हिन्द न्यूज़ / अबसार अली
मेरठ । चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के 33वें दीक्षान्त समारोह में समारोह अध्यक्ष कुलाधिपति महामहिम राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि मेरठ क्षेत्र चीनी के उत्पादो से हम सभी के जीवन में मिठास घोलने के लिए जाना जाता है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि वह अपने कार्यों से परिजनों को प्रसन्न और राष्ट्र को सम्मानित करें तथा अपने अथक प्रयासो से भारत को पुनः विश्व गुरूत्व के स्थान पर प्रतिष्ठापित करे। उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि डिग्रियां पाना शिक्षा का अंत नहीं, विद्यार्थी हमेशा अनवरत पढने की भूमिका में रहता है। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलन कर किया गया। मा. राज्यपाल ने कस्तूरबा गांधी विद्यालय की छात्राओं को मिष्ठान व अन्य सामान वितरित किये। कुल 127961 छात्र-छात्राओं को उपाधियां वितरित की गयी जिसमें 42492 छात्र व 85496 छात्राएं है। समारोह के प्रारंभ में वंदे मातरम व समापन पर राष्ट्रगान हुआ।
कुलाधिपति मती आनंदी बेन पटेल जी ने कहा कि भारतीय संस्कति और विरासत को युगो से स्वयं में सहेज कर रखने वाली क्रांतिधरा मेरठ में ज्ञान के आलोक से आलोकित करने वाले चौ. चरण सिंह वि.वि. मेरठ के 33वें दीक्षांत समारोह में आपके समक्ष उपस्थित होकर मुझे अपार हर्षानुभूति हो रही है। भारतीय स्वातंत्रय के राष्ट्रव्यापी आंदोलन को निर्देशित करने में इस नगरी का अप्रतिम योगदान रहा है। यह स्थन ऐसा है जो चारो युगो को प्रतिनिधित्व करता है। सतयुग के रूप में भगवान परशुराम जी द्वारा प्रतिस्थापित पुरा महादेव का मंदिर लाखो श्रद्धालुओ का श्रद्धाकेन्द्र है।
कुलाधिपति विश्वविद्यालय/राज्यपाल आनंदी बेन पटेल जी ने सभी विद्यार्थियो से कहा कि वह प्रण ले कि वह जहां कहीं भी अपनी सेवा देंगे वहां पूरी ईमानदारी, निष्ठा व मनोयोग से कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि संकल्प लें कि योजना को समय से व उतनी ही लागत में पूर्ण करायेंगे। उन्होंने कहा कि आपके सत कार्य आपके व्यक्तित्व को प्रतिबिम्बित करते है। उन्होंने कहा कि युवा देश व प्रदेश के निर्माण में बढचढ कर भाग ले व बढ़चढ़ कर कार्य करे।
कुलाधिपति विश्वविद्यालय/राज्यपाल आनंदी बेन पटेल जी ने कहा कि नये भारत के निर्माण में छात्र शक्ति अग्रसर हो रही है। नारी शक्ति आगे बढ रही है। उन्होंने कहा कि आज जितने भी अवार्ड दिये गये है उसमें छात्राएं ज्यादा है। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं के बीच स्वच्छ स्पर्धा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हैलीकाप्टर उडाने में फोग व वर्षा आदि से बाधा न हो यह एक रिसर्च का विषय हो सकता है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुये बताया कि एक युवा ने अपने कुछ साथियो के साथ मिलकर अपने पिता द्वारा दिये गये सेकण्ड हैण्ड स्कूडर का माइलेज बढाया तथा अपने नगर की 22 सिटी बसो का भी माइलेज बढाया बाद में एक कंपनी बनायी तथा वाहनो का माइलेज बढाने के संबंध में एक प्रोजेक्ट बनाकर भारत सरकार को भेजा। भारत सरकार ने उस युवा व उसके दोस्तो की कंपनी को रू. 90 लाख स्वीकृत किये।
उन्होंने कहा कि मा. प्रधानमंत्री जी सरयू परियोजना का निर्माण कार्य पूर्ण कराया जिससे 30 लाख किसानो को पानी मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह योजना 40 साल पूर्व बनी थी तब इसकी लागत रू. 100 करोड़ थी अब यह परियोजना रू. 10 हजार करोड़ में पूर्ण करायी गयी है। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारो ने इस पर कार्य किया होता तो इस पर इतना व्यय नहीं होता और बची हुयी धनराशि से अनेको जनकल्याणकारी कार्य कराये जा सकते थे।
कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल जी ने कहा कि त्रेतायुग में यह नगर सृष्टि के श्रेष्ठ वास्तुविद्ध मयदानव की नगरी मयराष्ट्र के रूप में स्थापित होकर आज मेरठ के रूप में जगत विख्यात है। द्वापर में विश्व के पहले सबसे बडे युद्ध की विभिषीका को इसने अपनी परिधि में समेटा था और समकालीन 1857 का स्वातन्त्रय समर का बिगुल भी सैनिको ने सन्यासियों के नेतृत्व में यहीं से फूंका था। ज्ञान और संघर्ष की भूमि के रूप में जानी जाने वाली यह नगरी अब क्रीडा जगत से संबंधित उत्पादो की निर्माता एक प्रमुख नगरी के रूप में भी विकसित हो गयी है। यह क्षेत्र चीनी के उत्पादो से हम सभी के जीवन में मिठास घोलने के लिए जाना जाता है।
कुलाधिपति विश्वविद्यालय/राज्यपाल आनंदी बेन पटेल जी ने कहा कि यहां की आर्थिक, शैक्षिक, शारीरिक और कृषि संबंधित विशेषताओ को दृष्टिगत रखते हुये भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के सर्वप्रथम रैपिड रेल परियोजना से इस क्षेत्र को जोडा जिससे यह क्षेत्र दिल्ली से दूर रहकर भी, उससे लाभान्वित होकर अपनी योग्यता से भारत के विकास में योगदान देकर स्वयं भी विकसित हो सके। रैपिड रेल परियोजना दिल्ली की दूरी को मेरठ के अति निकट ले आएगी और वह भी बहुत कम खर्च में। मेरठ दिल्ली एक्सप्रेसवे ने भी दिल्ली की यात्रा को बहुत ही सुगम किया है। प्रधानमंत्री ने ऐसे प्रयास किये है कि दिल्ली सभी की आसान पहुंच में आ जाये।
कुलाधिपति विश्वविद्यालय/राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि इस क्षेत्र की खेल प्रतिभाओ को ध्यान में रखकर उ.प्र. सरकार ने मेजर ध्यान चन्द्र क्रीडा विश्वविद्यालय की भी स्थापना की है जिससे स्थानीय प्रतिभाओं की भूमिका राष्ट्रीय और वैश्विक हो सके। उच्च शिक्षा दूर-दराज में रहने वाले विद्यार्थियों तक भी पहुंच सके। इसके लिए प्रदेश सरकार ने सहारनपुर में मां शाकुम्भरी राज्य वि.वि. की स्थापना की है। महाभारत सर्किट के रूप में क्षेत्र की संस्कुति को विश्व के सम्मुख लाने की महती योजना पर भी सरकार कार्य कर रही है। उ.प्र. भारत के उन राज्यो में से एक है जिसने न केवल सर्वप्रथम शिक्षा नीति पर कार्यबल का गठन किया अपितु उस के अनुरूप पाठयक्रम तैयार करवाकर उसे क्रियान्वित भी कर दिया। इस कार्य में चौ. चरण सिंह वि.वि. ने अग्रणी भूमिका निभायी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने इस क्रम में बदला और आत्म गौरव के पाठयक्रम तैयार किये है। चौ. चरण सिंह वि.वि. ने भी यह कार्य पूर्ण मनोयोग से किया है।
कुलाधिपति विश्वविद्यालय/राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि कोविड-19 महामारी की त्रासदी में जिन बच्चो ने अपने माता-पिता या अर्थोंपार्जन करने वाले अभिभावको को खो दिया, उन बच्चो की वि.वि. ने न केवल फीस माफ की बल्कि उनके कपडो एवं पुस्तको आदि के लिए एक कोष भी अपने शिक्षको एवं कर्मचारियों के सहयोग से विकसित किया। सामाजिक दायित्वो की पूर्ति के लिए इस वि.वि. ने पूर्व में ही गांवो को गोद लेकर उनके सर्वागीण विकास की पहल की है। क्षय रोग मुक्त प्रदेश के संकल्प की पूर्ति में भी वि.वि. ने रोगियो को गोद लेकर उनकी हर प्रकार की देखभाल की है। वि.वि. की एक ओर अदभूत पहल को बताते हुये कहा कि गांव में जो आंगनबाडियां संचालित होती है वे अनेक प्रकार के अभावो का सामाना करती है। इस वि.वि. ने आंगनबाडियो को समाज के सहयोग से लाभान्वित किया है जिससे कि वे अपने दायित्वो की क्षतिपूर्ति और अधिक कुशलता से प्राप्त कर सके।
कुलाधिपति विश्वविद्यालय/राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने जो डिजिटल लाइब्रेरी योजना विद्यार्थियो को ई-कंटेंट पढने के लिए तैयार की थी, उसमें भी अदभूत योगदान करके प्रदेश में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने बताया कि चौ. चरण सिंह वि.वि. ने इस भूमिका को दृष्टिगत रखते हुये एक बडा पुस्तकालय जिसमें एक लाख बासठ हजार पुस्तके, 15 हजार थीसिस, 30 लाख ई-बुक के साथ-साथ विश्व की अनेक बडी पुस्तके उपलब्ध करवाने वाली परियोजनाओ के साथ स्वयं को सम्बद्ध किया हुआ है। जिससे विद्यार्थियो को इंटरनेट के माध्यम से वो सामग्री तत्काल उपलब्ध हो जाये। इसके लिए वि.वि. का पूरा परिसर वाईफाई से युक्त है और यह सुविधा प्रत्येक विद्यार्थी को प्राप्त है। पुस्तकालय का अध्ययन कक्ष 24 घंटे विद्यार्थियों के लिए खुला रहता है।
कुलाधिपति विश्वविद्यालय/राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि वि.वि. के योग के पाठयक्रम को संस्कृत विभाग के अंतर्गत प्रारंभ किया गया है। योग की उपादेयता आज लोकविदित है। प्रधानमंत्री ने न केवल स्वयं योग को अपने जीवन का अनिवार्य अंग बनाया बल्कि 22 जून को विश्वयोग दिवस की घोषणा हो, इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयत्न भी किये और उसमें सफलता भी प्राप्त की। आज वि.वि. अपनी उसी भावना के अनुरूप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को पूर्ण निष्ठा के साथ लागू करने में सतत प्रयत्नशील है।
कुलाधिपति विश्वविद्यालय/राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने पदक, उपाधि तथा विशिष्ट योग्यता प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियो से मैं यह अपेक्षा करती हूँ और आदेशित करती हूँ कि वे अपने कार्यों से परिजनों को प्रसन्न और राष्ट्र को सम्मानित करें। हम सबका यह पुनीत कर्तव्य है कि हम अपने अथक प्रयासो से भारत को पुनः विश्व गुरूत्व के स्थान पर प्रतिष्ठापित करे। इसके लिए हमारे पास संसाधनो की कमी नहीं है कमी है तो इच्छा शक्ति की। हमें अपनी उस इच्छा शक्ति को ही जागृत करके अपने राष्ट्र को विश्व में सर्वोच्च बनाना है।
विषिष्ट अतिथि मा0 उप मुख्यमंत्री एवं षिक्षा मंत्री उ.प्र. डा. दिनेष शर्मा जी ने कहा कि दीक्षांत समारोह की विद्यार्थी मनोयोग से प्रतीक्षा करता है। उन्होंने कहा कि आज जिन छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल मिले है उसमें छात्राओं की संख्या छात्रो की संख्या के मुकाबले काफी अधिक है। उन्होंने कहा कि यह सब प्रधानंमंत्री व राज्यपाल महोदया की बेटी बचाओ, बेटी पढाओ व बेटी बढाओ की सोच के तहत हुआ है। उन्होंने कहा कि बेटियां शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ रही है यह अच्छा संकेत है।
उन्होंने कहा कि डिग्रियां पाना शिक्षा का अंत नहीं है। विद्यार्थी हमेशा अनवरत पढने की भूमिका में रहता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने घोषणा पत्र में 10 वि.वि. खोलने की बात कही थी। वर्तमान सरकार के 4.5 कार्यकाल में ही 12 वि.वि. बनने का कार्य बिल्कुल अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा कि गत 4.5 वर्षों में 78 महाविद्यालय व 450 विद्यालय बनाये गये है तथा चौ. चरण सिंह वि.वि. में संस्कृत विभाग खोलने की अनुमति दी गयी व पद सर्जन किया गया।
उन्होंने बताया कि सरकार आफ कैम्पस की व्यवस्था पर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि अब विदेशो से विद्यार्थी आकर भारत में पढ रहे है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में भी उ.प्र. अग्रणी रहा है। उन्होंने कहा कि डिजिटल लाइबे्ररी खोलने का कार्य किया गया जिसमें 78 हजार से अधिक ई कंटेंट लेक्चर व वीडियो अपलोड कराये गये इस कार्य में भी चौ. चरण सिंह वि.वि. अग्रणी रहा है। उन्होंने कहा कि वि.वि. ने स्थापना के बाद से नये आयाम स्थापित किये है। रोजगारपरक पाठयक्रमो में भी वि.वि. ने बढचढकर भाग लिया।
उन्होंने बताया कि कौशल विकास व लघु उद्योगो के बीच एमओयू साईन हुआ है जो नयी चीजो को विद्यार्थियो को सीखाने व रोजगार सृजन में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि पढते-पढते विद्यार्थी को रोजगार उपलब्ध हो इसके प्रयास किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि वि.वि. में विभिन्न शोधपीठ दिये गये है जिसमें अलग-अलग शोध कराये जा रहे है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार नवाचार को बढावा दे रही है तथा स्टार्टअप योजना में रू0 01 हजार करोड के बजट का प्रावधान किया गया है। विद्यालय व महाविद्यालयो में हजारो पदो पर निष्पक्ष व पारदर्शी ढग से भर्तियां करायी गयी है।
उन्होंने कहा कि जब भी वह आये है तब वि.वि. के अध्यापको की मांग पर स्नातक व परास्नातक में शोध कार्य की अनुमति की मांग को सरकार द्वारा माना गया है। उन्होंने कहा कि अब असिस्टेन्ट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर व उसके बाद प्रोफेसर का पदनाम भी देने की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार नयी शिक्षा नीति पर आगे बढ रही है। उन्होंने कहा कि भारत की मेधा शक्ति दूसरे देशो में जाकर कौशल दिखा रही है। उन्होंने कहा कि उन्हे कुछ कार्यक्रमो में अमेरिका जाने का अवसर प्राप्त हुआ वहां विभिन्न विद्यालयों में अध्यापक व अन्य जगहो पर इंजीनियर आदि भारतीय मूल के ही है।
उप मुख्यमंत्री डा. दिनेष शर्मा ने कहा कि पश्चिमी उ.प्र. में गंगा जमुनी संस्कृति में युगयुगीन परंपरा में हर प्रकार के परिवर्तन का साक्षी, पैराणिक महत्व की नगरी मेरठ आज भी अपनी थाती को अग्रसर करने में पूर्ण मनोयोग से लगी हुयी है। इसी उर्वर धरती पर 1857 के राष्ट्रीय स्वातन्त्रय संग्राम की चिंगारी को हमने ज्वालामुखी बनते पढा और सुना है। यह क्षेत्र सदैव ही समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चला है और आज भी यह चल रहा है और इन सब में किसानो के अग्रदूत, अजातशत्रु पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह जी के नाम पर स्थापित इस वि.वि. ने अपना अप्रतिम योगदान दिया है।
उप मुख्यमंत्री डा. दिनेष शर्मा ने कहा कि मैं मूलतः शिक्षक हँ और एक शिक्षक के लिए दीक्षांत में सम्मिलित होने से अधिक महत्वपूर्ण अन्य कुछ भी नहीं हो सकता और मुझे यह देखकर और अधिक आनंद हो रहा है कि इस मंच पर कुलाधिपति सहित सभी व्यक्तित्व मूलतः शिक्षक ही है और उसी रूप में सबने अपने दायित्वो को निर्वहन किया है और आज भी कर रहे है।
उप मुख्यमंत्री डा. दिनेष शर्मा ने कहा कि भारत ने नानाविध रूपो में विश्व का मार्गदर्शन किया है। इस बात को मैगस्थनीज से लेकर वर्तमान में नोम चोमस्की, नासा के डायरेक्टर जनरल तक मुक्त कंठ से स्वीकार कर चुके है। हमारी संस्कृत भाषा के महत्व ने प्राचीन समय से लेकर कम्प्यूटर के व्यवहार तक सबको अपनी ओर आकृष्ट किया है। आटिफिशियल इंटेलिजेंस की सर्वाधिक उपयुक्त भाषा संस्कृत को ही माना गया है। क्योकि यह अधिक तर्कपूर्ण एवं गणना योग्य और वैज्ञानिक है। इसका व्याकरण सबसे सटीक है। शिक्षा नीति के अनुरूप नवीन पाठयक्रमो के निर्माण में भी हमारा प्रदेश सर्वप्रथम रहा है। अकादमिक सत्र 2021-22 से हमने स्नातक स्तर पर नवीन पाठयक्रमो को लागू कर दिया है और स्नातकोत्तर स्तर तथा आनर्स के पाठयक्रमो पर दु्रतगति से कार्य चल रहा है। हमें आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास हे कि अगले सत्र से हम उन्हें भी लागू कर देंगे।
उप मुख्यमंत्री डा. दिनेष शर्मा ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग ने मेधावी छात्रों के लिए विभिन्न प्रकार की प्रोत्साहन योजनाओ को लागू किया है। कम्प्यूटर और टेबलेट वितरण की व्यवस्था हेतु भी कार्यक्रम चल रहा है। यह वि.वि. 222 एकड के विशाल क्षेत्र में अवस्थित है। लगभग 90 पाठयक्रमो के संचालन के दायित्व का निर्वहन तत्परता से कर रहा है। सौर उर्जा के क्षेत्र में यह प्रदेश का प्रथम वि.वि. है, कूडा करकट निस्तारण संयंत्र की स्थापना, रेन वाटर हार्वेस्टिंग की इकाइयो में बढोत्तरी, घरेलू गैस की पाइप लाइन की पहल, प्लास्टिक मुक्त परिसर तथा गंाव को गोद लेकर उनके स्वाभिमान विकाास की पहल आदि। कोविड 19 महामारी के दौरान भी इस वि.वि. ने पने सामाजिक दायित्वो की पूर्ति में कोई कमी नहीं छोडी है।
उप मुख्यमंत्री डा. दिनेष शर्मा ने कहा कि मैं आज इस दीक्षांत समारोह के पावन अवसर पर आप सबको अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ और यह आशा करता हूँ कि आपके अंदर का विद्यार्थी सदैव सीखने के लिए तत्पर रहेगा क्योकि सीखना कभी भी बंद नहीं होता, यह तो जीवनपर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है।
मुख्य अतिथि निदेशक एवं मुख्य अधिशासक, औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान नई दिल्ली प्रो. नागेश कुमार ने कहा कि वह इस वि.वि. के छात्र रहे है और वर्ष 1981 में इसी हाल में स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। उन्होंने कहा कि यह दीक्षांत समारोह भारत की आजादी के 75वें वर्ष में मनाये जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव में मनाया जा रहा है इसलिए इसका महत्व और भी बढ जाता है। उन्होंने कहा कि विदेशों में भारत के प्रति लोगो की सोच बदली है और भारत की पहचान बढी है। उन्होंने कहा कि उन्होंने नीदरलैण्ड में भी कार्य किया है।
उन्होंने कहा कि भारत के बारे में पहले नकारात्मक खबरे ही आती थी तथा भारत की छवि एक गरीब मुल्क की थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने बैंकांक में कार्य के दौरान न्यूयार्क, अमेरिका का कई बार दौरा किया। उन्होंने कहा कि भारत की छवि बदली है तथा भारत को आईटी का देश माना जाता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक कंपनियो जैसे गूगल, टवीटर, एडोब आदि के कई मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) भारतीय मूल के है। उन्होंने कहा कि भारत का वित्तीय समावेश बढा है। उन्होंने भारत में प्रधानमंत्री जनधन योजना में 40 करोड खाते खुले है। उन्होंने सभी युवाओ से कहा कि वह भारत की उपलब्धियों पर गर्व करें तथा भारत के नवनिर्माण में सहायक बने। उन्होंने कहा कि भारत की पहचान शिक्षा के कारण बढ रही है अब भारत गरीब देश की छवि से निकलकर आईटी देश के रूप में जाना जाता है।
मुख्य अतिथि प्रो. नागेश कुमार ने कहा कि भारतवर्ष की पुरातन धरोहरो को अपने आंचल में सहेजे हुये ओर जिससे मेरा भी बाल्यकाल से संबंध रहा है, ऐसी बहुविख्यात मेरठ नगरी में स्थित सामाजिक परिवर्तनकर्ता भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह जी के नाम पर स्थापित इस वि.वि. के 33वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है। प्राचीन काल से ही इस क्षेत्र ने राष्ट्र की सुरक्षा और समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है और आज भी यह क्षेत्र उसी के अनुरूप कार्य करने में सतत गतिशील है। इस क्षेत्र की समृद्धि इसकी परिचायक है।
मुख्य अतिथि प्रो. नागेश कुमार ने कहा कि संस्कृत वांग्यम में स्नातक का अर्थ होता है ज्ञान गंगा में अवगाहन करके निवृत्त हुआ विद्यार्थी। जिनको स्नातक की उपाधियो से अलंकृत किया जा रहा हे वे सभी ज्ञान गंगा में अवगाहन करके पवित्रमना हो चुके है और यह राष्ट्र उनसे वैसी अपेक्षा भी करता है। जो विद्यार्थी परास्नातक की उपाधियां अर्जित कर रहे है वे और भी अधिक दायित्ववान हो जाते है क्योकि जब स्नान के बाद व्यक्ति नानाविध अलंकारो से विभूषित हो जाता है तो उसकी भूमिका दोहरी हो जाती है। एक तो वह स्वयं का ध्यान रखता है दूसरा अपने अलंकारो का। जैसे ही यह वि.वि. 1965 में स्थापित हुआ वैसे ही शिक्षा के स्तर में वृद्धि हुयी और नौकरियों में सहभागिता भी बढ गयी।
मुख्य अतिथि प्रो. नागेश कुमार ने कहा कि हम सभी को ज्ञात है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया है और इस वि.वि. ने भी अपनी भूमिका उसी के अनुरूप सुनिश्चित की है। इस शिक्षा नीति ने शिक्षक, शिक्षार्थी, अभिभावक, उद्योग और वि.वि. में जहां एक ओर अंतसंबंधो को स्थापित किया है वहीं दूसरी ओर इनकी स्वायतता और लचीलेपन को भी सुरक्षित रखते हुये इन्हें कार्य करने का स्वातंत्रय प्रदान किया है।
मुख्य अतिथि प्रो. नागेश कुमार ने कहा कि मेरे लिए इस वि.वि. का वातावरण बहुत ही मनमोहक है। यह वि.वि. किस प्रकार के क्षेत्र में अपने सीमित संसाधनो से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है यह सब मेरे लिए प्रेरक भी है और आश्चर्यजनक भी। मुझे यहां आकर बहुत अच्छा लगा है।
कुलपति प्रो. एन. के. तनेजा ने वि.वि. की प्रगति आख्या रखी। उन्होंने अतिथियो का जीवन परिचय बताया। उन्होंने कहा कि गत 09 मार्च 2021 को 32वां दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ तथा 09 माह बाद ही वि.वि. का 33वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया जा रहा है। इसके लिए उन्होंने कुलाधिपति राज्यपाल का आभार व्यक्त किया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन. के. तनेजा ने बताया कि विश्वविद्यालय 222 एकड़ भूक्षेत्र में विकसित है। विश्वविद्यालय में नवाचारी कार्यक्रमों के अन्तर्गत रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कार्यरत है। विश्वविद्यालय प्रदेष का पहला ऐसा संस्थान है जो कि सौर ऊर्जा से विद्युत का उत्पादन करता है। उन्होंने कुलाधिपति/राज्यपाल व मुख्य अतिथि के जीवन वृत्त पर भी प्रकाष ड़ाला।
कुलपति प्रो. एन. के. तनेजा ने बताया कि वर्ष 2021 का कुलाधिपति स्वर्ण पदक इंटीग्रेटेड एमटेक बायो टेक्नोलोजी एंड बायो केमिकल इंजीनियरिंग की महक सरन व डा0 शंकर दयाल शर्मा स्वर्ण पदक एमएससी एजी0 प्लांट पैथोलोजी की सीमा देबबर्मा को दिया गया। किसान ट्रस्ट नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित पुरस्कारों में चौ. चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार में बी.एस.सी. कृषि में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली तृप्ति गोयल को 8000 रूपये पुरस्कार प्रषस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह तथा बी.एस.सी. कृषि में द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले सिद्धांत तोमर को 6000 रूपये पुरस्कार प्रषस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान किए गये।
उन्होंने बताया कि वि.वि. में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले 15 छात्र-छात्राओं को प्रायोजित स्वर्ण पदक एवं प्रमाण पत्र दिये गये जिनमें अतुल महाहेश्वरी स्वर्ण पदक आयुषी अग्रवाल को, मुरारी लाल माहेश्वरी मेमोरियल स्वर्ण पदक प्रीति शर्मा को दिया गया। वि.वि. परिसर में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले 26 छात्र-छात्राओं को प्रायोजित स्वर्ण पदक एवं प्रमाण पत्र दिये गये जिसमें एमए (संस्कृत) में कु. वैशाली को, एमए (हिन्दी) में हरजीत सिंह को, एमएससी (रसायन विज्ञान) में पूर्णा त्यागी को तथा एमएससी (गणित) में नीलम रावत को दिया गया। महाविद्यालयों में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वालो 09 छात्र-छात्राओं को प्रायोजित स्वर्ण पदक एवं प्रमाण पत्र दिये गये जिनमें एम.ए. (समाजशास्त्र) में मीनाक्षी रानी को तथा बीबीए में आशुतोष को दिया गया। इस इस प्रकार कुल 50 प्रायोजित स्वर्ण पदक एवं प्रमाण पत्र दिये गये।
उन्होंने बताया कि वाईस चांसलर स्वर्ण पदक व मेरिट प्रमाण पत्र में वर्ष 2021 में 154 छात्र-छात्राओं को दिया गया। वि.वि. कैम्पस के 22 छात्र-छात्राओं को मेरिट सटिफिकेट 2021 भी प्रदान किया गया। डा. लता शर्मा को डी.लिट की उपाधि दी गयी। पीएचडी व एलएलडी की विभिन्न संकायों में 102 छात्र-छात्राओं को प्रदान की गयी।
रजिस्ट्रार धीरेन्द्र कुमार ने बताया कि चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुल 127961 छात्र-छात्राओं को उपाधियां वितरित की जायेगी जिसमें 42492 छात्र व 85496 छात्राएं है। जिसमें छात्र 33.21 प्रतिशत व छात्राएं 66.79 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि 01 कुलाधिपति स्वर्ण पदक, 50 प्रायोजित स्वर्ण पदक एवं 02 चौ. चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार, 153 कुलपति स्वर्ण पदक दिये गये। उन्होंने बताया कि कुल 206 छात्र-छात्राओं को पदक/पुरस्कार प्रदान किये गये।
इससे पूर्व कुलाधिपति राज्यपाल महोदया के वि.वि. के हैलीपेड में आगमन पर आयुक्त, जिलाधिकारी व कुलपति वि.वि. ने उनका स्वागत बुके देकर किया।
इस अवसर पर कुलसचिव धीरेन्द्र कुमार, प्रति कुलपति वाई. विमला, मंडलायुक्त सुरेन्द्र सिंह, जिलाधिकारी के. बालाजी सहित अन्य अधिकारीगण, गणमान्य लोग व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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