मुह़म्मद अशरफ़
मेरठ। “इस्लामी मदरसे इस्लाम धर्म के रक्षक और इस्लामी आस्थाओं व शिक्षाओं की रक्षा का बड़े माध्यम हैं। विशेष रुप से जामिया गुलजार ए हुसैनिया इख्लास और लिल्लाहियत पर आधारित है। वर्तमान में जिसका लाभ भारत के कोने-कोने में पहुँचा है, दारुल उलूम देवबन्द, मजाहिर उल उलूम सहारनपुर, दारुल उलूम नदवतुल उलेमा लखनऊ, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया देहली जैसी बड़ी संस्थाओं मे गुलज़ार ए हुसैनिया के फारीगीन अपनी सेवाऐं दे रहे हैं और शिक्षा, प्रचार, पत्रकारिता हर क्षेत्र में यहाँ के लोग अपना काम कर रहे हैं’’ ये विचार आज जामिया गुलजारे हुसैनिया अजराड़ा के 104वें वार्षिक सम्मेलन के अवसर पर जामिया के मुहतमिम हकीम मौलाना मुहम्मद अब्दुल्लाह मुगीसी ने प्रथम पाली में (महिला सम्मेलन) सामूहिक दुआ से पूर्व अपने सम्बोधन में रखे।
मौलाना मुगीसी ने जामिया के सवा सौ साला इतिहास पर रौशनी डालते हुए बताया कि आज सम्मेलन में मेरी पड़पोतियाँ, सक्कड़पोतियाँ विराजमान हैं लेकिन आज से एक शताब्दी पूर्व यहाँ की नारी हाँडीयों में आटा जमा करके हाफिज रहमतुल्लाह साहब को भेजा करती थीं, और ये ही इस मदरसे की कुल जमा पूँजी होती थी, जो आज दो करोड़ के बजट तक पहुँच गई है। उन्होने बताया कि मदरसे का ये विकास इख़्लास और लिल्लाहियत का प्रोग्राम है, उन्होने आगे कहा कि हमारा सरमाया इसी जनता का सद्भाव स्त्री पुरुषों का चन्दा है। सरकार से मान्यता प्राप्त होने पर भी हम जूनियर हाई स्कूल के लिए सरकार से कोई सहायता नही लेते इस से पूर्व जामिया की छात्राओं ने नात नजम तिलावत इत्यादि पर आधारित लगभग 2 घण्टे तक दिलचस्प प्रोग्राम पेश किया।
मदरसा इल्हामिया लिल बनात देवबन्द की अध्यक्ष जैनब अर्शी और ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की माहिला विंग की प्रसिद्ध वक्ता डॉ0 जीनत मेहताब ने शादी विवाह इत्यादि की कुप्रथाओं पर महिलाओं के दीनी ईमानी और इस्लामी उत्तरदायित्व पर प्रकाश डाला और समाज सुधार मे दीनी तालीम के महत्व से परिचित कराया, कार्यक्रम का शुभारम्भ जामिया की छात्रा बुशरा इकराम की तिलावत ए कलाम पाक से हुआ। संचालन आलिमा आयशा गुलजार मोमिनाती ने बहुत सुन्दर ढंग से अंजाम दिया। सुबह नौ बजे से शुरु होकर मोहतमिम जामिया मौलाना मुगीसी की सामूहिक दुआ पर दोपहर 2ः30 बजे ये महिला इजलास का समापन हुआ।
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