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कांग्रेस एक दलित को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष बना कर गांधी अंबेडकर का सपना साकार करे

कांग्रेस एक दलित को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष बना कर गांधी अंबेडकर का सपना साकार करे

(उबैदउल्लाह नासिर)
कांग्रेस अध्यक्ष को ले कर अनिश्चितता का जो माहौल कई बरसों से जारी था उस पर विराम लगते हुए कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में अध्यक्ष के चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया गया है जिसके अनुसार अक्टूबर के आखरी दिनों में पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा I

हो सकता है मुझे मालूम न हो लेकिन मैंने आने जीवन में पहली बार बैलट पेपर द्वारा किसी पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव उस समय देखा था जब श्रीमती सोनिया गांधी ने यह चुनाव लड़ा था उनके मुकाबले में उतरे थे स्व राजेश पायलट, लेकिन दुर्भाग्य से एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी थी I इतने बड़े हादसे के बाद भी कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव टाला नहीं गया और राजेश पायलट की जगह स्व जीतेन्द्र प्रसाद मैदान में उतरे, लेकन सोनिया जी के मुकाबले में उनकी हार निश्चित थी ही  और वह चुनाव हार गए I उस समय एक रिपोर्टर के तौर पर मैंने स्व राजेश पायलट से इस चुनाव के बारे में पूछा तो उनका जवाब था मैं “ कांग्रेस में चुनाव लड़ रहा हूँ कांग्रेस से चुनाव नहीं लड़ रहा हू हमारी प्रतिबद्धता कांग्रेस से थी और रहेगी” उसके बाद जीतेन्द्र प्रसाद जी का जब नम्बर आया तो उन से मैंने पूछा था “ कुंवर साहब चुनाव बाद क्या होगा” तो उन्होंने हंस कर कहा  “एक हारेगा एक जीतेगा और फिर हम दोनों कांग्रेस को मज़बूत करने के लिए मिल कर काम करेंगे “I दुर्भाग्य से उस चुनाव के कुछ दिनों बाद ही हार्ट अटेक से जीतेन्द्र प्रसाद जी का भी स्वर्गवास हो गया I अपने से चुनाव लड़ने वाले इन दोनों बड़े नेताओं की अकास्मिक मृत्यु के बाद सोनिया जी ने उनके परिवार वालों की एक मां की तरह देख भाल की दोनों के सुपुत्रों को कांग्रेस में बड़े ओहदे दिए सांसद बनवाया और सरकार बनने पर मंत्री भी बनवाया मगर जीतेन्द्र प्रसाद के बेटे ने सोनिया जी और पार्टी दोनों से बेवफाई की और कांग्रेस व नेहरु परिवार के कट्टर दुश्मन बीजेपी की गोद में बैठ गए I

आज कांग्रेस अपने इतिहास के सब से बुरे दौर से गुज़र रही है उसका वोट बैंक खिसकता जा रहा है,उसके पुराने और पार्टी से सब से ज्यादा फायदा उठा चुके नेता उसे छोड़ कर उसके दुश्मन से हाथ मिला रहे हैं, सरकार,सत्ताधारी पार्टी उसकी जरखरीद मीडिया उसकी कबर खोदने में दिन रात एक किये हैं,पार्टी का खजाना खाली है, सोनिया जी का स्वस्थ जवाब देता जा रहा है राहुल गाँधी ने पार्टी की कमान संभाली लेकिन मोदी युग में जैसी राजनीति चल रही है उसमें वह असफल रहे अपनों ने भी उनके साथ विश्वासघात किया दुश्मन तो दुश्मन थे बद्दिल हो कर राहुल जी तय कर लिया की वह अब पार्टी की कमान नही संभालेंगेI प्रियंका गांधी की तरफ भी लोग बहुत उम्मीद से देख रहे थे उन्हें उत्तर प्रदेश जैसे राज्य का प्रभारी महामंत्री बनाया गया उन्होंने मेहनत भी बहुत की संघर्ष भी जबर्दस्त किया सोई पड़ी कांग्रेस को जुझारू तेवर दिए लेकिन असम्बली का चुनाव आते आते गलतियों पर गलतियाँ करती गयीं और नतीजा यह हुआ की उत्तर प्रदेश असम्बली में उसे अब तक का सब से खराब रिजल्ट देखने को मिला वह न केवल दो सीटों पर ही जीत सकी बल्कि उसका वोट बैंक भी लगभग समाप्त हो गया I 

अब पार्टी के नए अध्यक्ष का चुनाव होने जा रहा है अभी यह क्लियर नहीं है की कौन कौन मैदान में उतरेगा लेकिन यह बिलकुल क्लियर है की नेहरु गांधी परिवार का कोई सदस्य यह चनाव नहीं लडेगा अर्थात अगला अध्यक्ष नेहरु गाँधी परिवार से बाहर का होगा I कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कैसा हो इस सम्बन्ध में हमारी सोच है की वह राष्ट्रीय पहचान रखता हो हिंदी भाषी होने के साथ साथ अच्छा वक्ता भी हो निडर हो (क्योंकि ED CBI का खतरा सदैव उसके सर पर मंडराता रहेगा ) अन्य गैर भाजपाई दलों के साथ अच्छे सम्बन्ध बना सकता हो, अपने राज्य की राजनीति पर मज़बूत पकड़ रखता हो समाज के किसी एक बड़े वर्ग को सियासी तौर से प्रभावित कर सकता हो सेकुलरिज्म पर जिसका अटूट विश्वास हो I

इस सम्बन्ध में कई नाम बार बार सामने लाये गए हैनं जिनमें सब से ज्यादा बार नाम अशोक गहलोत जी का आया है वह राजस्थान के कद्दावर नेता है कई बार उस राज्य के मुख्य मंत्री रह चुके हैं बे दाग छवि के मालिक हैं पिछड़ा वर्ग से आते हैं लेकिन नरेन्द्र मोदी पिछड़ों के सर्वमान्य नेता है और इस सम्बन्ध को तोड़ पाना फिलहाल अशोक गहलोत या अन्य किसी नेता में नहीं है दुसरे वह हिंदी भाषी तो हैं लेकिन अच्छा बोल नहीं पाते इस कमजोरी के बावजूद वह अच्छे अध्यक्ष बन सकते हैं लेकिन सचिन पायलट का क्या रवय्या होगा यह एक बड़ा सवाल है I

अशोक गहलोत के बाद शशि थरूर का नाम भी चल रहा है वह बहुत कद्दावर है उनकी राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय पहचान है केराला के होने के बावजूद हिंदी बहुत अच्छी बोल लेते हैं अंग्रेजी पर तो कमान है ही वह सियासतदां ही नहीं एक बुद्धजीवी लेखक भी हैं उनकी कई किताबें छप चुकी है अपनी पत्नी की मौत के मामले में वह एक मुक़दमे में फंस गए थे अब बाइज्ज़त बरी हो चुके हैं लेकिन उनकी छवि पेज थ्री वाली भी है जो कांग्रेस अध्यक्ष के पद के गरिमा के अनुरूप नहीं है I

इन दोनो नामों के अलावा और दो और नाम भी जहन में आते हैं और यदि इन में से कोइ कांग्रेस अध्यक्ष चुना जाता है तो यह गांधी और आंबेडकर के सपनो को साकार करना जैसा होगा I यह हैं कर्नाटक के मल्लिकार्जुन खरगे और बिहार की मीरा कुमार I  दोनों अनुसूचित जाति के हैं मगर  खरगे जी  का राजनैतिक अनुभव मीरा kumar से ज्यादा है क्योंकि मीरा जी भारतीय विदेश सेवा में थीं और शायद  रिटायरमेंट के बाद राजनीति में आई है जबकि मल्लिकार्जुन खरगे 9 बार कर्नाटक असम्बली के सदस्य रहे दो बार लोक सभा के सदस्य रहे केंद्र में मंत्री रहे और अब राज्य सभा में कांग्रेस दल के नेता है,अपने जीवन में वह केवल एक चुनाव हारे हैं  I उनको पहली बार मोदी जी के प्रधान मंत्री के बाद नेता प्रतिपक्ष के तौर पर लोक सभा में दहाड़ते हुए सुना था अपने इतिहास की सब से खराब हार झेलने वाली कांग्रेस के नेता ने पूरे आत्मविश्वास ही नहीं बल्कि एक प्रकार की दबंगई के साथ पूरे पांच साल तक सदन में कांग्रेस दल का नेत्रित्व किया उनके यही तेवर आज भी राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर दिखाई देते हैं Iवह कर्नाटक के बीदर क्षेत्र के रहने वाले हैं बुनियादी तौर से महाराष्ट्रियन है लेकिन अब कन्नड़ हो गए है दक्षिण भारत की भाषाओं के साथ साथ वह हिंदी उर्दू अंग्रेजी अच्छी बोल लेते हैं कांग्रेस और नेहरु गांधी परिवार से उनकी वफादारी की तो मिसालें दी जाति है वह यदि कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो न केवल कर्नाटक महाराष्ट्र बल्कि दक्षिण भारत के अन्य राज्यों के साथ देश के 23% दलितों में अच्छा मेसेज जाएगा क्योंकि आज़ादी के बाद वह कांग्रेस के पहले दलित राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे आज़ादी से पहले भी शायद कोई दलित कांग्रेस का  राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं रहा है I मीरा कुमार स्व बाबू जगजीवन राम की सुपुत्री हैं विदेश सेवा से  रिटायरमेंट के बाद वह राजनीति में आयीं अपने पिता के चुनाव क्षेत्र सासाराम से सांसद बनी केंद्र में मंत्री बनी और फिर लोक सभा की पहली महिला स्पीकर बनी I इधर वह राजनैतिक तौर से ज्यादा सक्रीय भी नही है I

एक दलित को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष बना कर कांग्रेस देश का राजनैतिक माहौल भी बदल सकती है और political narrative भी देश की एक बड़ी आबादी को अपनी ओर आकर्षित भी कर सकती है I आशा की जनि चाहिए कांग्रेस का नेतृत्व और अध्यक्ष पद के चुनाव के वोटर वोट देते समय इन बिन्दुओं पर सोच कर  खरगे जी को पार्टी संभालने की ज़िम्मेदारी सौंप देंगे।

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