नई दिल्ली : तीनों नए कृषि कानूनों को खिलाफ किसान 50 से अधिक दिनों से दिल्ली में आंदोलन कर रहें हैं, किसान महिला दिवस मनाया जा रहा है.
इस मौके पर अलग अलग राज्यों से छात्राएं, डॉक्टर, प्रोफेसर और किसान परिवार से जुड़ी महिलाएं आंदोलन में शरीक होने के लिए पहुंची हैं.
शहीदे आजम भगत सिंह की भांजी गुरदीप कौर भी सिंघू बॉर्डर पहुंचीं, गुरदीप ने कहा हम आंदोलन में इसलिए आये हैं क्योंकि हम ये दिखाना चाहते हैं कि महिलाएं भी आंदोलन में हर तरह से कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं.
गुरदीप ने कह एससी ने जो टिप्पणी की, उससे दुख हुआ, हम ये बताना चाहते हैं कि हम शारीरिक रूप से कमजोर नही हैं, सरकार को हमारी बात माननी ही पड़ेगी, सरकार को जनता चुनती है, फिर सरकार किसके लिए काम कर रही है.
किसान महिला दिवस पर बॉलीवड अभिनेत्री गुल पनाग भी सिंघू बॉर्डर पहुंचीं, किसान महिला दिवस की खास बात ये हैं कि मंच के संचालन से लेकर, उसकी सुरक्षा में आज केवल महिलाएं ड्यूटी कर रही हैं.
यही नहीं, मंच से महिलाएं ही बोल रही हैं और और उनको सुनने वाली महिलाएं ही हैं,गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है.
अदालत ने इस मामले में गतिरोध को समाप्त करने के लिये एक समिति समिति का गठन किया था लेकिन किसान संगठनों ने इस समिति को सरकार समर्थक बताया है और साफ कहा है कि वे सरकार से तो बारबार चर्चा को तैयार हैं लेकिन समिति के समक्ष नहीं जाएगा.
किसानों का कहना है कि समिति के सदस्य पहले ही सरकार के कृषि कानूनों के पक्ष में राय दे चुके हैं, कृषि कानूनों पर प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच शुक्रवार को हुई नौवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही थी.
सरकार तीनों कानून रद्द करने के बजाय इनमें संशोधन पर जोर दे रही है जबकि किसानों का साफ कहना है कि कृषि कानूनों के रद्द होने तक वे आंदोलन जारी रखेंगे.
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