ग़ाज़ियाबाद: हज़रत इमाम हुसैन का शबिहे ताबूत का जुलूस बरामद

गाजियाबाद: शनिवार को नगर के गौशाला फाटक में स्थित अज़ाखाना दरबारे हुसैन में आले अबुतुराब द्वारा 35 वर्ष पुराना रिवायती अलम, ज़ुल्जना और ताबूत के जुलूस का आयोजन किया गया. हजरत इमाम हुसैन और शहीदाने कर्बला की याद में मजलिस और शबेदारी का आयोजन भी किया. जिसमे नगर कि अंजुमनो के साथ साथ शहर के बाहर कि विश्व विख्यात अंजुमनो ने शिरकत की.

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मजलिस मे सोज़ ओ सलाम फहीम अब्बास और अंजुम ने पेश किया. पेशखानी मोहम्मद अब्बास, मौलाना दावर अब्बास ने की. निज़ामत वासिफ अम्रोहवी द्वारा की गई. मौलाना फरहत अब्बास मिर्ज़ा ने कहा कि हज़रत इमाम हुसैन की कुर्बानी ता कयामत याद की जाती रहेगी. कर्बला में हजरत इमाम हुसैन के परिवार वालों के साथ साथ 72 लोगों ने हक का साथ देते हुए अपनी शहादत पेश कर दुनिया को पैगाम दिया कि हमेशा सच का साथ देते हुए जुल्म और सितम के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए. आज पूरे विश्व में हजरत इमाम हुसैन और शहीदाने करबला की याद मनाई जाती है.

मौलाना फरहत अब्बास ने बताया जुलूस निकालकर दुनिया वालों को बताया जाता है, कि यह जुलूस यह मोहर्रम आतंकवाद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन है. हम कभी जुल्मों सितम करने वालों के साथ नहीं हैं. मौलाना ने आगे कहा कि यज़ीद इस दुनिया का पहला आतंकवादी था जिसने हजरत इमाम हुसैन के 6 महीने के बेटे हजरत अली असगर तक को शहीद करवा दिया था. हजरत इमाम हुसैन को आज भी याद किया जा रहा है और उनकी शहादत को हमेशा ऐसे ही याद किया जाता रहेगा. जालिम यज़ीद का दुनिया में नामोनिशान तक नहीं है.

मजलिस के बाद शबिहे ताबूत हजरत इमाम हुसैन, ज़ुल्जना और आलम हजरत अब्बास का जुलूस आले अबुतुराब के घर से बरामद किया गया. जो पुरानी रिवायत के मुताबिक फ़ैज़ी अकरम पुत्र अब्बास अकरम के मकान पर होता हुआ पूरे मोहल्ले मे गश्त करके सदाए या हुसैन के साथ अज़ाखाना दरबार ए हुसैनी मे जाकर समाप्त हुआ. जहाँ पर अंजुमन ए गुजारे हैदरी, अंजुमन ए लश्कर ए हुसैनी, अंजुमन ए इमामिया मेरठ, अंजुमन फौजे हुसैनी मेरठ, अंजुमन दुआएं ज़हरा मुजफ्फरनगर, अंजुमन सदाए हुसैनी गाजियाबाद और अंजुमन ग़ाज़ी ने नौहा खानी कर देर रात तक मातम बरपा किया.

शबबेदारी के आयोजक अले अबुतुराब ने सभी के मुस्तक़बिल के लिए दुआ करते हुए शुक्रिया अदा किया. शबेदारी के सदस्य सज्जाद आबिद , शहजाद आबिद, राहत हुसैन , शौकत हुसैन, रजा कमाल, अबरार हुसैन ,आले अबू तालिब, फ़ैज़ी अकरम तनवीर हैदर, गुफ्फार हुसैन, तरन्नुम उरूज, शबाब हैदर, कासिम अब्बास, शारिक रजा, आदिल रजा, परवेज हैदर, बब्बन अली आदि मौजूद रहे.

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