नई दिल्ली/लखनऊ: यूपी में लोकतांत्रिक आंदोलनों की आवाज बने ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एसआर दारापुरी को आज योगी सरकार ने वसूली नोटिस दी है, जिसके तहत उन्हें सात दिनों के भीतर पूरी रकम चुकाने के लिए कहा गया है, सरकार के इस कदम पर स्वराज अभियान ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है, स्वराज अभियान के नेता दिनकर कपूर ने प्रेस को जारी अपने बयान में कहा कि सरकार अदालत में दारापुरी के खिलाफ एक भी सबूत पेश नहीं कर पाई और उनको जमानत मिल गयी थी, बावजूद इसके सरकार और प्रशासन ने स्वयं निर्णय लेते हुए उन्हें दोषी करार दे दिया और वसूली की नोटिस थमा दी, उन्हें सुनवाई का अवसर न देना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के भी विरुद्ध है,

उन्होंने कहा कि इस नोटिस के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में वाद दाखिल किया गया है जिसमें कल ही सरकारी वकील ने 10 दिन की मोहलत मांगी और उसके आधार पर अदालत ने जुलाई में तारीख दी है, जब मामला माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है तब सरकार द्वारा दी गई वसूली नोटिस बदले की भावना से ही प्रेरित कही जा सकती है, उन्होंने कहा कि यह लोकतांत्रिक आवाज को दबाने का कुत्सित प्रयास है,

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डॉक्टर अंबेडकर के सच्चे अनुयाई एसआर दारापुरी लंबे समय से उत्तर प्रदेश में दलितों, आदिवासियों, मज़दूरों और समाज के वंचित तबकों की आवाज को उठाते रहे हैं और उनके संवैधानिक अधिकारों के लिए कार्य करते रहे हैं, अपनी पत्नी की गम्भीर बीमारी के बावजूद उन्होंने प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की जिसमें माननीय न्यायधीश द्वारा निर्देशित करने के बाद योगी सरकार को सद्बुद्धि आयी और उसने सरकारी व निजी चिकित्सालयों में ओपीडी खोलने का आदेश दिया,

इसी तरह सोनभद्र में खनन माफियाओं और पुलिस प्रशासन गठबंधन द्वारा की गई आदिवासी रामसुंदर गोंड़ की हत्या के खिलाफ उनकी पहल के बाद ही एफआईआर दर्ज हो सकी, वह इन दिनों मुखर रहे हैं इससे बौखलाई सरकार ने उनके खिलाफ विधि के विरुद्ध और मनमर्जी पूर्ण नोटिस भेजी है, हद यह है कि इस वसूली नोटिस में व्यक्तिगत धनराशि तक तय नहीं की गई और सामूहिक संपूर्ण धनराशि दारापुरी जी को सात दिन में जमा करने के लिए कहा गया है, स्वराज अभियान के नेता ने कहा कि आईपीएफ नेता एसआर दारापुरी के उत्पीड़न को राजनीतिक सवाल बनाया जाएगा और सहमना संगठनों के साथ वार्ता कर प्रतिवाद किया जायेगा

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