शमशाद रज़ा अंसारी

जनहित मुद्दों को लेकर दमनकारी नीति अपनाने वाली भाजपा सरकार ने अपनी तानाशाही का एक और प्रदर्शन ग़ाज़ियाबाद में किया। जहाँ शिक्षा के व्यापारीकरण के विरोध एवं फीस माफी सहित कई मुद्दों पर पिछले आठ दिन से ग़ाज़ियाबाद जिला मुख्यालय पर अनिश्चतकालीन भूख हड़ताल पर बैठे अभिभावकों एवं अभिभावक संघ को बुधवार सुबह प्रशासन द्वारा कोरोना का हवाला देकर बलपूर्वक उठा दिया गया। पुलिस ने अभिभावक संघ के पदाधिकारी विवेक त्यागी, अनिल सिंह, साधना सिंह एवं अभिभावक मनोज शर्मा को हिरासत में ले लिया। उन्हें हिरासत में लेने के बाद बाक़ी लोगों को जबरन उठा कर भगा दिया तथा धरनास्थल और लगे बैनर एवं टेंट को उखाड़ दिया। हिरासत में लेने के बाद चारों का जिला अस्पताल एमएमजी में कोरोना का टेस्ट कराया गया जहाँ उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई।

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ज्ञात हो कि लॉक डाउन के बाद आर्थिक तंगी के कारण अभिभावक संघ तीन महीने की फीस माफ़ करने एवं ऑनलाइन पढ़ाई होने तक कम फीस लेने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय के सामने आठ दिन से धरना दे रहा था। जिनमें तीन महिलायें भूख हड़ताल पर थीं। हालाँकि अभिभावकों के धरने को समाप्त करवाने के लिए प्रशासन ने कई बार प्रयास किया, लेकिन हर बार वार्ता विफल रही। उसके बाद 7 सितंबर को भारतीय किसान यूनियन(टिकैत) के पदाधिकारी भी अभिभावक संघ को समर्थन देने जिला मुख्यालय पहुँच गए। किसान यूनियन ने 7 सितम्बर की सुबह धरनास्थल पर पहुँच कर प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर दोपहर एक बजे तक इस मुद्दे को नहीं सुलझाया तो हजारों की संख्या में किसान धरने पर बैठ जायेंगें। जिसके बाद जिलाधिकारी खुद धरना स्थल पर वार्ता करने आये लेकिन अभिभावकों की मांग को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बता कर चले गए।

जिसके बाद अभिभावकों ने बुधवार सुबह 11:30 बजे हापुड़ चुंगी चौराहे पर चक्का जाम का ऐलान कर दिया। जिससे घबराकर प्रशासन ने अभिभावकों को धरना स्थल से उठाने के लिए बल प्रयोग कर जबरदस्ती उठा दिया साथ ही अनशन की अगुवाई कर रहे विवेक त्यागी,अनिल सिंह, साधना सिंह एवं मनोज शर्मा को हिरासत में लेकर पहले थाना फिर जिला अस्पताल ले गयी। प्रशासन का कहना है कि क्षेत्राधिकारी द्वितीय अवनीश कुमार की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आयी है जो मंगलवार को धरना स्थल पर गए थे तथा अभिभावकों का ज्ञापन लिया था। वहीं अभिभावकों का कहना है कि हमने मंगलवार को कोई ज्ञापन दिया ही नहीं है। हालांकि इससे पहले जब जिलाधिकारी धरना स्थल पर आए थे उसमें भी क्षेत्राधिकारी की उपस्थिति बताई जा रही हैं। यदि क्षेत्राधिकारी उस समय कोरोना पॉज़िटिव हुये थे तो उस समय उपस्थित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को भी कोरोना संक्रमित होना चाहिए था।

वहीँ दूसरी तरफ जब अभिभावकों को धरनास्थल से हटाने की सूचना जब कांग्रेस नेत्री डॉली शर्मा को मिली तो वह फौरन धरनास्थल पर पँहुचीं। डॉली शर्मा ने कहा कि भाजपा दमनकारी नीति अपना रही है। समस्या का निस्तारण करने की जगह समस्या उठाने वालों की कुचल रही है। आर्थिक मंदी में जनता का साथ न देकर शिक्षा माफियाओं का साथ दे रही है। जनता आने वाले चुनावों में भाजपा को इसका मुंहतोड़ जवाब देगी।

उधर इसी दौरान कांग्रेस के कुछ नेताओं ने घन्टाघर पर चक्का जाम करने की घोषणा कर दी। जिससे प्रशासन के हाथ पाँव फूल गये। आनन-फ़ानन में एडीएम सिटी, एसपी सिटी पुलिस फ़ोर्स एवं आरआरएफ के साथ घन्टाघर पँहुचे। पुलिस के पँहुचने के थोड़ी देर बाद ही कांग्रेस नेता मनोज कौशिक एवं रवि कुमार अन्य कार्यकर्ताओं के साथ नारेबाजी करते हुये घन्टाघर पँहुचे। जहां पर पुलिस ने उन्हें जबरन हिरासत में लिए। हालाँकि थोड़ी देर हिरासत में रखने के बद उन्हें छोड़ दिया गया।

प्रदेश सरकार ने पुलिस प्रशासन के दम पर अभिभावकों के धरने को कुचल तो दिया लेकिन जनपद ग़ाज़ियाबाद के इतिहास में 9 सितम्बर का दिन काले अध्याय के रूप में लिख दिया गया। ग़ाज़ियाबाद की आने वाली पीढ़ी जब भी ग़ाज़ियाबाद का इतिहास पढ़ेगी तो उसे पता चलेगा कि प्रदेश सरकार तथा पुलिस प्रशासन ने छात्रों के भविष्य की परवाह न करते हुये किस तरह शिक्षा माफियाओं का साथ देते हुये अभिभावकों के आंदोलन को कुचला था।

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