शमशाद रज़ा अंसारी
गाजियाबाद में लगातार हो रही वारदातों के बाद ऐसा लगने लगा है कि बदमाशों के दिल से पुलिस का खौफ़ खत्म हो गया है। जनपद में चोरी,स्नैचिंग,लूट हत्या की वारदातें आम हो गई हैं। ग़ाज़ियाबाद के कप्तान कलानिधि नैथानी की स्थानांतरण नीति पूरी तरह विफल साबित हो रही है। मंगलवार को जहाँ एक तरफ पुलिस कप्तान पुलिसकर्मियों के तबादले एक्सप्रेस चलाने की तैयारी कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ बदमाश कप्तान की तबादला नीति को विफल बनाने के लिए लूट एक्सप्रेस पर चढ़ने की तैयारी कर रहे थे। कप्तान की तबादला एक्सप्रेस छूटने के कुछ देर बाद ही बदमाशों ने लूट की वारदात को अंजाम दे दिया।
थाना कविनगर क्षेत्र में दो महीने के अंदर हुई लूट की इस बड़ी वारदात के बाद पुलिस मीडिया से किनारा करती नज़र आई। यहाँ तक कि पीड़ित परिवार को भी मीडिया से दूर रखा गया। पीड़ित परिवार को लुटेरों के कहर के बाद पुलिस के कहर का भी सामना करना पड़ा। जिसने मीडिया से दूर रखने के लिए पीड़ित परिवार को “नज़रबन्द” जैसी स्थिति में रखा।
अवंतिका कॉलोनी में बी-डी 302 मकान नंबर में रहने वाले सुरेश चंद मित्तल का कविनगर में डिपार्टमेंटल स्टोर है। वे यहां अपनी पत्नी ऊषा और बेटी के साथ रहते हैं। उनकी बेटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, जो मुम्बई में नौकरी करती है। लेकिन लॉकडाउन के बाद से यहीं रह रही थी। बताया जा रहा है कि देर रात बदमाश गार्डन से होते हुए ग्रिल तोड़कर अंदर घर में घुस गए। बदमाशों की संख्या चार थी और बाकी बाहर थे। अंदर घुसे बदमाशों ने घर में मौजूद मां-बेटी और सुरेश मित्तल को बंधक बनाकर बेरहमी से पीटा।इसके बाद लाखों के आभूषण और नकदी आदि लूटकर फरार हो गए।
वारदात का पता चलते ही एसएसपी स्वयं मौके पर पँहुचे। एसएसपी ने काफ़ी देर पीड़ित परिवार से बात की। वारदात स्थल के बाहर मीडिया का जमावड़ा लग गया। लेकिन पीड़ित परिवार को मीडिया से बात करने की अनुमति नही दी गयी। थाना कविनगर क्षेत्र में इसी तरह की वारदात लगभग दो माह पहले भी हुई थी। जिसका पुलिस ने खुलासा किया था। लेकिन उस खुलासे से पीड़ित परिवार सन्तुष्ट नही था। अब लोगों ने भी उस खुलासे पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है।
लोगों का कहना है कि यदि उस वारदात का खुलासा सही किया होता तो बदमाशों की उसी तरह दूसरी वारदात करने की हिम्मत नही होती। आपको बता दें मंगलवार को इंदिरापुरम इलाके में भी किशोरी को बंधक बनाकर लूटपाट की वारदात अंजाम दी गई थी। जनता को बदमाशों से बचाने में नाकाम पुलिस अब केवल पीड़ितों को मीडिया से मिलने से रोकने के प्रयास में लगी हुई है।
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