माहे-ए-रमज़ान रहमत व बरकतों वाला महीना है: मुफ़्ती ख़ालिद क़ासमी

हापुड़। मुफ़्ती ख़ालिद क़ासमी ने कहा कि रमज़ानुल मुबारक का महीना बहुत ही बरकत व रह़मत वाला है। इस माह में मुसलमानों को बहुत नेकियां करनी चाहिएं। ये अल्लाह तआला की खास इनायतों वाला महीना हैं। पवित्र रमज़ान माह के आते ही इ़बादत का वातावरण छाने लगता है। इस महीने की क़द्र करने वाले लोग अल्लाह तआला की ओर से नवाजे़ जाते हैं। इसी कारण इस पाक माह के आने का प्रत्येक मुसलमान को बेसब्री से इंतज़ार रहता है। ये बातें मुफ़्ती ख़ालिद क़ासमी ने सराय बशारत अली मस्जिद में असर की नमाज़ के बाद नमाजि़यों को मुखातिब करते हुए कहीं।

उन्होंने कहा कि रमजा़न माह में जन्नत के दरवाजे़ खुल जाते हैं। और जहन्नम के दरवाजे़ बंद हो जाते हैं। इस महीने के पहले दस दिन अल्लाह की रहमत के होते हैं। दूसरे दस दिन बंदों के गुनाहों को माफ किया जाता है, और तीसरे दस दिनों में जहन्नम से छुटकारा दिया जाता है। अल्लाह तआला बहुत से लोगों को जहन्नम से निकाल देते हैं। उन्होंने कहा कि पाक रमजा़न माह में अल्लाह तआला सरकस, शैतान को कैद कर लेते हैं, जिससे कि वो खु़दा के बंदों को नहीं बहका सके। इसलिए हमें इस मुकद्दस महीने का इस्तक़बाल इस तरह करना चाहिए, जिस तरह हम अपने घर आये महमान का करते हैं। ताकि हम अल्लाह की ओर से बहुत से इनाम प्राप्त कर सकें।

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मुफ़्ती ख़ालिद क़ासमी ने कहा कि बहुत से लोग 11 महीनों तक अल्लाह तआला को याद नहीं करते, नमाज़, रोजा़ और दूसरे नेक कामों की उन्हें तौफ़ीक़ नहीं होती है। ऐसे लोगों को मायूस होने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है। रमज़ान माह में अगर वो लोग भी अल्लाह को याद करें, नमाज़, रोज़ा और ज़कात आदि अदा करें और पिछले गुनाहों की तौबा करके अपनी ज़िन्दगी नए सिरे से शुरू कर सकते हैं, तो ऐसे लोगों को अल्लाह तआला उन्हें ज़रूर माफ करेगा।

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