सभी धर्म के धार्मिक क्रियाकलाप धार्मिक परिसर के अंदर होंगे या सिर्फ नमाज़?

मो. राशिद अल्वी (विधिक छात्र)
यह कैसी विविधता है? जहां एक तरफ कुछ ही दिन पहले सड़कों पर हनुमान जंयती पर धार्मिक पद यात्राएं निकाली गई और कांवड़ पर रोड जाम करके डीजों से पदयात्राएं निकाली जाती हैं, यहां तक कि कांवड़ यात्राओं पर सरकार द्वारा हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ साल में दो बार होने वाली सिर्फ 10 मिनट ईद की नमाज़ धार्मिक परिसर में ही पढ़ने का आदेश दिया जाता है।क्या यह आदेश सबके लिए है या सिर्फ मुसलमान की नमाज़ के लिए ही है? क्या बाकी सभी धर्म के धार्मिक क्रियाकलाप भी अपने अपने धार्मिक परिसरों के अंदर ही संपन्न होंगे? यदि इतने लोग आजायें धार्मिक परिसर छोटा पड़ जाये तो क्या अब उनके लिए बाहर खड़े होकर 10 या 15 मिनट में होने वाली ईद की नमाज़ पढ़ने से रोक दिया जायेगा? मुसलमान यह नहीं कहता कि जैसे कांवड़ यात्रा पर फूल बरसाए गये, ईद पर नमाज़ पढ़ रहे मुसलमानों के ऊपर भी सरकार हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए। कम से कम उन्हें अपने त्योहार, अपनी आस्था को आज़ादी के साथ तो ठीक से मनाने दो। हुकूमत तो सबके लिए होती है, सबको समान नज़रिए से देखना चाहिए। यही संविधान कहता है। अब एक समुदाय की आस्था, आस्था नहीं रही क्या?क्या यही है समानता का कांन्सेप्ट?क्या सारे नियम एक समुदाय के लिए हैं। यदि नियम बनाये जायें तो सबके लिए समान होने चाहिए। फिर सबके लिए यहीं नियम होना चाहिए रोड या सरकारी संपत्ति पर किसी भी धर्म का धार्मिक क्रियाकलाप नहीं होगा। सब अपने अपने धार्मिक परिसर में ही अपने धार्मिक क्रियाकलाप संपन्न करें।

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