कांग्रेस के रायपुर इजलास ने उम्मीदें बंधाई, लेकिन बहुत कठिन है डगर पनघट की
(उबैदउल्लाह नासिर)
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जिसकी दुनिया में कोई मिसाल नहीं मिल सकती, फिर कांग्रेस अध्यक्ष का लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव और अब उसका रायपुर में शानदार सफल और दूरगामी नतीजों वाला खुला अधिवेशन देश में वह माहौल बना पाया है जिसके चलते वह 2024 के आम चुनाव में मोदी के लिए कोई चैलेंज बन सके यह सवाल आज सियासी गलियारों मीडिया और आम चर्चा का विषय बना हुआ है चूँकि इस साल 9 विधान सभाओं और अगले साल आम चुनाव होने है इस ,लिए देश का सियासी पारा गर्म होना स्वाभाविक है और चूँकि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस ही बीजेपी का विकल्प हो सकत है I राहुल गांधी ही मोदी के सामने खड़े हो सकते हैं तो यह सवाल भी लाज़मी है कि कांग्रेस जन जन तक पहुँचने और आम चुनाव में मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए कितनी तैयार है ?
सब से पहले तो यह समझ लेना चाहिए की कि जिस मोदी को नोटबंदी, जी एस टी,लॉक डाउन,मजदूरों का पलायन,कोरोना की मौतें,किसानो का एजिटेशन,राफेल सौदा, पनामा पेपर, सहारा डायरी जैसे काण्ड कोई सियासी नुकसान नहीं पहुंचा पाया उसे अडानीगेट से नुकसान पहुँच जाएगा यह असंभव सा प्रतीत होता है I संस्थानों पर जिस प्रकार मोदी ने आरएसएस के लोगों या उसकी साम्प्रदायिक विचारधारा से प्रेरित लोगों को बिठा कर उन्हें दंतहीन कर दिया है वह मुश्किल वक़्त में उनके काम आयेंगे ही I मान लीजिये बीजेपी 200 सीटों से भी नीचे आ जाती है लेकिन सब से बड़ी पार्टी होती है जो वह निश्चित तौर से होगी ऐसे में राष्ट्रपति तुरंत मोदी जी को शपथ दिला दें तो क्या होगा ?क्या अटल जी की तरह आज भी सदन में उनकी सरकार गिराई जा सकती है ? आज के माहौल में यह सोचना भी मूर्खता होगी, मोदी अटल नहीं है यह तो बिलकुल साफ़ हैI
लेकिन काग्रेस को इसी असंभव को संभव बनाना है क्योंकि इसी पर उसके वजूद का दारोमादार है I दूसरी ओर यदि संयोगवश बीजेपी सत्ता से बाहर हो गयी तो उसके लिए भी अपना वजूद बचा पाना कठिन होगा क्योंकि बीजेपी आरएसएस में भी आज जो लोग मोदी अमित शाह की राजनीति से त्रस्त हैं उन्हें खुल कर बोलने का मौक़ा मिलेगा और जैसे आज तमाम कोशिशों के बावजूद अडानी का साम्राज नहीं बच रहा है वैसे ही मोदी का साम्राज बच पाना मुश्किल हो जाएगा I2024 की लड़ाई सभी सियासी दलों के साथ भारत में संवैधानिक लोकतंत्र के बचाने की भी लड़ाई है इस लिए इस चुनाव में बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है I
सवाल यह हा की क्या कांग्रेस का रायपुर अधिवेशन इस ओर कोई आशापूर्ण इशारा दे सका पार्टी के ढांचे में मूलभूत बदलाव की बात कही गयी है I कार्यसमिति के सदस्यों की संख्या बढ़ा गयी है, एस सी/ एस टी,पिछड़ों,अल्पसंख्यकों,महिलाओं और नवजवानों को अधिक भागीदारी देने की बात तो ठीक है लेकिन इसके लिए 50% रिजर्वेशन देना प्रक्टिकली अच्छा निर्णय नहीं है I महिलाओं को 40% टिकट देने के निर्णय का अंजाम उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनाव में देखा जा चुका है I जब इधर उधर से महिलाओं को पकड़ पकड़ कर टिकट दे कर कोटा तो पूरा कर दिया गया लेकिन अंजाम कितना बुरा हुआ और उन में से अधिकतर महिलायें आज पार्टी में दिखाई भी नहीं देतीं, दुसरे इस तरह भाई भतीजा और परिवारवाद को बढ़ावा मिलेगा, साधनविहीन और आम कार्यकर्ता दरी बिछाता ही रह जाएगा और “राज कुमार राज कुमारियाँ” मलाई काटेगी I अभी PCC और AICC डेलिगेट बनाने में जो खेल हुआ जिस प्रकार तपे तपाए कार्यकर्ता पीसीसी डेलिगेट भी नहीं बन पाए और जुगाडू लोग AICC के सदस्य बन गए वह इन खतरों की बानगी भर है Iउत्तर प्रदेश में तो कमाल ही हो गायब AICC delegates की जो लिस्ट जारी की गयी उसमें पहला नाम एक ऐसे नवजवान का है जो धन्ना सेठ तो है लेकिन 3-4 साल पहले तक उसे pcc कार्यालय में भी कोई नहीं जानता था जबकि सोनिया गांधी का नाम 26 वें और राहुल गांधी का नाम 116 वें नम्बर पर है इस लिस्ट पर पार्टी के संगठन सचिव वेणु गोपाल के हस्ताक्षर है इस का क्या मतलब समझा जाए ? पार्टी को इन खतरों को भी ध्यान में रखते हुए जिस लक्ष्य को सामने रख कर यह निर्णय लिया गया उसे ईमानदारी से पूरा करने के लिए स्ट्रेटेजी बनानी चाहिए I जिस प्रकार सिंधिया, आर पी एन सिंह, जीतींन कुमार और इन जैसे दर्जनों युवा पार्टी को धोका दे कर चले गए वैसे नेता न तैयार किये जाएँ यह ध्यान रखा जाना चाहिये I ज़मीनी सतह से काम कर के और विचारधारा के प्रति समर्पित और ईमानदार युवाओं को खोज खोज के आगे बढ़ाना होगा इसके लिए NSUI,फिर यूथ कांग्रेस फिर मेनबॉडी में काम करने का जो पुराना तरीका था वही अपनाना होगा I पार्टी में बूथ कमिटी को सब से निचली इकाई बनाने का फैसला किया गया है यह भी एक अच्छी पहल होगी लेकिन यह सब स्ट्रेटेजी तभी सफल होगी और पार्टी का ढांचा तभी खड़ा होगा जब पार्टी का नेत्रित्व यह विश्वास पैदा कर सके की पार्टी जीतने जा रही है Iईमानदारी से कहा जाये तो आज की तारीख में उत्तर प्रदेश,बिहार और ओड़िसा बंगाल आदि में कांग्रेस कोई एक सीट अपने दम पर जीत सकेगी यह भी पक्का नहीं है I विशेषकर उत्तर प्रदेश की तो हालत बहुत ही खराब है यहाँ तक कि यह डर लग रहा है कि इस बार कांग्रेस अपनी इकलौती राय बरेली की सीट भी नहीं बचा पाएगी I
कांग्रेस के दुष्मनों की फहरिस्त बहुत लम्बी है I यह कडवी सच्चाई है की कोई भी क्षेत्रीय दल कांग्रेस को बढ़ते नहीं देखना चाहता,इससे उनका वजूद ही खतरे में पड़ जाएगा क्योंकि यह सब कांग्रेस का वोट बैंक छीन कर ही मज़बूत हुए है I लेकिन यह भी सच है की क्षेत्रीय दलों को साथ लिए बिना बीजेपी को हरा पाना असंभव है Iमोदी भी इनका महत्त्व जानते हैं इस लिए वह इनको अपन अपने हिसाब से इस्तेमाल करते हैं मसलन लोक सभा ही नहीं कर्नाटक विधान सभा के चुनाव में भी कांग्रेस को हरवाने के लिए उन्होंने तेलंगाना के मुख्य मंत्री के चंद्रशेखर राव को आगे बढ़ाया जिन्होंने कर्नाटक के उन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारने के एलान कर दिया है जो कभी निजाम सल्तनत का हिस्सा थे जहां उर्दू बोलने वाले मुसलमान बड़ी संख्या में है और जो ख्ररगे जी का प्रभाव क्षेत्र है I
कांग्रेस ने अपने राय पुर इजलास में क्षेत्रीय दलों को साथ ले कर चलने का एलान दोहराया है जो एक अच्छा सिग्नल है I पार्टी को वरिष्ट नेताओं की एक छोटी कमिटी बना कर क्षेत्रीय नेताओं से बात चीत शुरू करने की पहल करनी चाहिए और चुनाव से पहले और चुनाव के बाद के सियासी हालात से निपटने की योजना भी तैयार रखनी चाहिए I कांग्रेस को इस सिलसिले में बहुत बड़ा दिल दिखाना होगा इसके लिए जय राम रमेश जैसों के अहंकारी बयानों पर पाबन्दी लगानी होगी I घर में आग लगी हो तो यह नहीं देखा जाता की एक बाल्टी पानी कौन डाल रहा है Iकांग्रेस को खरगे जी जैसा एक ऐसा शेर मिल गया है जिससे डायरेक्ट पंगा लेते हुए मोदी भी घबराते है क्योंकि वह खरगे जी के खिलाफ जितना भी अनर्गल बोलेंगे दलित उतना ही उन से दूर होंगे इस लिए वह सोनिया जी और राहुल गाँधी को ही निशाने पर रखते हैं जबकि खरगे जी से झूटी हमदर्दी दिखाते है I “आप की चाय तो लोग पीते भी थे मेरी चाय तो कोई छूता भी नहीं था” यह मुंह तोड़ जवाब दे कर खरगे जी ने मोदी की बोलती बंद कर रखी है I लेकिन कांग्रेस में चाटुकारों को भी कमी नहीं रायपुर इजलास में छाते वाला मोदी का इलज़ाम रिजेक्ट भी कर दिया जाए तो प्रियंका के लिए रेड रोज़ स्वागत का कोई कारण समझ में नहीं आता I यह स्वागत तो पार्टी के नव निर्वाचित अध्यक्ष का हक था ऐसा होता तो देश के 25% दलितों में कितना बड़ा संदेश जाता इसका एहसास किया जाना चाहिए था I आज की राजनीति में टोटकों का बहुत महत्त्व होता है I पार्टी द्वारा रायपुर इजलास को लेकर जो विज्ञापन जारी किया गया था उस में मौलाना आज़ाद को गायब कर दिया इस पर बहुत हंगामा हुआ तो जय राम रमेश ने माफ़ी नामा जारी कर के गलती मान ली लेकिन इसी विज्ञापन में बाबा साहब के फोटो का अवचित समझ पाना भी मुश्किल है I बाबा साहब की महानता ,समाज के लिए उनके योगदान संविधान बनाने में उनकी महती भूमिका आदि से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन कांग्रेस पार्टी से उनका कभी कोई सम्बन्ध नहीं रहा फिर पार्टी के विज्ञापन में उन्हें क्यों जगह दी गयी ? इस जगह के सही हक़दार बाबू जगजीवन राम थे, उनका फोटो होता तो बिहार के दलितों को एक अच्छा पैगाम जाता I दुसरे विज्ञापन जागरण जैसे घोर संघी अखबार तक को दिया गया जबकि जो छोटे मंझोले अखबार सच लिखते हैं, जनता के मुद्दे उठाते कांग्रेस का समर्थन करते हैं उन्हें नज़रंदाज़ किया गया I उर्दू अखबारों को तो शायद बिलकुल ही भूल जाया गया I AICC के मीडिया विभाग को इन कमियों पर नज़र रखनी चाहिए I
दुसरे कोई राज्य ऐसा नहीं है जहां कांग्रेस में गुट बाज़ी खतरनाक स्थिति तक न पहुंच गयी हो राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट कर्नाटक ने सिद्दाराम्या, और डी के शिवकुमार,हरियाणा में हुड्डा परिवार औ सुरजेवाला छत्तीस गढ़ में बघेल और सिंहदेव एक दुसरे का गिरेबान खींच रहे हैं “एक को मनाओ तो दूजा रूठ जाता है” वाली नौबत है कोई राज्य यहाँ तक कि उत्तर प्रदेश और बिहार जहाँ कांग्रेस की हालत बहुत खस्ता है वहां भी यह रोग लगा हुआ है I इसका भी चुनाव से पहले इलाज हो जाना ज़रूरी है I
राहुल गांधी की भारत जोड़ी यात्रा,खरगे जी का अध्यक्ष चुना जाना और और रायपुर इजलास अंध भक्तों को छोड़ कर आम जन मानस के दिल को छू गया है हालांकि अपने आकाओं के डर से मीडिया ने इन तीनों राजनातिक घटनाओं को वह जगह नहीं दी जो उसे वास्तव में मिलना चाहिए I यही नहीं खरबों रुपया के घोटाले बैंकों को दिवालिया कर देने और जीवन बीमा जैसी संस्था को भी निचोड़ कर रख देने वाले अडानीगेट काण्ड पर मीडिया की चुप्पी शर्मनाक ही नहीं बल्कि देश द्रोह की श्रेणी में आती है I ज़रा सोचिये अडानी गेट के मामले में यदि बीजेपी विपक्ष में होती तो क्या ऐसी ही मुजरिमाना खामोशी होती,क्या सरकार सदन में ऐसी ही बेशर्मी और ढिठाई दिखा पाती ?
लेकिन यह तो भारतीय मीडिया का चरित्र बन गया है उसने अपनी रीढ़ की हड्डी ही नहीं शर्म गैरत भी बेच खाई है अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में उसका 180 में से 150वां स्थान हो गया है लेकिन उसकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता उसकी भक्त भावना और साम्प्रदायिक एजेंडा अपने हिसाब से चल रहा है I ऐसे में अगर उसने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस अध्यक्ष का लोकतान्त्रिक ढंग से चुनाव और कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन को वह महत्त्व नहीं दिया जो उसे मिलना चाहिए तो इस पर रांड के रोने से कोई फायदा नहीं बल्कि कांग्रेस को सोचना और राह निकालना होगा की वह जन जन तक अपनी बातें पहुंचाने के लिए और क्या कर सकती है हालांकि वैकल्पिक मीडिया यू ट्यूब चैनल्स आदि पर सैकड़ों बहादुर पत्रकार नतीजे की परवाह किये बिना सच्चाई जनता के सामने पहुंचा रहे हैं I इसके अलावा लाखों लाख लड़के लड़कियां पूरी ताक़त से बीजेपी की आई टी सेल का मुकाबला कर रहे हैं यह कांग्रेस के वह कर्मठ और जुझारू कार्यकर्ता है जो पार्टी के सदस्य हुए बिना ही केवल देश हित में उसके लिए काम कर रहे है I कांग्रेस में इन्हें महत्त्व पहचान और स्थान दिया जाना चाहिए I