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रवीश का लेख : ये आप हैं, आपकी जेब है और ये आपकी सिलेंडरी कर रहे हैं

सिलेंडर 225 रुपये महँगा हो चुका है। पेट्रोल डीज़ल के दाम भी सौ रुपये छू रहे हैं। सीएनजी महँगी हो गई है और अब पचास रुपये को छू रही है जितने पर कभी डीज़ल होता था। घरों सप्लाई होने वाली गैस पीएनजी भी महँगी हो चुकी है।

सरकार इंतज़ार कर रही है कि जनता कहाँ तक बर्दाश्त कर रही है। अभी कहीं चुनाव जीत जाएगी तो कहेगी कम करने की ज़रूरत भी नहीं है। कम भी करेगी तो जहां तक वृद्धि हुई है उसमें मामूली कमी का कोई लाभ नहीं।

गोदी मीडिया और व्हाट्स एप ग्रुप के रिश्तेदार बता देंगे कि सस्ता हो गया है।लोग सरकार से कम रिश्तेदार के कमेंट से परेशान हैं।

बाज़ार में जाइये तो ख़रीदारी बहुत कम है। दुकानदार बता रहे हैं कि ग्राहक नहीं हैं। देश को तालाबंदी में झोंक ये नेता मज़े से चुनावों में घूमते रहे। उल्टा जुर्माने के नाम पर जनता से देश भर में कई सौ करोड़ वसूल लिए गए।

रैलियों में लोगों को बुला कर उन्हीं नियमों की धज्जियाँ उड़ती रहीं। माँ बाप की हालत है कि स्कूलों की फ़ीस नहीं दे पा रहे और शिक्षकों की हालत ये है कि उन्हें सैलरी नहीं मिल रही।

धर्म के नशे की राजनीति पर इतना आत्मविश्वास हो गया है कि सरकार को अब जनता की तकलीफ़ दिखाई नहीं देती। कह नहीं सकता कि जनता को अपनी तकलीफ़ दिखाई दे रही है या नहीं।

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