(उबैदुल्लाह नासिर)
एक सौ आठ दिन और करीब तीन हज़ार किलो मीटर का सफ़र तय कर के राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा देहली पहुंची और वहां 8-10 दिन के ब्रेक लेने के बाद 3 जनवरी से उत्तर प्रदेश के लोनी शहर से फिर अपनी मंजिल की तरफ चलेगी I यह ब्रेक अगले सफर की तय्यारी के लिए भी किया गया था क्योंकि मोसम भी बदल गया है और यात्रा भी ठंड के इलाके में पहुँचने वाली है कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार यात्रियों के ठहरने वाले कंटेनरों में भी मोसम के हिसाब से आवश्यक बदलाव किये जायेंगे इसके अलावा तीन महीनों से मुसलसल घर परिवार छोड़े यात्रा में शामिल यात्रियों को भी घर जाने का अवसर मिलेगा I उत्तर प्रदेश में यह यात्रा तीन दिनों तक रहेगी उसके बाद पंजाब होते हुए अपने आखरो पडाव श्रीनगर के लिए रवाना हो जाएगो जहाँ 26 जनवरी को लाल चौक पर तिरंगा फहरा कर यात्रा समाप्त होगी I इस दौरान राहील की इस ऐतिहासिक यात्रा ने तमिलनाडू, केरला,आंध्र प्रदेश,तिलंगाना,कर्नाटक,महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश,और हरियाणा राज्यों की ख़ाक छानी और हर जगह जिस जोश और हौसले से इस यात्रा का स्वागत हुआ और अवाम का प्यार उमड़ा वह अकाल्पनिक था समाज के उच्च वर्ग के लोगों से लेकर मामूलिनसे मामूली आदमी भी इस यात्रा में शामिल हुआ और कोई दिन ऐसा नहीं बीता जब लाखों लोगों ने इस यात्रा में भागीदारी न की हो Iराहुल की यात्रा में उमड़ रहे इस जन सैलाब् से साफ़ पता चलता है कि देश की जनता को एहसास हो गया है कि भले ही लम्बे चौड़े दावे किये जा रहे हों लेकिन सच्चाई यह है की देश में सब कुछ ठीक नहीं है यही राहुल गांधी के मकसद की सफलता है और राहुलने जिस शायराना अंदाज़ और साहित्यिक शब्दों में अपनी यात्रा का मकसद बताया है उससे तो साहित्यिक जगत भी आश्चर्य चकित है “ नफरत के बाज़ार में मोहब्बत की दूकान” इस एक जुमले ने पूरे भारत के समाजी माहौल और उसके खिलाफ राहुल के संघर्ष को ऐसे प्रभावी ढंग से बयान कर दिया जो शायद हजारों शब्दों का कोई लेख भी न बयान कर पाता I जिस माहौल को बनाने में आरएसएस को पूरे सौ साल लग गए और जिसके लिए मोदी के भारत ने पूरा सरकारी तन्त्र झोंक दिया पूरी सरकारी मशीनरी लगा दी पूरे आठ साल से सभी लोकतांत्रिक और समाजिक मान्यताओं को बूटों से कुचल दिया हो उस माहौल को राहुल की तपस्या और एक जुमले ने ध्वस्त कर के रख दिया है I भले ही मीडिया में कुछ भी प्रचार किया जा रहा हो और चैनलों की बेहूदा,अमर्यादित,कांन फोडू डिबेट्स में यात्रा के खिलाफ ज़हर उगला जा रहा हो लेकिन अवाम समझ गए हैं की समाजं का यह बिखराव, अविश्वास ,हिंसा और घृणा का यह माहौल देश हित में नहीं है और इसे बदलने की आवश्यकता है I अपने देहली प्रवास के दौरान राहुल ने जिस प्रकार पंडित नेहरु से ले कर अटल जी तकी की समाधि पर जा कर उन्हें श्रद्धांजलि दी वह मोदी द्वारा बनाये गए सियासी रेगिस्तान में जहाँ सिर्फ विरोधियों के लिए विद्वेष तिरस्कार बेईज्ज़ती और आरोपों के कांटे ही उगे है नखलिस्तान का एहसास कराती है यह नेहरु की परम्परा को पुनर्जीवित करने की उनकी इक्षा भी दर्शाती है I
अवाम के दिलों में पैदा हो रहे इसी एहसास ने मोदी सरकार बीजेपी और आरएसएस के नेताओं की नींदें उड़ा दी है और राहुल की जिस यात्रा को वह कल तक बच्चों का खेल समझ रहे थे उसे रोकने की बचकाना हरकतें कर रहे हैं I आरएसएस आर मोदोई सरकार की एक सोची समझी स्ट्रेटजी के तहत नागपुर से एक जुमला उछाल दिया गया की राहुल की यह यात्रा कांग्रेस को पुनर्जीवित करने राहुल की ब्रांडिंग करने और उसके राजनैतिक लाभ के लिए शुर की गयी है और इसी एक जुमले पर चैनलों के कुपढ़ एंकर अपनी डिबेट चला रहे है मगर हैरत होती है कि कभी न केवल एक गंभीर बल्कि सजग और मोअत्बर पत्रकार समझे जाने वाले राज दीप सारदेसाई भी राहुल से यही मूर्खता पूर्ण सवाल पूछते है I यह कथित पत्रकार यह भूल जाते हैं की राहुल की इस तपस्या रुपी यात्रा ने देश के इतिहास की सब से अधिक बेरोज़गारी,आर्थिक तबाही, समाजी बिखराव,कॉर्पोरेट लूट,तबाह हो चुके छोटे कारोबार,बर्बाद हो चुकी खेती,जनता की घटती क्रय शक्ति और बढ़ते क़र्ज़,
संवैधानिक लोकतंत्र को खतरा और संवैधानिक संस्थाओं के मुर्दा हो जाने के प्रति अवाम में एक जागृति पैदा की है उसके खिलाफ एक माहौल बना दिया है,भले ही भक्तों की आँखों पर अभी नफरत सम्प्रादयिकता और हिंसा की पट्टी बंधी हो जो शायद नाज़ी जर्मनी की भाँति पूर्ण तबाही के बाद ही हट सकेगी Iयह लोग व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी से ज्ञान प्राप्त कर के अपनी और अपनी आने वाली नस्लों के भविष्य से बेपरवाह सरकार के हाथों का खिलौना बन कर अपनी तबाही का दस्तावेज़ लिख रहे हैं I राहुल गांधी की तपस्या इन्हीं लोगों के सोए हुए ज़मीर को जगाने की एक कोशिश है I
बीजेपी जो फीडबैक मिल रहा है उसे उसकी चिंताएं बढ़ गयी है उधर एक के बाद एक राज्य और एक के बाद एक साथी उसके हाथों से निकलता जा रहा है I पिछले महीने हुए चुनावों में उस ने बेशक गुजरात में शानदार सफलता हासिल की जिसमें उसकी लोकप्रियता से ज्यादा उसकी स्ट्रेटजी औरे संसाधनों का हाथ और कांग्रेस की न समझ आने वाली अकर्मण्यता का बड़ा हाथ है लेकिन हिमाचल प्रदेश जैसा राज्य कॉंग्रेसने उस से छीन लिया है इसका महत्त्व बताते हुए नए मुख्य मंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा की 98 % हिन्दू आबादी वाले राज्य ने “आरएसएस ब्रांड हिंदुत्व” को खारिज कर दिया है इसके अलावा छत्तीस गढ़ राजस्थान तिलंगाना,ओडिशा आदि राज्यं में होने वाले उप चुनावों में बीजेपी बुरी तरह पराजित हो चुकी है I उत्तर प्रदेश के खतौली में विधान सभा उप चुनाव और मैनपूरी के लोक सभा के उपचुनाव में उसे करारी हार हुई है I रामपुर में होने वाले चुनाव में बीजेपी की जीत लोकतंत्र और हमारी चुनावी व्यवस्था पर एक कलंक है यहाँ होने वाली शर्मनाक चुनावी धांधली और सत्ता के घिनौने दुरूपयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हो चुकी है I बीजेपी जिसके साथ कभीं 30-35 पार्टियाँ हुआ करती थीं आज चिराग़ पासवान के अलावा कोई और दिखाई नहीं देता, जिस पार्टी की देश के अधिकाँश राज्यों में सत्ता थी वह कितना सिमट चुकी है और जहां है भी वहां उसे कैसे सत्ता मिली यह सब जानते हैं I
अपनी कथित सफलताओं की सच्चाई मोदी भी जानते हैं अमित शाह और योगी भी इसी लिए उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव टालने के लिए बीजेपी ने एक खेल किया था और उसमें सफल रही की चुनाव टल गए, लेकिन वह एक्स्पोज़ भी हो गयी है और पिछड़ा वर्ग विरोधी होने का ठप्पा उस पर लग गया है जबकि पिछड़ा वर्ग ही बीजेपी का सब से सॉलिड वोट बैंक है I मल्लिकार्जुन खरगे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद दलितों का रुझान स्वाभाविक तौर से अपने पुराने घर कांग्रेस की ओर हुआ है मुसलमान कांग्रेस की तरफ देख ही रहे हैं ब्राह्मण भी बीजेपी में बहुत खुश नहीं हैं अब अगर पिछड़े भी उससे किसी बात पर रूठ गए तो बीजेपी की परेशानियाँ ज़ाहिर है कितना बढ़ सकती है I लेकिन बीजेपी विशेषकर मोदी अमित शाह के तरकश में अभी बहुत तीर हैं शमशान कब्रिस्तान पाकिस्तान आदि आदि मारक और राम बाण जैसे नुस्खे उसकी जेब में हमेशा रहते हैं उधर साम्प्रदायिकता और मुस्लिम दुश्मनी में बीजेपी का हर मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ से ले कर हेमंत बिव्सल सरमाँ बासवा बोम्मई आदि सब एक दुसरे को पिछाड़ने में जी जान से लगे हैं और नित नए हथकंडे प्रयोग करते है क्योंकि वह समझ गए हैं की मुसलमानों से जितनी नफरत फैलाओ जितना उन्हें तंग करो उन्हें दुसरे दर्जे का नागरिक होने का जितना एहसास दिलाते रहो वोट बैंक उतना ही बढ़ता रहेगा और चुनाव दर चुनाव जित्वाता रहेगा मगर वह भूल जाते हैं कि नकारात्मक राजनीति की भी एक सीमा होती है, नफरत बहुत दिनों तक इंसान के दिल दिमाग पर छाई नहीं रह सकती और अब शायद वह समय आने वाला है I
भारत आज जिस बुरे दौर में फंसा है उससे निकालने की ज़िम्मेदारी केवल कांग्रेस और राहुल की ही नहीं है सभी पार्टियों सभी नेताओं ही नहीं सभी लोगों को इस सम्बन्ध में अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास करना होगा I देश का संवैधानिक लोकतंत्र देश की भावनात्मक एकता और वह सब कुछ जो मिल कर आईडिया ऑफ़ इंडिया बनाता है जंग आज़ादी के हमारे सारे आदर्श और उसूल सब खतरे में हैं 2024 का चुनाव तय करेगा कि भारत लोकतांत्रिक ही रहेगा या यहाँ भी चीन के शीपिंग, रूस के पुतिन और टर्की के अर्द्गान जैसे प्रयोग होंगे Iअफ़सोस की बात है की जहाँ तमिलनाडु में स्टॅलिन महाराष्ट्र में ठाकरे और पवार ने दूरदर्शिता दिखाई वही उत्तर प्रदेश में अखिलेश्बौर मायावती संकुचित राजनीति से ऊपर नहीं उठ पाए हैं I उन्हें भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के न्योता दिया गया जिसे उन्होंने ठुकरा दिया अखिलेश ने बचकाना सवाल दाग दिया की बीजेपी को कौन हराएगा सवाल यह है अखिलेश जी न्योता भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने का था सियासी गठजोड़ करने का नहीं जिस पर आप उत्तर प्रदेश में अपनी कथित ताक़त का नशा दिखा रहे हैं।
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