कैबिनेट ने डेटा प्रोटेक्शन बिल को दी मंजूरी, मानसून सत्र में किया जाएगा पेश
दिल्ली। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) विधेयक 2023 के मसौदे को मंजूरी दे दी है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, बिल को संसद के आगामी मानसून सत्र के दौरान पेश किया जाएगा। केंद्र ने सबसे पहले दिसंबर 2019 में संसद में व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2019 पेश किया था। लेकिन हितधारकों और विभिन्न एजेंसियों की प्रतिक्रिया को देखते हुए, विधेयक को अगस्त 2022 में वापस ले लिया गया। उसके बाद 18 नवंबर, 2022 को, सरकार ने एक नया मसौदा पेश किया और इस पर व्यापक एवं विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। अब इसे कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। दरअसल, देश में डिजिटल क्रांति के बीच देश के नागरिकों के डेटा सुरक्षित रखने को लेकर दबाव बढ़ रहा था। इससे जुड़े अपराधों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में जरुरी था कि ऐसा कानून बने जिससे आम लोगों का डेटा सुरक्षित हो और इसका उल्लंघन करनेवालों पर कड़ी कार्रवाई हो। यह डेटा प्रोटेक्शन बिल नागरिकों के डिजिटल अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करेगा और डेटा संबंधित फ्रॉड को नियंत्रित करेगा।
इन 6 समस्याओं को अड्रेस करता है डेटा प्रोटेक्शन बिल
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2022 के पुन: प्रस्तुत मसौदे में गैर-कंपनियों से लेकर कंपनियों तक पर छह प्रकार के दंड का प्रस्ताव किया गया है।
द मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक डेटा प्रोटेक्शन बिल कुल 6 समस्याओं/परेशानियों को अड्रेस करता है और उनको कानूनी रूप से संरक्षण देने पर बात करता है।
1- यह बिल डेटा इकॉनमी के छह सिद्धांतों पर आधारित है, जिनमें से पहला भारत के नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा के स्टोर और उपयोग के बारे में बात करता है पहले नियम के मुताबिक देश के पर्सनल डेटा का संग्रह और उपयोग लीगल मीडियम से होना चाहिए और इसके मिसयूज को कंट्रोल करते हुए उसके प्रोटेक्शन को लेकर पारदर्शिता बनाई जानी चाहिए।
2- इस बिल का दूसरा सिद्धांत डेटा संग्रह के बारे में बात करता है. इस नियम के मुताबिक किसी भी नागरिक का डेटा सुरक्षित रूप से प्रिजर्व किया जाना चाहिए।
3-डेटा प्रोटेक्शन बिल डेटा के मिनिमाइजेशन की बात करता है जिसके मुताबिक देश के किसी भी नागरिक का केवल रिलेवेंट डाटा पहले से निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही करना चाहिए।
4-चौथे नियम के मुताबिक डेटा के इस्तेमाल के लिए इस्तेमाल करने वाली इकाईयों की जवाबदेही तय की जाएगी. जिससे उसके गलत इस्तेमाल पर कार्रवाई की जा सके।
5-डेटा बिल का पांचवां नियम, डेटा ब्रीच की बात करता है. इसमें कहा गया है कि डेटा ब्रीच होने की सूरत में संबंधित इकाइयों को इसकी जानकारी सुरक्षा बोर्डों को निष्पक्ष, पारदर्शी और न्यायसंगत तरीके से दिया जाना चाहिए।
6- प्रस्तावित कानून व्यक्तिगत डेटा एकत्र करने से पहले इस डेटा को किसी भी सूरत में शेयर करने, बदल देने या नष्ट करने पर इसके लिए जिम्मेदार कानूनों पर 250 करोड़ रुपये के कठोर दंड का भी प्रावधान करता है।