Header advertisement

‘मोदी जी’ फ़ौज से फूल क्यों बरसवाए जा रहे हैं, क्या नौटंकी है?

डॉ. वेद प्रताप वैदिक

तालाबंदी में सरकार ने ढील दे दी है और अधर में अटके हुए मज़दूरों और छात्रों की घर-वापसी के लिए रेलें चला दी हैं, इससे लोगों को काफ़ी राहत मिलेगी लेकिन इसके साथ जुड़ी दो समस्याओं पर सरकार को अभी से रणनीति बनानी होगी, एक तो जो मज़दूर अपने गाँव पहुँचे हैं, उनमें से बहुत-से लौटना बिल्कुल भी नहीं चाहते, आज ऐसे दर्जनों मज़दूरों के बारे में अख़बार रंगे हुए हैं, उनका कहना है कि 5-6 हजार रुपये महीने के लिए अब हम अपने परिवार से बिछुड़कर नहीं रह सकते, गाँव में रहेंगे, चाहे कम कमाएँगे लेकिन मस्त रहेंगे, 

यदि यह प्रवृत्ति बड़े पैमाने पर चल पड़ी तो शहरों में चल रहे कल-कारख़ानों का क्या होगा? इसके विपरीत ये 5-7 करोड़ मज़दूर यदि अपने गाँवों से वापस काम पर लौटना चाहेंगे तो क्या होगा? वे कैसे आएँगे, कब आएँगे और क्या तब तक उनकी नौकरियाँ कायम रहेंगी? या वे कारखाने भी तब तक कायम रह पाएँगे या नहीं? गाँव पहुँचे हुए लोगों में यदि कोरोना फैल गया तो सरकार क्या करेगी? सरकार की ज़ुबान घरेलू नुस्खों और भेषज-होम (हवन-धूम्र) के बारे में अभी लड़खड़ा रही है, इसमें हमारे नेताओं का ज़्यादा दोष नहीं है, वे क्या करें? वे बेचारे अपने नौकरशाहों के इशारों पर नाचते हैं, 

नौकरशाहों की शिक्षा-दीक्षा और अनुभव अपने नेताओं से कहीं ज़्यादा है, अपने नौकरशाह अंग्रेज़ों के बनाए हुए दिमागी ग़ुलामी की साँचों में ढले हुए हैं, उन्होंने कोरोना से प्रभावित देश के ज़िलों को ‘रेड’, ‘आरेंज’ और ‘ग्रीन’ जोन में बाँटा है, उनके दिमाग़ में इनके लिए हिंदी या उर्दू या अन्य भारतीय भाषाओं के शब्द क्यों नहीं आए? देश के लगभग 100 करोड़ लोगों को इन शब्दों का अर्थ ही पता नहीं है, 

इसी प्रकार का नकलचीपन बड़े स्तरों पर भी हो रहा है, देश कोरोना के संकट में फँसा है और आप लोगों से थालियाँ और तालियाँ बजवा रहे हैं, एक तरफ़ राहत कार्यों के लिए आप लोगों से दान माँग रहे हैं और दूसरी तरफ़ फ़ौजी नौटंकियाँ में करोड़ों रुपये बर्बाद करने पर उतारू हैं, चारों फ़ौजी सेनापति पत्रकार-परिषद करेंगे, यह मुनादी टीवी चैनलों पर सुनकर मैंने सोचा कि सरकार शायद कोरोना-युद्ध में हमारी फ़ौज को भी सक्रिय करने की बड़ी घोषणा करेगी लेकिन खोदा पहाड़ तो निकली चुहिया, हमारी फ़ौज अब कश्मीर से कन्याकुमारी और कटक से भुज तक फूल बरसाएगी, उड़ानें भरेगी और विराट नौटंकी रचाएगी, कोरोना-योद्धाओं के सम्मान में, इससे बड़ा मजाक क्या हो सकता है? क्या फ़ौज का यही काम है? यह हमारे नेता इसलिए करवा रहे हैं क्योंकि बिल्कुल यही काम डोनल्ड ट्रंप अमेरिका में करवा रहे हैं

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *