सांसद दानिश अली द्वारा छात्रों की आत्महत्या पर उठाए सवालों का मंत्री ने दिया जवाब
नई दिल्ली। सांसद कुँवर दानिश अली ने अपने तारांकित प्रश्न के सन्दर्भ में लोकसभा में कहा कि मैंने पूछा था कि छात्र लगातार आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? रोहित वेमुला का बड़ा केस था, उसकी चर्चा देश भर में हुई। कई ऐसे केस होते हैं जिनकी चर्चा नहीं होती और वे अंडर द कार्पेट रह जाते हैं।
मेरे लोकसभा की सीमा पर एक विश्वविद्यालय तीर्थांकर महावीर यूनिवर्सिटी (टीएमयू) है, वहां करीब दर्जन भर छात्राओं ने आत्महत्या की है। किसी ने पांचवीं और किसी ने चौथी मंजिल से कूद कर आत्महत्या की है। कई बार ये मामले तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुंचते हैं, एक-आध केस में जाँच भी हुई है, लेकिन मैं इसमें जाना नहीं चाहता हूँ। मुझे इसका जवाब मिला है,लेकिन मंत्री जी ने केवल केंद्रीय विश्वविद्यालय का जवाब दिया है। निजी विश्वविद्यालय को आखिरकार भारत सरकार ने, इसी पार्लियामेंट ने अनुमति दी थी। ऐसा नहीं हो सकता कि सरकार केवल केंद्रीय विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी ले, निजी डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय हैं, जिनको अनुमति शिक्षा मंत्रालय ने दी है, उनको जिम्मेदारी से नहीं भागना चाहिए। मुरादाबाद में टीएमयू विश्वविद्यालय में दर्जन से ज्यादा छात्राओं ने आत्महत्या की है। क्या मंत्री जी हाउस को आश्वासन देंगे कि वह एक विशेष समिति बनाकर जांच करवाएंगे?
आगे उन्होंने कहा कि मंत्री जी ने कहा कि समिति गठित कर दी गई है। मैं पूरक प्रश्न पूछने से पहले विशिष्ट सवाल दोहराता हूँ। मैं तीन छात्राओं के नाम ले सकता हूं, नीरज भड़ाना, वैशाली चौधरी और कविता ने टीएमयू में आत्महत्या की है। क्या इसके लिए आप ने कोई कमेटी जांच के लिए भेज रहे हैं?
आगे कुँवर दानिश अली ने पूरक प्रश्न पूछा कि, क्या शिक्षा मंत्रालय संज्ञान ले रही है कि जिस तरीके से देश के विभिन्न राज्यों में एग्जाम पेपर्स लीक हो रहे हैं? खास तौर से अभी उत्तर प्रदेश में 12वीं बोर्ड का इंगलिश का पेपर लीक हुआ है। ऐसे कई राज्यों में लीक हो रहे हैं। क्या सरकार इसका संज्ञान ले रही है?
क्योंकि, यह मेरे राज्य उत्तर प्रदेश में लगातार हो रहा है। पिछले पांच सालों में 18 पेपर्स लीक हुए हैं। जिसके उत्तर से शिक्षा मंत्री ने कतराते हुए कोई उत्तर नहीं दिया।
सांसद कुँवर दानिश अली ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय से लोक सभा में तारांकित प्रश्न के माध्यम से पूछा था कि:-
(क) क्या यह सच है कि मुरादाबाद स्थित तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय (टीएमयू) सहित देश में विशेषकर विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में छात्रों द्वारा की जाने वाली आत्महत्या के मामलों में वृद्धि हुई है।
(ख) यदि हां, तो गत पाँच वर्षों एवं वर्तमान वर्ष के दौरान विशेषकर उत्तर प्रदेश सहित देश में विश्वविद्यालय/राज्य-वार कितने मामलों का पता चला है और उनके क्या कारण हैं; और
(ग) छात्रों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं को रोकने तथा परिसरों के भीतर और बाहर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं/उठाए जा रहे हैं?
जिस के उत्तर में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सूचित किया है कि इसके कार्यक्षेत्र में आने वाले केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने वर्ष 2017 से 2022 तक छात्रों की आत्महत्या के 24 मामले सूचित किए हैं। छात्रों द्वारा आत्महत्या के कारणों का रिकार्ड नहीं रखा जाता है। पिछले पांच वर्षों और चालू वर्ष के लिए उत्तर प्रदेश सहित मामलों का राज्य-वार विवरण अनुबंध के रूप में संलग्न है।
यूजीसी ने आगे सूचित किया है कि तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय (निजी विश्वविद्यालय), मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश द्वारा नवम्बर 2018 और अक्तूबर 2021 में छात्र आत्महत्या के दो मामलों के बारे में सूचना दी गई है। उक्त विश्वविद्यालय राज्य निजी विश्वविद्यालय है।
भारत सरकार और यूजीसी ने छात्रों के उत्पीड़न और भेदभाव की घटनाओं को रोकने के लिए अनेक पहल की हैं। छात्रों के हितों की रक्षा के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (छात्रों की शिकायतों का निवारण) विनियम, 2019 तैयार किए गए हैं। यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की आशंका को रोकने के लिए यूजीसी विनियम, 2009 भी अधिसूचित किए हैं और इसके कठोर अनुपालन के लिए परिपत्र जारी किए हैं।
इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने शैक्षणिक तनाव को कम करने हेतु छात्रों के लिए पीयर असिस्टेड लर्निंग, क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा की शुरूआत जैसे कई कदम उठाए हैं। मनोदर्पण नामक भारत सरकार की पहल के अंतर्गत कोविड महामारी के दौरान और उसके बाद छात्रों, शिक्षकों और परिवारों के मानसिक और भावनात्मक कल्याण हेतु उन्हें मनोवैज्ञानिक सहयोग प्रदान करने के लिए कार्यकलापों की विस्तृत श्रृंखला को शामिल किया गया है। इसके अलावा, छात्रों के समग्र व्यक्तित्व विकास और तनावग्रस्त छात्रों के लिए छात्र काउंसलरों की नियुक्ति और प्रसन्नता और स्वास्थ्य संबंधी कार्यशालाएं/सेमिनार, नियमित योग सत्र, अभिप्रेरण कार्यक्रम और खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों सहित पाठ्येत्तर गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। इसके अलावा, छात्रों, वार्डन और केयरटेकर को छात्रों में तनाव के लक्षणों को नोटिस करने के प्रति संवेदनशील बनाया जाता है ताकि ऐसे छात्रों को समय पर चिकित्सीय परामर्श प्रदान किया जा सके।