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यूसीसी के सवाल पर बोले अरशद मदनी: बीजेपी मुसलमानों की आज़ादी छीनना चाहती है

यूसीसी के सवाल पर बोले अरशद मदनी: बीजेपी मुसलमानों की आज़ादी छीनना चाहती है

सहारनपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर टिप्पणी के बाद सियासी घमासान जारी है। अब दारुल उलूम देवबंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ये (बीजेपी) चाहते हैं कि मुसलमानों की मजहबी आजादी को छीन ले और वही हो रहा है। उन्होंने कहा कि “हमारी मस्जिद ही चली गई, हम कुछ नहीं कर पाए, अब यूसीसी में क्या कर लेंगे।” हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि समान नागरिक संहिता के बारे में मुसलमान अपने विचार रखेंगे, लेकिन उनकी बातों की सुनवाई होगी, इसकी उम्मीद नहीं है।

एनडीटीवी को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता के बारे में मुसलमान अपनी राय रखेंगे। लेकिन उनकी बात सुने जाने की उम्मीद कम है। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जब प्रधानमंत्री ने खुले तौर पर कहा है कि मुसलमानों के धार्मिक अधिकार छीन लिए जाएंगे, तो कोई क्या कर सकता है। मौलाना मदनी ऑल-इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के भी सदस्य हैं, जिन्होंने पीएम मोदी के समान नागरिक संहिता पर जोर देने के बाद कल रात एक आपातकालीन बैठक की।

मौलाना अरशद मदनी ऑल-इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के भी सदस्य हैं, जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समान नागरिक संहिता पर ज़ोर देने के बाद मंगलवार की देर रात एक आपातकालीन बैठक की थी। तीन घंटे की बैठक में लॉ बोर्ड ने अपने विचार विधि आयोग को सौंपने का फैसला किया, जिसने सभी हितधारकों से विचार मांगे हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में फैसला लिया गया कि यूसीसी को लेकर जल्द एक ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा। इसमें यूसीसी के कानूनी पहलुओं को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा शरीयत के जरूरी हिस्सों को भी ड्राफ्ट में शामिल किया जाएगा। इतना ही नहीं बैठक में तय किया गया कि बोर्ड की ओर से लॉ कमीशन के अध्यक्ष से भी मुलाकात की जाएगी। लॉ कमीशन से बोर्ड की अपील होगी कि इसी ड्राफ्ट को ध्यान में रखते हुए समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार किया जाए।

पीएम मोदी ने क्या कहा था?
दरअसल, पीएम मोदी मंगलवार को एमपी के भोपाल पहुंचे थे। यहां उन्होंने बूथ सम्मेलन को संबोधित करते हुए समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठाया था। पीएम मोदी ने कहा था, भारत दो कानूनों पर नहीं चल सकता और भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है। पीएम मोदी ने कहा था, ”हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पायेगा क्या? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा?

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