नई दिल्लीः भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने अपने Twitter पर एक तस्वीर पोस्ट की है। यह तस्वीर कानपुर के मोहम्मद महबूब मलिक की है। महबूब मलिक शहर के शारदा नगर में रहते हैं। 29 वर्षीय महबूब आर्थिक तंगी के कारण अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए और हाईस्कूल पास करने के बाद रोज़ी रोटी के लिये मजदूरी करने लगे। लेकिन महबूब जो कर रहे हैं वह आसान नही है। महबूब शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा योगदान दे रहे हैं।
महबूब मलिक की एक तस्वीर को पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘कानपुर के एक चाय विक्रेता मोहम्मद महबूब मलिक शिक्षा 40 बच्चों की शिक्षा को पढ़ा रहे हैं। उनकी एक छोटी सी चाय की दुकान है और वह अपनी आय का 80% इन बच्चों की शिक्षा पर खर्च करते हैं। वाह क्या प्रेरणा है!’
Mohammad Mahboob Malik, a tea seller from Kanpur takes care of education for
— VVS Laxman (@VVSLaxman281) November 6, 2019
40 children. He has a small tea shop and spends 80% of his income on the education of these children. What an inspiration ! pic.twitter.com/H1FTxeYuz7
चाय बेचकर रोज़ी रोटी कमाने वाले महबूब 40 ऐसे परिवारों के बच्चों की शिक्षा का बोझ उठा रहे हैं, जो आर्थिक हालत खराब होने के कारण बच्चों को स्कूल भेजने में समर्थ नहीं है। महबूब मलिक की शारदा नगर चौराहे के फुटपाथ पर एक छोटी सी चाय की दुकान है, जिससे होने वाली आमदनी का 80% इन बच्चों की पढ़ाई पर खर्च कर देते हैं।
बेहद ग़रीबी में बीता बचपन
महबूब बताते हैं कि वे पांच भाइयों में सबसे छोटे हैं। उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता। परिवार बड़ा था और कमाने वाले सिर्फ पिता थे। संसाधनों की अभाव में बमुश्किल हाईस्कूल तक ही पढ़ सका। महबूब कहते हैं कि जब किसी बच्चे को पढ़ने की उम्र में कूड़ा बीनते या भीख मांगते हुए देखता हूं तो मन विचलित हो जाता। उसमें उन्हें अपना बचपन दिखने लगता है।
बच्चों के लिये खोला कोचिंग सेंटर
मोहम्मद महबूब मलिक कहते हैं कि 2017 में अपनी जमा पूंजी के द्वारा बेसहारा बच्चों के लिए कोचिंग सेंटर खोला था। उन्होंने यह सेंटर शारदा नगर, गुरुदेव टॉकीज के नजदीक मलिक बस्ती और चकेरी के कांशीराम कॉलोनी में खोला था, जिसमें बच्चों को मुफ्त पढ़ाया जाता था। लेकिन जब इस काम की जानकारी उनके दोस्त नीलेश कुमार को हुई तो उसने उनका हौसला बढ़ाया। नीलेश ने NGO बनाकर सेंटर संचालित करने का मश्विरा दिया। ‘मां तुझे सलाम फाउंडेशन’ नाम से NGO बनायी और इसी के द्वारा सेंटर से 40 बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जा रही है।
हर महीने खर्च होते हैं 20 हज़ार
महबूब मलिक बताते हैं कि बच्चों की किताबें, स्कूल की ड्रेस, स्टेशनरी, जूते-मोजे, स्कूल बैग खरीदकर उन्हें एक बार दिया जाता है। स्कूल किराए की बिल्डिंग में चल रहा है, जिसका किराया 10 हजार रुपए प्रतिमाह है। तीन टीचर हैं, हालांकि वे पैसा नहीं लेते। टीचर मानसी शुक्ला बीएड कर चुकी हैं और टेट की तैयारी कर रही हैं। दूसरे टीचर पंकज गोस्वामी हैं, जो मेडिकल रिप्रजेंटेटिव हैं। बच्चों को पढ़ाने के बाद अपने काम पर जाते हैं। तीसरी टीचर आकांक्षा पांडेय हैं जो बीएड कर रही हैं।
परीक्षा के दिन मुफ्त में चाय
चाय बेचकर गरीब बच्चों को पढ़ाने वाले महबूब मलिक की चाय की दुकान कोचिंग और मंडी के बीच में है। आईआईटी, सीपीएमटी, इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले छात्र इसी के आसपास रहते हैं। जब प्रतियोगी परीक्षा होती है तो महबूब छात्रों को निशुल्क चाय देते हैं। महबूब ने अपनी दुकान पर एक स्लोगन भी लगा रखा है- ‘‘मां जब भी तुम्हारी याद आती है, जब तुम नहीं होती हो तो मलिक भाई की चाय काम आती है।’’