ज़ाब्ता गंज मस्जिद मामला: इमाम असद ख़ान फ़लाही को दिल्ली वक्फ़ बोर्ड ने इमामत से किया बर्खास्त
- मस्जिद के सम्बंध में ग़लत बयानबाज़ी करने पर वक़्फ़ बोर्ड ने लिया एक्शन,इमाम संवेदनशील मामले में मीडिया को गुमराह करने वाले बयान जारी कर रहे थे।
नई दिल्ली 5 जून
केंद्र सरकार के द्वारा दिल्ली के वीवीआईपी क्षेत्र लुटियन ज़ोन में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट शुरू किये जाने के बाद से ही इस क्षेत्र में आने वाली ऐतिहासिक मस्जिदों को लेकर मुसलमानों में चिंता व्याप्त है। कुछ दिनों से सोशल मीडिया में कुछ इस तरह खबरें चल रही हैं कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत इन मस्जिदों को भी नुक़सान पहुँचाया जा सकता है। इस सम्बंध में कुछ लोगों ने दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन अमनतुल्लाह ख़ान से सम्पर्क करके उन्हें अपनी चिंता से अवगत कराया।
ग़ौरतलब है कि लुटियन ज़ोन में तीन ऐतिहासिक मस्जिदें एवं एक दरगाह बनी हुई हैं। ये सब पवित्र स्थल दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के अधीन आते हैं। इन सब आशंकाओं को देखते हुये वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह ने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी और नगर विकास मंत्री को पत्र लिखा है। जिसमें प्रधानमन्त्री कार्यालय से मस्जिदों की सुरक्षा की गारन्टी माँगी है।
वहीं दूसरी ओर इंडिया गेट पर स्थित मस्जिद ज़ाब्ता गंज में दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड की तरफ़ से रखे गये इमाम मौलाना असद खान फलाही को इमामत से हटा दिया है। इस सम्बंध में वक़्फ़ बोर्ड द्वारा इमाम की बर्खास्तगी का आदेश भी जारी कर दिया गया है। वक़्फ़ बोर्ड द्वारा दिए गये प्रेसनोट के अनुसार मौलाना लुटियन ज़ोन में आने वाली मस्जिदों की सुरक्षा के सम्बंध में वक़्फ़ बोर्ड की मुहीम को नुक़सान पहुँचा रहे थे। मौलाना वक़्फ़ बोर्ड की अनुमति के बिना अपनी तरफ़ से मीडिया को गुमराह करने वाले ग़लत बयान दे रहे थे। मस्जिद ज़ाब्ता गंज के इमाम को बार-बार ऐसा न करने का निर्देश दिया गया,लेकिन मौलाना अपनी बयानबाज़ी से बाज़ नही आये और वक़्फ़ बोर्ड के निर्देश के विपरीत मीडिया को ग़लत बयान देते रहे। जिसका परिणाम यह निकला कि मौलाना के बयानों को बुनियाद बना कर बहुत सी मीडिया ने नकारात्मक ख़बरें चलाईं। जिसकी वजह से दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के अंतर्गत आने वाली इन ऐतिहासिक मस्जिदों की सुरक्षा को ज़बरदस्त नुक़सान पहुँचा।
ग़ौरतलब है कि मौलाना को इससे पहले भी इस तरह की हरकतों के कारण बर्खास्त किया जा चुका है। मौलाना इसके बाद भी इस संवेदनशील मामले में अपने ग़ैरज़िम्मेदाराना रवैये से बाज़ नही आये। जिसके बाद दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड ने कार्यवाई करते हुये इन्हें इमामत की ज़िम्मेदारी से तुरन्त हटा दिया है।