अडानीगेट से ध्यान हटाने के लिए राहुल समेत विपक्षी नेता निशाने पर हैं
(उबैदउल्लाह नासिर)
एक जींस और एक टी शर्ट में चार हज़ार किलो मीटर पैदल चल कर भारत जोड़ो जैसी ऐतिहासिक पदयात्रा कर के राहुल गांधी की इमेज में जो सुधार हुआ है और उनके घोर विरोधियों का भी एक बड़ा वर्ग जिस प्रकार उनकी ओर आकर्षित हुआ दूसरी ओर “अडानीगेट”के कारण प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की इमेज को जो बट्टा लगा है उसकी भरपाई के लिए लन्दन में राहुल गांधी के देश के लोकतंत्र के सम्बन्ध में दिए गए बयान को मुद्दा बना के पूरी मोदी सरकार,आरएसएस का संगठन और गोदी मीडिया पूरे दल बल के साथ मैदान में उतर पड़ा है ,यहाँ तक कि संवैधानिक तौर से दलगत राजनीति से जिन्हें ऊपर रहना चाहिए अर्थात देश के उप राष्ट्रपति और राज्य सभा के चेयरमैन जगदीप धनकड़ भी राहुल गांधी के बयान की निंदा करने उतर पड़े I आम तौर से संजीदा और सार गर्भित बात करने वाले देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी पीछे नहीं रहे केन्द्रीय मंत्रियों किरण रिजूजू पियूष गोयल की तो खैर बात ही निराली है, बीजेपी का हर छोटा बड़ा नेता बदजुबान प्रवक्ता सब पंजे झाड के राहुल गांधी के पीछे पड़े हैं I दूसरी ओर सरकार ने फिर ED और CBI को विपक्षी नेताओं के पीछे लगा दिया, देहली के उप मुख्य मंत्री मनीष सिसोदिया को जेल भेज दिया गया,तेलंगाना के मुख्य मंत्री की बेटी कविता से घंटों पूछ ताछ की गयी किडनी ट्रान्स्प्लान्ट करा के आये बीमार लालू प्रसाद यादव और उनकी गर्भवती बहू से अमानवीय ढंग से पूछ ताछ की गयी जिसके कारण वह बेहोश हो गयी I यह सब उस गहरी स्ट्रेटेजी का हस्सा है जिसके तहत सरकार विपक्ष के खिलाफ एक ऐसा तूफ़ान खड़ा कर देना चाहती है जिसके पीछे “अडानीगेट” में हुआ खरबों का घोटाला छुप जाए क्योंकि उसकी आंच सीधे प्रधान मंत्री मोदी तक पहुँच रही है I
लन्दन की ऐतिहासिक कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने राहुल गांधी जिसके क्षात्र रहे हैं उसने उन्हें व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया उसके बाद ब्रिटिश संसद और पत्रकारों से भी राहुल गांधी ने अलग अलग बातें कीं इस दौरान उन्होंने भारत ,एन लोकतंत्र के सम्मुख खड़े किये जा रहे खतरों को ले कर विस्तार से बातें कहीं हालांकि इन बातों में कुछ भी नया नहीं था क्योंकि संस्थाओं पर क़ब्ज़ा मीडिया को दबाना विपक्ष को अपनी बातें न कहने देना ऐसे मुद्दे है जिन पर राहुल खुल कर देश में भी बोलते रहे हैं और देशी विदेशी मीडिया में उनकी यह बातें छपती भी रही है यही सब बातें उन्होंने लन्दन में भी कहीं लेकिन मोदी सरकार संगठन और मीडिया राहुल के इन बयानों को ले कर उन पर पिल पडा है और उन पर विदेशी धरती पर देश को बदनाम करने का इलज़ाम लगा रहा है यहाँ तक कहा जा रहा है की उन्हों ने भारत में लोकतंत्र की बहाली के लिए विदेशों को दखल देने के लिए आमंत्रित किया है सरकार के इस झूट की पोल राहुल के इन प्रोग्रामों में मौजूद भारत के दो वरिष्ट पत्रकारों बीबीसी हिंदी के शिव कान्त शर्मा और राहुलदेव ने खोल दी उन्होंने साफ़ बताया की राहुल ने ऐसी कोई बात नहीं की थी यहाँ तक की जब विदेशी पत्रकारों ने उन से पूछा की भारत में लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए अमरिका और यूरोप के देश क्या कर सकते हैं तो उन्हों ने साफ़ कहा कि उन्हें कुछ करने की ज़रूरत नहीं जो कुछ करेंगे भारत के 140 करोड़ लोग ही करेंगे I राहुल की इस बात को छुपा कर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है I आधी अधूरी बात सामने ला कर उसे मुद्दा बना देना संघ की पुरानी रणनीति का हिस्सा है I
इस सम्बन्ध में तीन बातों को ध्यान में रखना ज़रूरी है पहला विदेश में भारत की पिछली सरकारों को निशाना बनाने की परिपाटी खुद मोदी जी की शुरू की हुई हैं Iयाद कीजिये स्योल में उन्हों ने कहा था कि उनकी सरकार आने से पहले लोग भारत में जन्म लेने को अपने पुराने पापों की सज़ा समझते थे,नोट बंदी के बाद जापान में उन्होंने जनता की परेहानी का मजाक उड़ाते हुए कहा था “बेटी की शादी है और जेब में पैसा नहीं है “क्या किसी और देश का प्रधान मंत्री भी अपनी जनता की उन परेशानियों का ऐसे मजाक उड़ा सकता है जो खुद उनकी ही पैदा की हुई थी I दुसरे भारत में लोकतंत्र को ले कर अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी चिंतित है यही कारण है की उसे “पूर्ण लोकतंत्र” की श्रेणीं से निकाल कर “आंशिक लोकतंत्र” की श्रेणी में रख दिया गया है I मानवाधिकार का मामला हो, प्रेस की आज़ादी का मामला हो, अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा का मामला हो, धार्मिक आज़ादी का मामला हो इन सब मुद्दों पर भारत की अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में गिरावट आई है इन में सुधार की कोशिश करने के बजाय मोदी सरकार और उनके अंधभक्त आइना दिखाने वालों को ही निशाना बना रहे है I तीसरी और सब से महत्वपूर्ण बात है कि यह सूचना और इन्टरनेट क्रान्ति का युग है दुनिया सिमट कर एक वैश्विक गाँव बन गयी है दुनिया के किसी भी कोने में पत्ता भी हिलता है तो उसकी सूचना मिनटों सेकंडों में दुनिया के दुसरे कोने तक पहुँच जाती है तो क्या भारत में जो कुछ हो रहा है दुनिया उस से अनभिज्ञ है ? राहुल यह सब कहते या न कहते भारत में जो कुछ हो रहा है अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को न केवल वह सब ज्ञात है बल्कि वह उससे चिंतित भी है I संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव से ले कर बड़े बड़े चिन्तक, विचारक, नेता और पत्रकार सब बार बार कह रहे हैं की भारत गांधी नेहरु के रास्ते से भटक गया है उसे उसी रास्ते पर वापस आ कर अपनी अन्तराष्ट्रीय इमेज और साख बहाल करनी चाहिए I जबकि भारत में चवन्नी छाप कुपढ़ व्हाटसएप यूनिवर्सिटी के महामूर्ख क्षात्र गांधी नेहरु को दिन रात गालियाँ देते है I इवेंट मैनेजमेंट, लफ्फाजी, विज्ञापन और मीडिया की चाटुकारिता से सच्चाई नहीं छुपाई जा सकती और न ही इनके सहारे कोई युग पुरुष बन सकता है I
एक बहुत पुरानी कहावत है कि कव्वा कांन ले गया और लोग अपना कान देखने के के बजाय कव्वे के पीछे भाग पड़े विगत 10 -12 वर्षों से यह कहावत भारत की सियासी जिंदगी का हिस्सा बनी हुई है I होता यह है की नागपुर से एक जुमला या एक मुद्दा उछाल दिया जाता है मीडिया विशेषकर चैनल उसे ले उड़ते है और फर सच को झूट और झूट को सच साबित कर दिया जाता है I याद कीजिये 2 G,कोयला घोटाला,कॉमन वेल्थ गेम्स आदि को ले कर क्या तूफान खडा किया गया था अन्ना हजारे ने क्या गेम खेला? तब का पूरा सरकारी तन्त्र झूट की इस ग्राइंडिंग मशीन के सामने फेल हो गया डॉ मनमोहन सिंह और स्व. शीला दीक्षित जैसे नेताओं का चरित्र हनन किया गया जनता इस बहकावे में अंधी हो गयी I दस वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाने समेत मनमोहन सरकार के दर्जनों अच्छे कामों और देहली को देहली बनाने के शीला दीक्षित के कारनामों को जनता भूल गयी I 2014 के चुनाव में कांग्रेस को करारी हार और बीजेपी को शानदार सफलता में संघ परिवार द्वारा की गयी इस लंनतरानी का सब से बड़ा हाथ था लेकिन सच्चाई क्या थी ? 2 G का मुक़दमा ट्रायल कोर्ट में ही धराशायी हो गया, कोयला घपले में खुद बीजेपी के ही एक मंत्री को जेल हुई और कॉमन वेल्थ गेम का कथित भ्रष्टाचार अदालत तक पहुँचा ही नहीं, हाँ अरविंद केजरीवाल मुख्य मंत्री ज़रुरु बन गए और शीला दीक्षित को जेल भेजने का वादा करने वाले मनीष सिसोदिया आज खुद जेल में है I यह वह समय था जब पूरे देश को कव्वे के पीछे दौड़ा दिया गया था I
वास्तव में राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के द्वारा न केवल अपनी इमेज बर्बाद करने के के लिए संघ द्वारा खर्च किये गए अरबों रूपये और प्रचार तंत्र की ताक़त को धूलधूसरित कर दिया बल्कि इनती लम्बी लकीर खींच दी है कि उसे छोटा करने की भारत के किसी लीडर में ताक़त नहीं है बल्कि वह तो यह सोच भी नहीं सकते I राहुल के घोर विरोधी भी अब राहुल द्वारा उठाये गए मुद्दों देश की एकता और समाजी ताने बाने के सामने खड़े खतरे, बेरोज़गारी मंहगाई चीन द्वारा भारत की ज़मीन पर कब्जा आदि को ले कर सोचने लगे हैं,आरएसएस के अंदरूनी सर्वे भी बता रहे हैं की राहुल की इमेज में जबर्दस्त सुधार हुआ है और “अडानीगेट” से मोदी की इमेज बिगड़ी है I उधर कांग्रेस ने SC (दलित ) वर्ग के एक सीनियर नेता को संगठन के चुनाव करा के अपना अध्यक्ष बनाने से भी मोदी की समस्याएं बढ़ गयी है I मोदी समेत बीजेपी आरएसएस का कोई नेता खरगे जी से पंगा लेते हुए घबराता है क्योंकि उसके सामने 22% दलित वोट खड़े हो जाते हैं I खरगे जी को इतना बड़ा पद मिलने से देश का हर दलित उन से एक भावनात्मक जुड़ाव महसूस करता है I उनके इस ऐतिहासिक जुमले ने मोदी की बोलती बंद कर रखी है कि”आपकी चाय तो लोग पीते भी थे मेरी तो कोई छूता भी नहीं था “I
लोकतंत्र केवल वोट देने का नाम नहीं है और संविधान कुछ हज़ार या कुछ लाख शब्दों की पुस्तक मात्र नहीं है इन दोनों की एक आत्मा होती है भारत में लोकतंत्र और संविधान की इसी आत्मा को मारा जा रहा है वैसे तो इसके खिलाफ उठ खडा होना हर भारतीय का राष्ट्रीय कर्तव्य है लेकिन सब से बड़ी ज़िम्मेदारी सियासी पार्टियों और नेताओं की है और राहुल अपना यही राष्ट्रीय कर्तव्य अदा कर रहे हैं अन्य विपक्षी नेताओं को भी अपने अपने दलगत लाभों और दुराभाव से ऊपर उठ कर लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था बचाने के लिए खुल के सामने आना होगा क्योंकि लोकतंत्र और संविधान ही उस भारत को बचा सकता है जो 1947 में हमें मिला था और जैसे भारत का सपना हमारे महान दूर दृष्टा नेताओं ने देखा था I