Header advertisement

BJP-Facebook विवाद : क्या BJP फ़ेसबुक को बचा रही है ?

नई दिल्ली : आखिर क्या कारण है कि बीजेपी फेसबुक को बचाने में लगी है? उसे सूचना प्रौद्योयगिकी पर बनी संसद की स्थायी समिति के चेयरमैन के तौर पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर का फेसबुक को नोटिस दे कमेटी के सामने पेश होने का फ़ैसला बुरा क्यों लगा? और नोटिस देते ही थरूर को हटाने की मुहिम क्यों? सरकार और सत्ताधारी पार्टी को तो फेसबुक से जवाब तलब करना चाहिये था न कि थरूर से? पर हो उलटा रहा है बीजेपी थरूर को ही हटाने पर तुल गयी है ! मौजूदा स्थायी समिति का कार्यकाल ख़त्म होने को है और नई समिति का गठन 12 सिंतबर को होना है, नई समिति का अध्यक्ष भी नया होगा और इस तरह शशि थरूर की विदाई मुमकिन है.

इसकी वजह साफ़ है, शशि थरूर ने बीजेपी नेताओं के हेट स्पीच नहीं हटाने के मुद्दे पर फ़ेसबुक के अधिकारियों को तलब किया, बुधवार को फ़ेसबुक इंडिया के प्रबंध निदेशक अजीत मोहन समिति के सामने पेश हुए, समिति ने फ़ेसबुक इंडिया को 100 सवाल दिए हैं और उनका जवाब देने को कहा है, शशि थरूर ने इस बैठक में हेट स्पीच नहीं हटाने के मुद्दे, फ़ेसबुक में कर्मचारियों की बहाली, फ़ेसबुक कर्मचारियों का राजनीतिक दलों से संपर्क जैसे मुद्दे पर सवाल किए, लेकिन बीजेपी के सदस्य यह मुद्दा उठा रहे थे कि फ़ेसबुक इंडिया के कर्मचारी प्रधानमंत्री मोदी को अपशब्द कहते हैं, कुछ बीजेपी सदस्यों ने फ़ेसबुक के कंटेन्ट पर नज़र रखने वाले ओवरसाइट बोर्ड के सदस्यों को लेकर सवाल पूछे, यह कहा कि इस बोर्ड में वैसे लोग हैं जो मोदी को गालियां देते हैं.

दोनों ही तरफ के लोग फ़ेसबुक पर राजनीतिक भेदभाव बरतने और पक्षपात करने के आरोप लगा रहे थे, यह साफ है कि संसद की यह स्थायी समिति फ़ेसबुक के मुद्दे पर बंटी हुई है, इसके पहले झारखंड से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और राजस्थान से सांसद और पूर्व मंत्री राज्यवर्द्धन राठौर फेसबुक के मुद्दे पर ही शशि थरूर को पद से हटाने की मांग कर चुके हैं, निशिकांत दुबे की मांग ऐसे समय आई जब समिति का कार्यकाल ही ख़त्म होने को है, दूसरी ओर, थरूर ने फ़ेसबुक को जवाब तलब कर सरकार और सत्तारू दल बीजेपी को नाराज़ कर दिया, दूसरी ओर, फ़ेसबुक इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम खुले और पारदर्शी प्लैटफ़ॉर्म बने रहने के लिए कृतसंकल्प हैं और लोगों को अपनी बात खुल कर कहने देंगे,’ शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा है कि वे फ़ेसबुक के प्रतिनिधियों के साथ इस मुद्दे पर आगे भी बात करते रहेंगे, लेकिन वह बात तो तब करेंगे जब स्थायी समति के अध्यक्ष बने रहेंगे.

रिपोर्ट सोर्स, पीटीआई

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *