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नागपंचमी: आस्था और अज्ञानता की भेंट चढ़ता साँपों का जीवन

नागपंचमी: आस्था और अज्ञानता की भेंट चढ़ता साँपों का जीवन


(शमशाद रज़ा अंसारी)
नाग पंचमी हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार नाग पंचमी का त्योहार हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2021 में ये पंचमी तिथि गुरुवार, 12 अगस्त दोपहर 3 बजकर 28 मिनट से आरंभ होगी और अगले दिन शुक्रवार, 13 अगस्त दोपहर 1 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में इस वर्ष ये पर्व 13 अगस्त को ही मनाया जाएगा। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन अज्ञानता के कारण श्रद्धालु साँप को दूध से नहलाने की जगह उसे दूध पिला देते हैं। पुण्य समझ कर रहे काम को करके अन्जाने में पाप के भागीदार बन जाते हैं।


दरअसल दूध साँप का आहार नही है सरीसृप होने के कारण साँप को दूध हजम नही होता है। लोगों के अंधविश्वास का फायदा उठाने के लिए सपेरे नाग पंचमी से पूर्व साँपों को भूखा रखते हैं, ताकि वह दूध को पी लें।
नागपंचमी के दिन जो साँप दूध पीते हुए दिख जाते हैं, उन्‍हें 15-20 दिनों से भूखा प्‍यासा रखा गया होता है। ऐसे में जब भूखे साँप के सामने दूध आता है, तो वह अपनी भूख मिटाने के लिए विवशता में दूध को गटक लेता है।
भूख की वजह से विवश साँप दूध को गटक तो लेता है, लेकिन उसे हजम नहीं कर पाता। दूध उसके फेफड़ों पर असर डालता है। इससे उसके शरीर में इंफेक्शन फैलने लगता है, जिससे कुछ समय के बाद उसके फेफड़े फट जाते हैं और अंतत: साँप की मृत्यु हो जाती है।
यानी कि जो व्‍यक्ति किसी भी बहाने से साँप को दूध पिला रहा है, वह पुण्‍य का काम नहीं कर रहा, बल्कि साँप की मृत्यु का कारक बन रहा है। इसके साथ ही वह सपेरों को अवैध रूप से साँपों को पकड़ने और प्रताड़ित करने के लिए प्रेरित कर रहा है।


मध्य प्रदेश वन विहार के वन्य प्राणी चिकित्सक अतुल गुप्ता का कहना है कि सपेरों से पकड़े गए साँपों को जब वन विहार में लाया जाता है तब उनकी स्थिति इतनी बदतर हो जाती है कि वे कुछ नहीं खा पाते। यही नहीं उनमें से तो कई की मौत तक हो जाती है। उन्होंने बताया कि दूध पिलाने की वजह से साँपों के फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है। वहीं कुमकुम-हल्दी लगाने से उनकी स्किन में घाव हो जाते हैं और आंखों पर भी असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि जिन साँपों की जहर की ग्रंथी निकाल दी जाती है, उन्हें जब जंगल में छोड़ा जाता है तो शिकार न कर पाने के कारण भूख से उनकी मौत हो जाती है।
सरकार को चाहिए कि इस बात को लेकर लोगों को जागरूक किया जाए। नागपंचमी के दिन जहाँ-जहाँ पूजा होती है, वहाँ पर नागपंचमी से पहले बड़े-बड़े पोस्टर लगाए जाएं। उनमें स्पष्ट किया जाए कि साँप को दूध से स्नान कराया जाए न कि उसे दूध पिलाया जाए। साँप को दूध न पिलाने के कारणों को भी स्पष्ट तौर पर बताया जाए।

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