जल्द ही आयुष मंत्री के सामने रखूँगा यूनानी चिकित्सकों की माँगें: कुँवर दानिश अली

अमरोहा
नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (एन०आई०एम०ए० अमरोहा) और अखिल भारतीय यूनानी तिब्बी कांग्रेस द्वारा अमरोहा में एक समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें सांसद कुँवर दानिश अली को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया।
समारोह में सांसद कुँवर दानिश अली का नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (एन०आई०एम०ए० अमरोहा) और अखिल भारतीय यूनानी तिब्बी कांग्रेस के चिकित्सकों द्वारा पुष्पों की माला एवं शाल ओढ़ाकर भव्य स्वागत किया गया।


चिकित्सकों ने अपनी कुछ माँगों को सांसद कुँवर दानिश अली के समक्ष रखा। जिस पर सांसद कुँवर दानिश अली ने कहा कि मैं जल्द से जल्द आयुष मंत्री से मिलकर माँगों को पूरी कराने का प्रयास करूँगा।
आपको बताते चलें कि 3 अगस्त 2021 को लोक सभा के मानसून सत्र के दौरान कुँवर दानिश अली ने लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिलकर यूनानी पैथी चिकित्सकों की माँगों को उनके समक्ष रखा था। यूनानी चिकित्सकों की माँग है कि भारतीय चिकित्सा पद्धति यूनानी को बढ़ावा दिया जाये। केंद्र सरकार आयुर्वेद व होम्योपैथी की तरह ही यूनानी पैथी का भी अलग बोर्ड गठित करे। पोस्ट ग्रेजुएट यूनानी चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति दी जाये, क्योंकि पोस्ट ग्रेजुएट यूनानी चिकित्सकों को इस से अलग रखा गया है। जबकि आयुर्वेद और यूनानी का पाठ्यक्रम लगभग एक जैसा है। यूजी और पीजी में दोनों पद्धति के छात्रों को सर्जरी पढ़ाई जाती है तथा ट्रेनिंग दी जाती है। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने सहमती जताते हुए आयुष मंत्रालय से इस बाबत अग्रिम कार्यवाही करने की बात कही थी।

देश दुनिया की अहम खबरें अब सीधे आप के स्मार्टफोन पर TheHindNews Android App


यूनानी चिकित्सा पद्धति का भारत में एक लंबा और शानदार इतिहास रहा है। भारत में ये पद्धति ग्यारहवीं शताब्दी से अभ्यास में लाई जा रही है। आज भारत इसका उपयोग करने वाले अग्रणी देशों में से एक है। लेकिन यहाँ यूनानी शैक्षिक, अनुसंधान और स्वास्थ्य देखभाल करने वाले संस्थानों की भारी कमी है।
केंद्र सरकार ने आयुर्वेद व होम्योपैथी का अलग बोर्ड बनाया है लेकिन यूनानी चिकित्सा के लिए अलग बोर्ड नही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here