शमशाद रज़ा अंसारी
ग़ाज़ियाबाद। अपने विवादित बयानों के कारण अक्सर चर्चा में रहने वाले लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने अपनी ही सरकार की पुलिस को सड़क पर दौड़ाया और अपने काफिले के साथ मिलकर जमकर यातायात नियमों का उल्लंघन किया। विधायक के काफिले की एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। जिसमें एक युवक कार की छत पर डांस कर रहा है और अन्य कारों में युवक खिड़की पर लटक रहे हैं। सिर्फ इतना ही नही, विधायक की सुरक्षा में लगे गार्ड विधायक की गाड़ी के पीछे हाँफते हुये दौड़ रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार वायरल वीडियो बुधवार का बताया जा रहा है। लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर को लोनी पुस्ता रोड पर अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बुलाया गया था। कार्यक्रम में पहुंचने से पहले उनका बीजेपी अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े लोगों द्वारा स्वागत किया गया था।
पुस्ता मार्ग पर विधायक नंद किशोर गुर्जर के काफिले में चलती गाड़ियों पर खड़े उनके समर्थकों का वीडियो वायरल हो गया। वीडियो में एक चलती गाड़ी की छत पर खड़ा होकर युवक डांस कर रहा है। वहीं तीन से चार गाड़ियों की खिड़कियों के बाहर खड़े कुछ युवक यातायात नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। बीजेपी विधायक नंदकिशोर इस काफिले में एक बिना नम्बर की ओपन मर्सडीज़ में बिना सीट बेल्ट लगाए बैठे नजर आ रहे हैं, जबकि इस कार पर नम्बर प्लेट की जगह ‘प्रधानजी’ लिखा हुआ है।
वीडियो में विधायक की सुरक्षा में लगे लोग बंदूकों के साथ विधायक की गाड़ी के आगे पीछे हाँफते हुये भागते नजर आ रहे हैं। विधायक की गाड़ी के पीछे दौड़ने वाले इन पुलिसकर्मियों ने कभी कल्पना भी नही की होगी कि सेवा और सम्मान के लिए पुलिस में भर्ती होने के बाद खादी के पीछे अमानवीय तरीके से गुलामों की तरह दौड़ना पड़ेगा। यह अपने परिजनों से कैसे नज़रें मिलाएंगे।
विधायक की गाड़ी के पीछे इस तरह अमानवीय तरीके से दौड़ते पुलिसकर्मियों को देख कर अंग्रेजी शासनकाल की यादें ताजा हो गयीं। उस समय अंग्रेज अपनी गाड़ी के पीछे इसी प्रकार गुलामों को दौड़ाया करते थे। पुलिसकर्मियों के इस तरह दौड़ने से उत्तर प्रदेश पुलिस की साख पर भी असर पड़ा है।
चर्चा है कि सत्ता के नशे में चूर विधायक द्वारा सुरक्षाकर्मियों के साथ किये गये इस अमानवीय व्यवहार से पूरा पुलिस विभाग अपमानित महसूस कर रहा है। लेकिन सत्ता पक्ष का विधायक होने के कारण कोई भी अधिकारी कुछ बोलने के लिए तैयार नही हैं। पुलिस की ख़ामोशी से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।
इस सम्बंध में जब एसपी ट्रैफिक रामानंद कुशवाहा से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो वो शायद विधायक के रसूख को देखते हुये जवाब देने की स्थिति में नही थे, इसलिये दो बार कॉल करने पर भी उन्होंने कॉल रिसीव करना उचित नही समझा।
अपनी निडर एवं निष्पक्ष कार्यशैली के लिए पहचाने जाने वाले पुलिस अधीक्षक देहात डॉ ईरज राजा से इस बारे में बात की तो उन्होने बताया कि मामले की जाँच की जा रही है और जो भी दोषी होगा,उसके विरुद्ध सख़्त क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी।
ग़ौरतलब है कि यह वही ग़ाज़ियाबाद यातायात पुलिस है, जिसने बीते दिनों विजयनगर थाना क्षेत्र में कार एवं बाइक सवार युवकों की स्टंट करते हुये वीडियो वायरल होने के बाद कुछ घन्टों में ही कार्रवाई करके अपनी वाहवाही शुरू कर दी थी।
कमज़ोरों पर तुरन्त कार्रवाई करने वाली और ताकतवरों को देख कर आँख मूँद लेने वाली यातायात पुलिस की जमकर किरकिरी हो रही है।
एसपी ट्रैफिक ने नही उठाया पत्रकारों का फोन
ग़ाज़ियाबाद के यातायात पुलिस अधीक्षक रामानन्द कुशवाहा का व्यवहार इस मामले में निंदनीय रहा। पुलिसकर्मियों को इस प्रकार सड़क पर दौड़ते देखकर उन्हें तुरन्त कोई एक्शन लेना चाहिए था। लेकिन उन्होंने चुप्पी साध ली। उनको शायद इस बात का अहसास हो गया था कि पत्रकार उनसे विधायक को लेकर सवाल पूछने वाले हैं। इसलिये एसपी ट्रैफिक ने पत्रकारों के फोन रिसीव नही किये। यातायात पुलिस अधीक्षक का यह व्यवहार दर्शाता है कि खादी किस कदर खाकी पर हो गयी है। जब उच्च स्तर के अधिकारी विधायक के विरुद्ध बोलने से कतरा रहे हैं तो निचले स्तर के पुलिसकर्मी किसके भरोसे रसूखदार व्यक्ति को रोकने की हिम्मत कर सकते हैं। यदि उच्च स्तर के अधिकारी सत्ताधारियों से इसी प्रकार डरते/बचते रहे तो निचले स्तर के पुलिसकर्मी इसी प्रकार खाकी के पीछे गुलामों की तरह दौड़ते रहेंगे।
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