लखनऊ (यूपी) : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा केवल अपने राजनीतिक विस्तार और सत्ता पर एकाधिकार को ही विकास मानती है। यही कारण है कि प्रदेश में विकास कार्य अवरूद्ध हैं और समाजवादी सरकार ने जनहित की जो योजनाएं लागू की थी उन्हें बढ़ाने के बजाय धीरे-धीरे खत्म करने की साजिशें हो रही है। युवाओं के प्रति तो उसका रवैया शुरू से ही संवेदनाशून्य रहा है। भाजपा की गलत नीतियों के चलते उत्तर प्रदेश पिछड़ता ही जा रहा है। कानून व्यवस्था और कारोबार दोनों चौपट हैं। परेशान हाल नौजवान आत्महत्या कर रहे हैं।

अजीब बात है कि डबल इंजन सरकार होते हुए भी उत्तर प्रदेश में मेट्रो की गाड़ी टस से मस नहीं हुई। समाजवादी सरकार ने इसकी शुरूआत लखनऊ से की थी। आज भी यह यहीं तक सीमित रह गई है। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के क्षेत्रों की जनता आज तक मेट्रो के दर्शन नहीं कर सकी। समाजवादी सरकार ने महिलाओं से सम्बन्धित अपराध नियंत्रण के लिए 1090 वूमेन पावर लाइन सेवा शुरू की थी। इसे खत्म करने की साजिशें हो रही है। समाजवादी सरकार ने महिला सशक्तीकरण के लिए जनकल्याण की 181 महिला हेल्पलाइन सेवा शुरू की थी भाजपा सरकार इसको भी समाप्त कर रही है। इससे जुड़ी कर्मचारियों को साल भर से वेतन नहीं दिया जा रहा है। उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया जा रहा है।

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भाजपा सरकार अब युवाओं के विरोध में आ गई है। समूह ख व ग की भर्ती प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है जिससे सरकारी नौकरियों में भी ठेका प्रथा लागू हो जाएगी। परीक्षा से आए समूह ख व ग के कर्मचारियों को पहले 5 साल तक संविदा पर रखा जाएगा। पांच वर्ष की कठिन संविदा प्रक्रिया में छंटनी से वे जब बच पाएंगे तभी पक्की नौकरी मिल पाएगी। अभी तक भर्ती के लिए चयनित कर्मी को एक या दो वर्ष के प्रोबेशन पर नियुक्ति मिलती है और उसे नियमित कर्मी की तरह वेतन व अन्य लाभ प्राप्त होते रहे हैं।

राज्य सरकार के नए नियम लागू होने पर चयनित कर्मी को नियमित सरकारी सेवकों को अनुमन्य लाभ नहीं मिलेंगे। उस पर सरकारी सेवक अनुशासन एवं अपील नियमावली 1999 भी लागू नहीं होगी। यानी इन संविदा कर्मियों का कोई अधिकार और भविष्य नहीं होगा। सरकार जब चाहे उन्हें बाहर निकाल सकेगी। संविदा कर्मी को कार्य अवधि में पूरा वेतनमान भी नहीं मिलने वाला है।

भाजपा सरकार का इरादा है कि आगे से सुरक्षित नौकरी किसी को नहीं मिले। कर्मचारी को संविदा काल में पदनाम के पहले सहायक पदनाम से नियुक्ति मिलेगी। उसकी दक्षता परीक्षा में 60 प्रतिशत से कम अंक आने पर सेवा समाप्त हो जाएगी। इस तरह तो संविदा काल का कर्मचारी पूरी तरह बंधुआ मजबूर बनकर रहेगा। निश्चय ही भाजपा सरकार प्रदेश के नौजवानों का भविष्य अंधेरे गर्त में ढकेलने का काम कर रही है। उसकी मंशा युवाशक्ति के पूर्ण शोषण और उसे कुंठित कर अपने स्वामिभक्त सेवक में तब्दील कर देने की है। युवा विरोधी कदम उठाकर भाजपा ने अपना असली चेहरा उजागर कर दिया है। इसका सदन से सड़क तक विरोध होना स्वाभाविक है। आक्रोशित युवा भाजपा को सन् 2022 में अवश्य सबक सिखाएंगे।

ब्यूरो रिपोर्ट, लखनऊ

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