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ग़ाज़ियाबाद : नये नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर के जीवन की ख़ास बातें

शमशाद रज़ा अंसारी

लगभग 18 माह का जनपद ग़ाज़ियाबाद में सेवाएं देने वाले नगरायुक्त दिनेश चन्द्र का शनिवार को तबादला हो गया। उनके स्थान पर मूलरूप से हरियाणा के रोहतक जिले के निवासी महेंद्र सिंह तंवर को ग़ाज़ियाबाद का नगरायुक्त बनाया गया है।

जानिये ग़ाज़ियाबाद के नए नगरायुक्त के बारे में कुछ ख़ास बातें……

माँ के एक फैसले ने बाल विवाह से बचाकर आईएएस बनाया गाज़ियाबाद के नए नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर को

2015 बैच के आईएएस महेंद्र सिंह तंवर गाज़ियाबाद के नगर आयुक्त होंगे। तंवर मंगलवार को गाज़ियाबाद नगर निगम में पदभार संभालेंगे।  मूलतः हरियाणा के रोहतक जिले के रहने वाले महेंद्र सिंह तंवर फिलहाल शाहजहाँपुर में मुख्य विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले वे एटा में जाइंट मजिस्ट्रेट (30-09-17 से 12-02-2019) और बहराइच के असिस्टेंट कलेक्टर (04-05-16 से 29-09-2017) रह चुके हैं। एक आईएएस के रूप में उन्होंने अपनी ट्रेनिंग 3 मई 2016 को पूरी की थी।  3 जून 1988 को जन्मे महेंद्र सिंह तंवर टेक्सटाइल इंजीनियरिंग में बी टेक हैं।

माँ के एक फैसले ने बदल दी ज़िंदगी

महेंद्र सिंह तंवर अपनी कामयाबी का सारा श्रेय अपनी माँ को देते हैं।  उनका कहना है कि यदि मेरी मां बाल विवाह से न बचाती तो मैं आइएएस न होता। मेरी मां भले ही अनपढ़ थी, लेकिन परवरिश में उन्होंने इसका कभी अहसास नहीं होने दिया। सुबह चार बजे जगाकर पढ़ने के लिए बिठाना। पशुओं को चारा खिलाने के बाद खेत पर काम करना। अक्षर ज्ञान न होने के बावजूद होमवर्क देखना..। सच में दुनिया में एक मां ही वो  शख्स हैं जो बच्चों से निस्वार्थ प्यार करती, पूत को सपूत बना देती। प्यार और भगवान का दूसरा नाम है.. मां।

फौजी परिवार से आते हैं महेंद्र सिंह तंवर

हरियाण प्रांत के रोहतक जिले के काहनौर गांव निवासी आईएएस महेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि पिता उनके ओमप्रकाश सिंह तंवर फौज में थे। चाचा सुरेश पाल व चाची प्रेमवती की मृत्यु हो गई थी। मां गिन्दौड़ी देवी के ऊपर परिवार की जिम्मेदारी थी। बहन सोनिया व बबली के अलावा चचेरी बहन प्रियंका व बनिता की परवरिश में उन्होंने अपना जीवन लगा दिया। गांव के सरकारी स्कूल से कक्षा पांच में टॉप करने पर मां बहुत खुश हुई। हरियाणा में डीएम को डीसी कहा जाता है, इसलिए वह बोलती थी तू डीसी बन सकता है। पशुओं को चारा खिलाने व खेत पर काम करते देख जब मां का हाथ बंटाने पहुंच जाता तो वह कहती थी.. तू जा, काम न कर तू डीसी बनके दिखा..। मां के विश्वास व प्रोत्साहन से मैने भी कड़ी मेहनत कर शुरू कर दी।

बाल विवाह रोकने के लिए पिता से भी लड़ गई मां

आईएएस महेंद्र सिंह तंवर बताते हैं कि कक्षा छह की पढ़ाई के दौरान मेरी उम्र करीब दस साल की थी। उन दिनों हरियाणा के गांवों में शादी कम उम्र में ही हो जाया करती थी इसलिए उनके परिवार पर भी रिश्तेदार शादी का दबाव बनाने लगे। फौजी पिता भी माता जी की मदद के लिए शादी को तैयार हो गए। लेकिन मां बाल विवाह की कुरीति के सामने दीवार बनकर खड़ी हो गई। उन्होंने शादी से बचा लिया। यदि शादी हो गई होती तो मैं आइएएस न बन पाता।

आइएएस बनने पर खुशी में बांटे लड्डू

महेंद्र सिंह तंवर ने इंटर में टॉप करने के बाद टेक्सटाइल्स इंजीनियरिग में बीटेक किया। 2009 से 2011 तक प्राइवेट नौकरी की। वे तीन साल रक्षा मंत्रालय में भी रहे और उसके बाद 2015 रेलवे में इंजीनियर हो गए। तंवर ने अपनी मां का सपना पूरा करने के लिए 2015 में आइएएस की परीक्षा दी। आइएएस बनने पर मां ने खुशी में पूरे गांव में लड्डू बांटे।

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