विधि छात्र राशिद अल्वी का सवाल: यह कैसा इंसाफ है?
एक तरफ भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। 15 अगस्त को लाल क़िले की प्राचीर से भारत के प्रधानमंत्री महिला सशक्तिकरण, महिला सम्मान और महिला सुरक्षा की बात करते हैं। उससे कुछ ही देर बाद एक महिला के साथ क्रूरता की हदें पार कर देने वाली दर्दनाक घटना के आरोपियों को गुजरात सरकार के द्वारा रिहा कर दिया जाता है। उन अपराधियों की रिहाई पर मिठाइयां बांटी जाती हैं और मालाएं पहनाई जाती हैं। यह है आज का नया भारत। यह कैसा इंसाफ और कैसी आजादी है?क्या यही है भारत की आजादी?2002 के सुनियोजित गुजरात दंगे और उस दंगे में दिल दहला देने वाली घटना और उस घटना की शिकार बिलकिस बानो जिसकी तीन साल की बच्ची सहित चौदह लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था और छह माह की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बालात्कार किया गया था।आह!इतनी दर्दनाक घटना जिसको सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं ऐसी दर्दनाक घटना और इस दर्दनाक घटना को अंजाम देने वाले जघन्य अपराधी जिनका नाम सुनकर समाज में भय उत्पन्न हो जाये ऐसे जघन्य अपराधियों को हमारे स्वातंत्र भारत में आजाद कर दिया जाता है।सुप्रीम कोर्ट के द्वारा इतने संगीन मामले के अपराधियों की रिहाई का फैसला गुजरात सरकार के हवाले करना न्याय व्यवस्था पर सवाल है और गुजरात सरकार का उन संगीन अपराधियों को रिहा करना कानून व्यावस्था पर कलंक है। बलात्कार से पीड़ित महिला बिलकिस बानों ने अपनी और अपने परिवार के लोगों की हत्या की बहुत लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी तब जाकर कहीं उसे इंसाफ मिला और आज उसी इंसाफ का गला घोंट दिया गया।इस वाद में साक्ष्यों को मिटाने की भरपूर कौशिश की गई।शासन और प्रशासन की अपराधियों के साथ मिलीभगत होने के बावजूद बिलकिस बानो ने हिम्मत नहीं हारी और न्याय मिलने तक संघर्ष करती रही। पुलिस और डॉक्टर्स तक को साक्ष्यों के साथ खिलवाड़ करने में सजा हुई और उसे एक लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद इंसाफ मिला। लेकिन गुजरात सरकार के फैसले ने उसके इंसाफ और इंसाफ पर उसके भरोसे को तार-तार कर दिया। ऐसे जघन्य अपराधियों को आज़ाद करते समय इन दरिंदो की हैविनियत का शिकार उस पीड़िता उसके परिवार की सुरक्षा और सम्मान के बारे में एकबार भी नहीं सोंचा गया।यह सिर्फ बिलकिस बानों ही नहीं पूरी नारी शक्ति का अपमान है।ऐसे जघन्य अपराधियों को रिहा करने से समाज में एक ख़ौफनाक संदेश जाता है।ऐसे अपराधियों का मनोबल बढ़ेगा। मैं समझता हूं गुजरात सरकार को अपने फैसले पर एक बार पुनर्विचार करना चाहिएर इन अपराधियों की रिहाई को रद्द करना चाहिए। तीन तलाक़ कानून पर संसद में चीख चीखकर महिला सम्मान, महिला सुरक्षा की बात करने वाले।बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करने वाले वो माननीय सांसद, माननीय महिला सांसद, मंत्री आज कहां हैं? कहां हैं वो बुद्धीजीवी? कहां है वो समाज और कहां है महिला आयोग? आज इन अपराधियों की रिहाई पर क्यों ख़ामोशी छाई है?