भारत में एक तानाशाही मंशा पनप रही है। जो कॉमन सिविल कोड के नाम पर एक देश और एक कानून का शगूफा छोड़े हुए है। जो सिर्फ एक सांप्रदायिक राजनीतिक साज़िश है। जो देश के लिए खतरनाक है। क्या भारत में पहले से एक देश और एक कानून नहीं है? आज़ादी से लेकर अब तक भारत में कौन सा कानून चलता आ रहा है? हमें तो यही पता है कि भारत हमेशा से एकता और भाईचारे का एक देश है और जिसका एक कानून है,वो है संविधान। जो अपने आप में सर्वोपरि है।जो नागरिकों को सम्मान पूर्वक अपने धर्म और आस्था के अनुसार जीवन यापन करने की आज़ादी देता है।सबको समानता का अधिकार देता है।किंतु अब संविधान के मौलिक अधिकारों का हनन कर एक और कानून की नींव रखने की सांप्रदायिक साज़िश की जा रही है। जिसका उद्देश्य एक ओर संविधान विरोधी कानून बनाकर बहुसंख्यकवाद की सोच और उनकी मान्यताओं को अल्पसंख्यकों, दलितो और आदिवासियों पर कॉमन सिविल कोड का नाम देकर थोपा जाए। कॉमन सिविल कोड अल्पसंख्यकों की धार्मिक मान्यताओं और परम्पराओं को नष्ट करने की एक सांप्रदायिक साज़िश है। कल को यह कहेंगे भारत सेक्युलर नहीं एक हिंदु राष्ट्र है और देश अब संविधान से नहीं मनुस्मृति के कानून से चलेगा। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 44 कॉमन सिविल कोड को लेकर बहुत चर्चा में है। कॉमन सिविल कोड लाने वाले जो इस अनुच्छेद का हवाला दे रहे हैं वो इस अनुच्छेद को ध्यान से पढ़ें जो कहता है कि राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिये एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा। क्या कहता है? सिर्फ इतना कि प्रयास करेगा! प्रयास से उद्देश्य केवल इतना है कि कुछ विविध परम्पराओं में सभी धर्म और जाति के नागरिकों को उनकी परम्पराओं के अनुसार संहिताबद्ध नियम का सुझाव देकर उनमें सामंजस्य स्थापित करना यदि सामंजस्य स्थापित होता है तब उन नियमों को संहिताबद्ध करना न कि मनमानी करना और मनमाने ढंग से किसी बहुसंख्यकवादी परम्पराओं, मान्यताओं और सोच को अल्पसंख्यकों, दलितों,पिछड़ों और आदिवासियों पर थोप देना।भारत विविधता वाला देश है और भारत की विविधता में ही समानता है। भारत की खूबसूरती यही है कि यहां विभिन्न धर्मों की विविध परम्पराएं,मान्यताएं और आस्थाएं हैं। जो भारत को एक खूबसूरत सेक्युलर राष्ट्र बनाती हैं। सेक्युलर का मतलब यह नहीं है कि किसी एक धर्म की मान्यताओं और परम्पराओं को समानता का नाम देकर अन्य धर्मों पर भी लागू किया जाए वल्कि सेक्युलर का मतलब तो यह है कि प्रत्येक धर्म के लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं और परम्पराओं के अनुसार जीवन यापन करें और अन्य धर्म और उनकी आस्थाओं का सम्मान करें। भारतीय संविधान का अनुच्छेद-25 भी यही कहता है कि हर धर्म को अंतःकरण की स्वतंत्रता और धर्म को स्वतंत्र रूप से अपनाने और प्रचार करने की स्वतंत्रता है।
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