नई दिल्ली : डॉ. कफ़ील ने मथुरा की जेल से बाहर निकलते ही कहा कि एक वक़्त ऐसा भी आया जब जेल में उन्हें 5 दिन तक बिना खाना और बिना पानी दिए रखा गया, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डॉ. कफील को रिहा करने का आदेश दिया था, कोर्ट ने कहा कि एनएसए के तहत डॉ. कफील की गिरफ़्तारी ग़ैर-क़ानूनी है और उन्हें रिहा किया जाए, डॉ. कफ़ील की जेल से रिहाई को लेकर सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक लगातार आवाज़ बुलंद की जा रही थी.
मथुरा जेल के बाहर पत्रकारों से बातचीत में डॉ. कफ़ील ने कहा, ‘मैं उन 138 करोड़ भारतीयों को धन्यवाद कहूंगा, जिन्होंने इस संघर्ष में मेरा साथ दिया है, मैं न्यायपालिका का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने अच्छा ऑर्डर दिया, जिसमें उन्होंने लिखा है कि योगी सरकार ने एक झूठा, बिना आधार के और बिना बात के एक केस बनाया और मुझे 8 महीने तक इस जेल में रखा,’ उन्होंने कहा, ‘मैं यूपी एसटीएफ़ को भी धन्यवाद दूंगा जिन्होंने मुझे मुंबई से मथुरा लाते वक्त एनकाउंटर में मारा नहीं,’ डॉ. कफ़ील ख़ान ने कहा कि बाढ़ के बाद महामारी आती है और हम ये कोशिश करेंगे कि हम कैंप लगाकर लोगों की सेवा करें.
डॉ. कफ़ील ने सीएम योगी को संदेश देते हुए कहा, ‘मैंने कृष्णा की नगरी में रामायण देखी जिसमें महर्षि वाल्मीकि ने राम चंद्र जी को यह उपदेश दिया कि राजा को राजधर्म निभाना चाहिए, राजहठ नहीं करना चाहिए लेकिन यहां पर राजहठ नहीं बालहठ किया जा रहा है,’ ख़बरों के मुताबिक़, इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के घंटों बाद तक भी मथुरा जेल के अधिकारियों ने डॉक्टर कफील को जेल से रिहा नहीं किया था, उनके परिवार ने कहा था कि वे इसे लेकर अवमानना याचिका दायर करेंगे और इसके बाद उन्हें मंगलवार देर रात को रिहा कर दिया गया, डॉ. कफ़ील को अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय में सीएए के ख़िलाफ़ छात्रों के एक मजमे में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में इसी साल फरवरी में मुंबई से गिरफ्तार कर एनएसए के तहत जेल में बंद कर दिया गया था.
क़रीब एक पखवाड़े पहले ही एनएसए के तहत उनकी जेल की अवधि फिर से बढ़ा दी गई थी, लंबे समय से योगी सरकार के इस फ़ैसले को चुनौती दी जा रही थी, सामाजिक कार्यकर्ता भी कफील ख़ान को जेल में बंद करने के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे थे और यूपी कांग्रेस ने भी इसे लेकर सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया था, बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत होने पर डॉ. कफ़ील वहां बाढ़ प्रभावित इलाकों में बच्चों का इलाज करने पहुंचे थे.
डॉ. कफील का नाम तब चर्चा में आया था जब 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 60 बच्चों की मौत हो गई थी, उत्तर प्रदेश सरकार ने लापरवाही बरतने, भ्रष्टाचार में शामिल होने सहित कई आरोप लगाकर डॉ. कफ़ील को निलंबित कर जेल भेज दिया था, लेकिन बाद में सरकारी रिपोर्ट में ही डॉ. कफ़ील बेदाग़ निकले थे और सरकार ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी.
रिपोर्ट सोर्स, पीटीआई