे से अप्रैल से सैन्य जमावड़ा बढ़ाना शुरू किया और फिर भारतीय सेना की नियमित गश्त को बाधित किया। इसके समाधान के लिए जब सैन्य कमांडर के स्तर की बातचीत में सहमति बनी तो उसका उल्लंघन करके चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों पर हिंसक हमले किये। हमारे बहादुर सिपाहियों ने अपनी जान का बलिदान दिया। वे चीनी पक्ष को भारी क्षति पहुंचाने के साथ ही अपनी सीमा की सुरक्षा में कामयाब रहे।

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रक्षा मंत्री ने कहा कि मास्को में चीनी रक्षा मंत्री से उन्होंने अपनी बातचीत में कहा, “इस मामले में भारत इस मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से हल करना चाहता है और हम चाहते हैं कि चीनी पक्ष हमारे साथ मिलकर काम करें। वहीं हमने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि हम भारत की संप्रभुता और प्रादेशिक अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह से कटिबद्ध हैं।”

उन्होंने कहा, “ हम मौजूदा स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं। इसके साथ-साथ हम सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार हैं।… मैं यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारे सशस्त्र बलों के जवानों का जोश एवं हौसला बुलंद है।”

सिंह ने कहा “चीनी पक्ष ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर और अंदरूनी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिक टुकड़ियां और गोलाबारूद एकत्र किया हुआ है। पूर्वी लद्दाख और गोगरा, कोंग्का ला और पेंगांग झील का उत्तरी और दक्षिणी तटों पर कई टकराव के बिन्दु हैं। चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारी सशस्त्र सेनाओं ने भी इन क्षेत्रों में उपयुक्त जवाबी तैनाती किये हैं ताकि भारत के सुरक्षा हित पूरी तरह सुरक्षित रहें।”

रिपोर्ट सोर्स, पीटीआई

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