रवीश कुमार
माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी,
अभ्यर्थियों के इस पत्र को सत्यापित करने का कोई ज़रिया नहीं है। आप पत्र में लिखी बातों की जाँच करा सकते हैं। यह निश्चित रूप से दुखद है कि आपके राज में 2018 में शुरू हुई OCT 49568 की प्रक्रिया अगस्त 2020 तक पूरी नहीं हुई है। पत्र से यह भी नहीं लगता कि कोई क़ानूनी अड़चन है।अत: ये भर्ती तो समय से पूरी हो सकती थी।
आप बिल्कुल न सोचें कि ये मेरे समर्थक हैं इसलिए मैं इनके लिए लिख रहा हूँ। बल्कि ज़्यादातर मुझे नहीं जानते। मेरे काम को नहीं देखते। जो जानते हैं उनमें से बहुत मुझे गाली देने वाले हैं। नौकरी की देरी ने इन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया है। इस वजह से अपमान का घूँट पीते हुए मुझे पत्र लिख रहे हैं। ग्लानि तो होती होगी कि जिसे गाली दिए उसी से कहना पड़ रहा है। यह भी न सोचें कि मेरे पत्र लिखने से प्रभावित ये नौजवान मेरे प्रति बदल जाएँगे। बिल्कुल नहीं। बल्कि 2018 की नौकरी सीरीज़ से जिन्हें नौकरी मिली थी उनके कई नौजवान बताते हैं कि मेरी वजह से नौकरी मिलने के बाद भी जब उनके साथी मुझे गाली देते हैं तो उन्हें दुख होता है। वही कहते हैं कि सर आपने नौकरी सीरीज़ क्यों की। आप बंद कर दें। मैंने बंद कर दी। अब इनके दिमाग़ में जो जातिवाद और सांप्रदायिक नफ़रत का ज़हर है वो नहीं निकलेगा। नौकरी मिलते ही दहेज की रक़म भी तय करेंगे। इसलिए ऐसी क्वालिटी के नौजवानों से मैं कोई उम्मीद नहीं रखता।
अब सर आप भी देखिएगा। जब पोस्ट के बाद मुझे गाली पड़ेगी, मेरे बारे में भद्दी तस्वीर बना कर डाली जाएँगी तो यही चुप हो जाएँगे। इसलिए नहीं की ये किसी से डरते हैं। बल्कि ये भी गाली देने वालों में से हैं। इन्हें बिल्कुल शर्म नहीं आती। हुआ यह होगा कि जब कोई रास्ता न दिखा होगा तो मेरा नंबर बँटा होगा। एक पोस्ट लिखा गया होगा। और तय हुआ होगा कि रवीश कुमार को भेजो। ऐसे कई पोस्ट अलग अलग राज्यों से आते हैं। इतना अधिक मैसेज आता है कि मुझे ब्लाक करना पड़ता है। एक दिन में पाँच सौ से हज़ार । मेरे पास सचिवालय नहीं है कि सारे मैसेज पढ़ूँ और जवाब दूँ। उँगलियों के पोर में दर्द उखड़ गया है।
आप कहेंगे कि फिर मैं क्यों लिख रहा हूँ? नियति ने मेरे लिए एक सज़ा तय की है। जो लोग मुझ पर थूकते हैं, गाली देते हैं, जान से मारने की धमकी देते हैं , मुझे उन्हीं की सेवा करनी है। इनके घरों में जो गोदी मीडिया देखा जाता है। ये वही देखते रहेंगे। इसलिए आप इन्हें अपना मान कर नौकरी दे दें। आप चाहेंगे तो हो जाएगा।
5 अगस्त को मंदिर के शिलान्यास के साथ एक भारत का उदय हुआ। नए भारत में पुराने भारत की इन लंबित भर्तियों को पूरा कर नई भर्तियाँ निकालें। आपका यश और फैलेगा।
आपने मेरा पत्र पढ़ा। शुक्रिया।
रवीश
पत्र इस प्रकार है :
इस पत्र से नहीं लगता कि इसमें कोई विवाद है। OCT 49568 भर्ती की प्रक्रिया 2018 से शुरू हुई थी। ये 2020 है।
सेवा में
विषय:- आरक्षी नागरिक पुलिस व आर्म्ड कांस्टेबुलरी के पदों पर सीधी भर्ती OCT 49568
महोदय!!
अवगत कराना हैं कि वर्ष 2018 OCT में पुलिस सिपाही के 49568 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन लिए गए थे जिसका परीक्षा 27, व 28 जनवरी 2019 को संपादित किया गया था!! उसके बाद भर्ती का अंतिम चयन परिणाम 2 मार्च 2020 को जारी किया गया था किंतु परिणाम जारी हुए लगभग 6 माह बीतने को हैं लेकिन चिकत्स्य परीक्षण(मेडिकल) को लेकर कोई सूचना अभी तक जारी नही की गई हैं बोर्ड से सवाल मांगने पर व साथ साथ इंटरव्यू संपादित करवाने के बाद भी कोई स्पष्ठ उत्तर देने के लिए तैयार नही हैं व साथ ही साथ बोर्ड COVID-19 का सहारा ले लेता हैं जबकि अब सभी शिक्षण संस्थान अपनी परीक्षा सुचारू रूप से करा रहे हैं व साथ ही साथ अन्य विभाग अपनी भर्ती के मेडिकल को भी करा रहे हैं व BEO व BED के एग्जाम के समय क्या कोरोना की बांदिसे नही थी सरकार इस दोहरे रवैये से बहार निकल व अपना मत स्पष्ठ करे ताकि जो अभ्यर्थी हैं जिनकी अर्थव्यवस्था खराब हैं वो बहार जाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर सके!! लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस प्रोनत्ति बोर्ड मेडिकल कराने को लेकर तैयार नही हैं अभ्यर्थियो की ये जानने की इच्छा हैं कि अगर बजट से सम्बंधित भर्ती में बाधा हैं तो वे अपनी बातों से क्लियर करे ताकि अभ्यर्थियो को प्रतिदिन WAIT न करना पड़े एक निश्चित संभावित दिनांक जारी करे ताकि मानशिकता का शिकार न होना पड़े अतः आपसे अनुरोध हैं कि आप बोर्ड से मेडिकल प्रक्रीया कब से सुरु कराने के लिए अपने शब्द उनके सम्मुख रखेगे ताकि हमें एक निश्चित DATE मिल सके
धन्यवाद!!!
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