ग़ाज़ियाबाद: अपना कोई वजूद न होने के कारण पिता के नाम पर मतदाताओं की सहानुभूति बटोरने का प्रयास कर रहे हैं कांग्रेस प्रत्याशी सुशांत गोयल

(शमशाद रज़ा अंसारी)
ग़ाज़ियाबाद। विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग होने में अब केवल एक सप्ताह का समय शेष रह गया है। ऐसे में सभी प्रत्याशियों ने अपना चुनाव प्रचार तेज कर दिया है। ग़ाज़ियाबाद की हॉट सीट विधानसभा 56 से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी भी जनता को लुभाने के तमाम प्रयास कर रहे हैं। कोई पार्टी के नाम पर वोट माँग रहा है, कोई धर्म के नाम पर वोट माँग रहा है तो कोई कर्म के नाम पर वोट माँग रहा है। इन सबके बीच शहर विधानसभा से एक प्रत्याशी ऐसा भी है जो अपने स्वर्गवासी पिता के नाम पर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रहा है। उम्र के 48 पड़ाव पार करने के बाद भी जिस व्यक्ति को समाज में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए अपने पिता के काम और सम्बंध याद दिलाने पड़ें तो सब समझते हैं कि उस व्यक्ति की समाज में कितनी पकड़ है। पढ़ने वाले इतना तो समझ ही गये होंगे कि हम ग़ाज़ियाबाद विधानसभा 56 से कांग्रेस प्रत्याशी सुशांत गोयल की बात कर रहे हैं। सुशांत गोयल ऐसे प्रत्याशी हैं जो चुनाव प्रचार के दौरान हर जगह मेरे चाचा विधायक हैं की तर्ज पर अपने पिता स्वर्गीय सुरेन्द्र गोयल की उपलब्धियाँ गिना रहे हैं। आपको बता दें कि स्वर्गीय सुरेन्द्र गोयल ग़ाज़ियाबाद लोकसभा से सांसद रह चुके हैं। उनके मिलनसार एवं हँसमुख व्यक्तित्व के कारण उनकी सर्वसमाज में अच्छी पकड़ थी। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी सुरेन्द्र गोयल को बहुत सम्मान मिलता था। सुरेन्द्र गोयल के देहांत के उपरान्त जनता की सहानुभूति पाने और उस सहानुभूति को वोट में बदलने के लिए आज सुशांत गोयल अपनी उपलब्धियों की जगह अपने पिता का प्रचार कर रहे हैं। वह यह भूल गये हैं कि सुरेन्द्र गोयल ने अपने जिस व्यवहार से ग़ाज़ियाबाद की जनता के दिलों पर राज किया था,सुशांत गोयल में उसका लेसमात्र भी अंश नही है। सुशांत न अपने पिता की तरह पार्टी को समर्पित नेता हैं और न जनता को समर्पित व्यक्ति। उन्हें न कभी पार्टी के किसी आंदोलन में देखा गया और न वह किसी जन आंदोलन का हिस्सा बने। वर्तमान में उनकी स्थिति ऐसी अपाहिज औलाद की तरह है जो आईना पीछे रखकर पिता की छवि को बैसाखी बना कर आगे बढ़ने की कोशिश में लगा है।
अचरज की बात यह है कि योग्य उम्मीदवारों की सूची होने के बाद भी देश की सबसे अनुभवी पार्टी कांग्रेस ने ऐसे व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया,जिसका न कोई राजनीतिक वजूद है और न ही पिता का नाम हटने के बाद समाज में उसकी अपनी कोई पहचान है।
कांग्रेस के दावेदारों की बात करें तो वीर सिंह चौधरी एवं मोहम्मद ज़ाकिर अली सैफ़ी ऐसे नाम थे, जो सुशांत गोयल से कहीं बेहतर तरीके से चुनाव लड़ सकते थे। मोहम्मद ज़ाकिर अली सैफ़ी की बात करें तो मोहम्मद ज़ाकिर अली सैफ़ी चार बार पार्षद रहे हैं। वर्तमान समय में भी वह वार्ड 95 से कांग्रेस पार्षद हैं। ज़ाकिर सैफ़ी की छवि पार्टी को समर्पित नेता एवं जनता को समर्पित जनप्रतिनिधि की है। अपने कार्यकाल में ज़ाकिर सैफ़ी ने इतने विकास कार्य कराये हैं कि उन्हें विकास पुरुष के नाम से जाना जाता है। उनके कार्यों को देखते हए सिर्फ मुस्लिम ही नही,बल्कि हर समुदाय के लोग उनका सम्मान करते हैं। इसके अलावा वह पार्टी के हर कार्यक्रम एवं आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। नगर निगम में विपक्षी पार्टियों से ज़ाकिर सैफ़ी ही टक्कर लेते हुए नज़र आते हैं। सुशांत गोयल के अलावा नवीन कुमार पोले, पीएन गर्ग, वीर सिंह चौधरी एवं ज़ाकिर सैफ़ी ने भी पार्टी से टिकट की दावेदारी पेश की थी,लेकिन पार्टी ने कर्मठ,जुझारू एवं अनुभवी कार्यकर्ताओं की अनदेखी करते हुए सुरेन्द्र गोयल की सहानुभूति मिलने की आशा में अनुभवहीन सुशांत गोयल को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया। पार्टी की नीतियों पर चलते हुए सुशांत गोयल ने भी अनुभवहीन व्यक्तियों के हाथों में चुनावी मैनेजमेंट सौंप कर कोढ़ में खाज का काम कर दिया है। पूरे चुनाव में अनुभवहीन सुशांत गोयल एवं उनका अव्यवहारिक मैनेजमेंट अलग-थलग नज़र आ रहा है।
स्थिति यह बन गई है कि न पार्टी का स्थानीय संगठन चुनाव में कोई मेहनत कर रहा है और न ही जनता पर सुशांत गोयल की जज़्बाती बातों का कोई असर हो रहा है। कांग्रेस पार्टी मतदान से पहले ही विधानसभा 56 की दौड़ से बाहर हो चुकी है।

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