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क्या मोदी सरकार ने शिक्षा और शिक्षक को चौराहे पर बिकने वाला बिकाऊ माल बना कर रख दिया है ?

शिक्षक पढ़ाने में अपनी डिवाइस , अपना डेटा, अपनी बिजली खर्च कर रहा है। स्कूल-कॉलेज फीस पूरी ले रहे हैं और शिक्षक को पहले से कहीं ज्यादा समय देने के बाद भी उसे सैलरी या तो आधी-पौनी दे रहे हैं या फिर नहीं दे रहे हैं।

महान देश जो विश्वगुरु बनने जा रहा है, उसके किसी एक स्कूल-कॉलेज के मालिक ने किसी एक शिक्षक के मोबाइल में डेटा प्लान  रिचार्ज कराया हो तो वास्तव में शायद आप विश्वगुरु बनने को आतुर दिखाई पड़ते।

वर्तमान काल, भूत काल, भविष्य काल के बाद कोरोना महामारी के आपातकाल में निजी स्कूल-कॉलेज के मालिकों का सदाबहार चरित्र एक बार फिर सबको समझ आ गया होगा । शायद दुनिया में सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान शिक्षा के इन भिखारियों को ही हुआ है, वो भी पूरी फीस लेने के बाद!

ये आदमखोर क्या मूल्य सिखाएंगे किसी को!

ये निरंतर बड़े चोरों के रास्ते पर चल रहे हैं।

 ये धंधेबाज़ सिर्फ डिग्री बेच कर बड़ी बड़ी बाते करते हैं!

शिक्षा और शिक्षक को चौराहे पर बिकने वाला बिकाऊ माल बना कर रख दिया है।

नई शिक्षा नीति इनकी बुनियाद को और पुख्ता करती नज़र आ रही है। ईश्वर ही कुछ करे तो करे।

सरकारों से तो उम्मीद रखना बेमानी है!

(मत- आसिया फातिमा : डायरेक्टर वेदांशी फाइनेंस व समाजसेविका बदायूं)

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