नई दिल्ली : नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने राष्ट्र के नाम अपने विशेष संबोधन में कहा प्रचंड के धड़े ने कम्युनिस्ट पार्टी को भी दोराहे पर ला दिया है जिसका अंत पार्टी का टूटना हो सकता है.
ओली ने कहा कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर गतिरोध की वजह से उनकी सरकार का कामकाज प्रभावित होने के कारण नया जनादेश लेने की जरूरत है.
ओली ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि उन्हें संसद भंग करने के लिए मजबूर होना पड़ा और कहा कि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बारे में पता चलने के बाद उन्होंने मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की.
संसद को भंग करने और मध्यावधि चुनावों की तारीख की घोषणा के अपने फैसले का बचाव करते हुए ओली ने कहा, ‘चुनाव के जरिए नया जनादेश हासिल करने के लिए मुझे मजबूर होना पड़ा क्योंकि मेरी सरकार के खिलाफ कदम उठाए जा रहे थे, सही से काम नहीं करने दिया जा रहा था.
ओली ने कहा कि सत्तारूढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर गतिरोध से सरकार के कामकाज पर बुरा असर पड़ा। उन्होंने कहा, ‘निर्वाचित सरकार को किनारे कर दिया गया और इसके खिलाफ लामबंदी की गयी जिसके कारण मुझे संसद को भंग करने का फैसला करना पड़ा.’
ओली ने कहा, ‘विवाद पैदा कर जनादेश और लोगों की इच्छाओं के खिलाफ राष्ट्रीय राजनीति को अंतहीन और लक्ष्यहीन दिशा में ले जाया गया, इससे संसद का महत्व खत्म हो गया क्योंकि निर्वाचित सरकार को समर्थन नहीं बल्कि हमेशा विरोध और विवादों का सामना करना पड़ा.’
ओली ने कहा, ‘जब बहुमत की सरकार के पीएम को काम नहीं करने दिया गया तो मैं अनुचित तौर तरीका नहीं अपनाना चाहता था,’ उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सबसे अच्छा उपाय यही है कि नया जनादेश लिया जाए.
ओली ने कहा, ‘इस फैसले को अभी एकतरफा कदम के तौर पर देखा जा सकता है लेकिन मेरी सरकार के साथ सहयोग ना कर ऐसी स्थिति पैदा करने के लिए मेरी पार्टी के नेताओं को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
ओली ने जोर दिया कि उनकी सरकार ने देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए बेहतर कदम उठाए, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी कमेटी की बैठक में ओली के कदम को ‘असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक’ बताया गया और पीएम के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गयी.
ओली ने कहा, ‘‘चूंकि मैं पार्टी का प्रथम अध्यक्ष हूं, इसलिए दूसरे अध्यक्ष द्वारा बुलायी गयी बैठक वैध नहीं है,’ ओली ने अपने करीबी सांसदों को संबोधित किया और कहा कि अपनी पार्टी में ‘घिर’ जाने और राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय ताकतों के साथ साठगांठ से उनके खिलाफ ‘साजिश’ के बाद उन्हें यह फैसला करना पड़ा.
ओली ने सांसदों से कहा, ‘हमें लोगों से माफी मांगनी होगी और नए सिरे से चुनाव कराना होगा क्योंकि हमने जो वादा किया था उसे नहीं निभा पाए,’ ओली के निर्णय के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में कम से कम 11 याचिकाएं दायर की गयी है.
न्यायालय मामलों पर बुधवार को सुनवाई करेगा, ओली के कदम के खिलाफ काठमांडू और अन्य बड़े शहरों में विरोध प्रदर्शन किया गया, पुलिस ने 16 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया.
ओली को लेकर पार्टी के भीतर विवाद बढ़ने लगा, पार्टी की स्टैंडिंग कमिटी में नेपाल के दो पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड और माधव कुमार नेपाल ने प्रस्ताव रखा कि एक व्यक्ति के पास एक ही पद होना चाहिए.
ओली से कहा गया कि वो पीएम हैं तो पार्टी की पूरी कमान किसी और के पास होनी चाहिए, अभी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रंचड और ओली दोनों प्रमुख हैं.
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