नादिर तालिबज़ादेह

हमारे पास ईरान के खिलाफ प्रोपेगैंडा से लड़ने के लिए टेलीविज़न और सिनेमा जैसे हथियार हैं। ईरान में टेलीविज़न के लोगों की आमदनी में कोई इज़ाफ़ा नहीं हुआ जबकि हमारी मुद्रा का लगातार अवमूल्यन हुआ है। हर देश में विचार प्रकट करने की आज़ादी के पैमाने अलग-अलग होत हैं।

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आप चाहें तो ईरान में सरकार के कटु आलोचक मुहम्मद नूरीज़ाद से मिल सकते हैं जो ईरानी सरकार के विरोधी माने जाते हैं। वह इस्लामी क्रांति ही नहीं बल्कि देश के सुप्रीम लीडर के भी आलोचक हैं। हमारे देश का मीडिया और टेलीविज़न मुक्त हैं। हमने अपने देश में भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया है। भ्रष्टाचार हमारे देश का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

ईरान परमाणु समझौते 5+1 में अपनी जगह सही है। मगर ईरान पर दबाव काम नहीं करता। आप देख सकते हैं कि ब्रिटेन ने हमारा जहाज़ रोका तो उसका उचित जवाब उसे मिल गया है। जहाँ तक यमन पर हमले का सवाल है यह सऊदी अरब के राजकुमार मुहम्मद बिन सलमान ने आपराधिक रास्ता अख़्तियार किया। मुहम्मद बिन सलमान ने पहले ही अपना ज़हन बना लिया था।

 यमन लेकिन सऊदी अरब के लिए एक सबक़ बन जाएगा। आप पाएंगे कि यमन में 20 प्रतिशत लोग हिज़्बुल्लाह के क़रीब हैं, अन्य 20 प्रतिशत इनके समर्थक हैं और 20 प्रतिशत तटस्थ हैं। यह 60 फीसदी आबादी यमन में इस्लाम के प्रति समर्पित है। चूंकि यह बहुमत में हैं तो यही शक्तिशाली हैं। माना जाना चाहिए कि ईरानी क्रांति सुरक्षाकर्मी (रिवॉल्यूशनरी गार्ड) सब जगह हैं।

(नादिर तालिबज़ादेह ईरान के शोधार्थी, फिल्म निर्देशक और इंटरनेशनल न्यू हॉराइज़न कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं, उनका यह लेख तेहरान दौरे पर गए भारतीय पत्रकारों के साथ बातचीत पर आधारित है)

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