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कश्मीर : उमर अब्दुल्ला ने मोदी सरकार पर साधा निशाना, कहा- ‘वे उत्सव मना रहे हैं, हम मिल नहीं सकते’

नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के एक साल पूरे होने पर उमर अब्दुल्ला ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए प्रदेश में लगे प्रतिबंध को ‘पाखंड’ क़रार दिया है, उन्होंने कहा है कि बीजेपी इस अवसर पर उत्सव मना रही है, पर वह अपने पिता से भी नहीं मिल सकते, बता दें कि 5 अगस्त 2019 को अमित शाह ने संसद में एक प्रस्ताव पारित करवा कर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म कर दिया, इसके लिए राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों में अनुच्छेद 370 में संशोधन करने और अनुच्छेद 35 ‘ए’ को ख़त्म करने से जुड़ा विधेयक भी पास कर दिया गया.

इसके साथ ही उमर, फ़ारूक़ अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती समेत कई नेता गिरफ़्तार कर लिए गए या नज़रबंद कर दिए गए, उमर और फ़ारूक़ अब्दुल्ला को रिहा कर दिया गया, पर महबूबा समेत बड़ी तादाद में लोग अभी भी जेल में हैं या नज़रबंद हैं, नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर ने ट्वीट कर जानकारी दी कि नैशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने अपने घर पर एक बैठक बुलाई थी, पर केंद्र शासित क्षेत्र प्रशासन की पाबंदियों की वजह से वह भी नहीं हो सकी, उमर अब्दुल्ला ने अपने घर के सामने की सड़क गुपकार रोड की कई तसवीरें ट्वीट कीं और कहा कि जगह-जगह कंटीले तार लगे हुए हैं और लोगों की आवाजाही पर रोक लगी हुई है.

उमर ने सवाल उठाया कि जब वे लोग एक साधारण बैठक भी नहीं कर सकते, बीजेपी के लोग इसके एक साल पूरे होने पर उत्सव कैसे मना सकते हैं, उन्होंने ट्वीट किया, ‘एक साल बाद प्रशासन इतना डरा हुआ है कि हमे सामान्य राजनीतिक गतिविधियों की भी अनुमति नहीं दे रहा है, कश्मीर की ज़मीनी सचाई का पता इससे चलता है, उन्होंने इसके आगे कहा कि ‘बीजेपी 5 अगस्त के मौके पर बड़ा उत्सव आयोजित कर रही है और हमें बैठक नहीं करने दे रही है, मैं अपने पिता से उनके बगीचे में भी नहीं मिल सकता, इस पर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को ताज्जुब हो रहा है कि कश्मीर में कोई राजनीतिक गतिविधि नहीं हो रही है.

महबूबा मुफ़्ती के ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा गया, ‘बहुमतवादी सरकार ने एक साल पहले दिन दहाड़े जम्मू-कश्मीर को बर्बाद कर दिया और इसका सबकुछ लूट लिया, यह विश्वासघात न भूला गया है, न भूला जाएगा,’ लेकिन यह ट्विटर हैंडल महबूबा नहीं, उनकी बेटी इल्तिज़ा मुफ़्ती चलाती हैं, महबूबा एक साल से नज़रबंद हैं.

रिपोर्ट सोर्स, पीटीआई

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