नई दिल्ली: कोरोना वायरस के सामुदायिक फैलाव को रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गए 21 दिनों की देशव्यापी पाबंदियों का अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा, भारतीय उद्योग परिसंघ एक सर्वेक्षण में भारी संख्या में लोगों की नौकरियां जाने का अंदेशा जताया है, सीआईआई के करीब 200 मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के बीच किए गए ऑनलाइन सर्वेक्षण ‘सीआईआई सीईओ स्नैप पोल’ के मुताबिक मांग में कमी से ज्यादातर कंपनियों की आय गिरी है, इससे नौकरियां जाने का अंदेशा है,

आय में 10% से अधिक कमीसर्वेक्षण के अनुसार, ‘चालू तिमाही (अप्रैल-जून) और पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च) के दौरान अधिकांश कंपनियों की आय में 10 प्रतिशत से अधिक कमी आने की आशंका है और इससे उनका लाभ दोनों तिमाहियों में पांच प्रतिशत से अधिक गिर सकता है,’ सीआईआई ने कहा, ‘घरेलू कंपनियों की आय और लाभ दोनों में इस तेज गिरावट का असर देश की आर्थिक वृद्धि दर पर भी पड़ेगा, रोजगार के स्तर पर इनसे संबंधित क्षेत्रों में 52 प्रतिशत तक नौकरियां कम हो सकती हैं,’ सर्वेक्षण के अनुसार, लॉकडाउन खत्म होने के बाद 47 प्रतिशत कंपनियों में 15 प्रतिशत से कम नौकरियां जाने की संभावना है, वहीं 32 प्रतिशत कंपनियों में नौकरियां जाने की दर 15 से 30 प्रतिशत होगी

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रिपोर्ट का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को करीब 120 अबर डॉलर का नुकसान होगा, जो कि जीडीपी का चार फीसदी है, इनमें से 90 अरब डॉलर का नुकसान को लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने की वजह से होगा, जाहिर है कि इसका असर जीडीपी की विकास दर पर भी पड़ेगा, कोरोना वायरस महामारी को रोकने को लिए देशभर में किए गए लॉकडाउन का अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रतिकूल असर पड़ने जा रहा है, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने शुक्रवार को कहा कि उसने भारत के वृद्धि अनुमानों को घटाकर दो प्रतिशत कर दिया है, यह 30 साल का न्यूनतम स्तर होगा, पहले उसने अनुमान घटाकर 5.1 प्रतिशत किया था,

कोरोना वायरस (कोविड-19) का कहर भारत समेत पूरी दुनिया में जारी है, भारत में अबतक कोरोना के कुल 3374 मामले सामने आए हैं जिनमें से 212 लोग ठीक हुए हैं जबकि 77 लोगों की मौत हो चुकी है, इसके अलावा आज देशव्यापी लॉकडाउन का 12वां दिन है

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