नई दिल्ली : किसान आंदोलन मामले में सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में प्रारंभिक हलफनामा दाखिल किया है, सरकार ने SC से कहा कि प्रदर्शनकारियों की “गलत धारणा” को दूर करने की जरूरत है.
कृषि मंत्रालय ने शीर्ष अदालत को बताया कि प्रदर्शनकारियों में यह गलत धारणा है कि सरकार और संसद ने कभी भी किसी भी समिति द्वारा परामर्श प्रक्रिया का पालन करते हुए मुद्दों की जांच नहीं की है,
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि कानून जल्दबाजी में नहीं बने हैं बल्कि ये तो दो दशकों के विचार-विमर्श का परिणाम है, देश के किसान खुश हैं क्योंकि उन्हें अपनी फसलें बेचने के लिए मौजूदा विकल्प के साथ एक अतिरिक्त विकल्प भी दिया गया है.
इससे साफ है कि किसानों का कोई भी निहित अधिकार इन कानूनों के जरिए छीना नहीं जा रहा है, हलफनामे में आगे कहा गया है कि “सरकार ने किसानों के साथ किसी भी तरह की गलतफहमी को दूर करने के लिए किसानों के साथ जुड़ने की पूरी कोशिश की है और किसी भी प्रयास में कमी नहीं की है.
दिल्ली की सरहद पर पिछले 47 दिनों से जमे प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा 26 जनवरी को ट्रेक्टर रैली निकालने की मंशा को लेकर SC में सरकार ने अर्जी दाखिल की है.
SC में दाखिल अर्जी में सरकार ने कहा कि 26 जनवरी को किसानों के द्वारा ट्रैक्टर रैली न निकालने का आदेश SC जारी करे, SC मंगलवार को सरकार की इस अर्जी पर सुनवाई कर सकता है.
इससे पहले sc की तरफ से समिति गठित करने के सुझाव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया, किसान संगठनों का कहना है कि वो SC की तरफ से गठित किसी भी समिति के सामने पेश नहीं होंगे.
किसानों ने इसके पीछे सरकार की जिद और किसानों के प्रति लापरवाह रवैये को जिम्मेदार बताया है, संगठनों का कहना है कि सरकार सरकार की रुख की वजह से उन्होंने यह फैसला लिया है.
इससे पहले प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन ने सोमवार को सुनवाई के दौरान इस बात की तरफ इशारा किया कि इस मामले को लेकर SC मंगलवार को अपना फैसला सुना सकती है.
न्यायालय की वेबसाइट पर इस संबंध में सूचना भी दी गई है, कयास लगाए जा रहे हैं कि कोर्ट किसानों के मुद्दे पर अलग अलग हिस्सों में आदेश पारित कर सकती है,
इससे पहले सोमवार को SC ने किसान आंदोलन से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट को फटकार लगाई थी और कहा था कि वह सरकार सरकार के रवैये से नाखुश है.
SC ने इस दौरान सरकार से पूछा था कि वे नए कृषि कानून पर स्टे लगाएंगे या कोर्ट खुद स्टे लगा दे.
SC ने यह भी कहा कि किसान और सरकार के बीच क्या बातचीत हो रही है इसका पता हमें नहीं है, जो बातें सामने आई हैं उससे तो यही लगता है कि नया कृषि कानून जनहित में नहीं है.
इस कानून को अच्छा बताने वाली एक भी याचिका दायर नहीं हुई है, हमें ये समझ में नहीं आ रहा है कि आप लोग समाधान का हिस्सा हैं या समस्या का,