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उबैद उल्लाह नासिर का लेख: मणिपुर, 2002 के गुजरात नरसंहार का रीप्ले है

उबैद उल्लाह नासिर का लेख: मणिपुर, 2002 के गुजरात नरसंहार का रीप्ले है

(उबैद उल्लाह नासिर)
सत्ता और संख्या के बल पर इस देश को नर्क बनाने का जो अभियान विगत कुछ दहाइयों से चल रहा है मणिपुर का शर्मनाक काण्ड उसी सिलसिले की कड़ी है I अगर इसे गुजरात 2002 का रीप्ले कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा I गुजरात में यही सब कुछ और भी बड़े पैमाने पर हुआ था, वहाँ मुसलमान सरकार प्रायोजित नरसंहार का शिकार हुए थे (हालांकि सुप्रीम कोर्ट गुजरात सरकार को क्लीन चिट दे चुका है )  मणिपुर में यह तांडव कूकी ईसाईयों के खिलाफ खेला जा रहा है और यहाँ भी दंगाइयों को सरकार का पूरा समर्थन हासिल है I बीजेपी यहाँ  हिन्दू मैतई बहुसंख्यकों को साध कर गुजरात की तरह मणिपुर को अपना मज़बूत किला  बनाना चाहती है, भले ही पूरे NE में जातीय दंगे हो जाएँ या देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जाए क्योंकि चीन म्यांमार आदि से मिली हुई सरहदों के कारण यह सामरिक दृष्टि से बहुत संवेदन शील क्षेत्र है I मणिपुर के मुख्य मंत्री खुद स्वीकार कर चुके हैं की दो कूकी महिलाओं को निर्वस्त्र करके सैकड़ों लोगों के साथ उनको सड़क पर घुमाने के बाद उनकी ह्त्या कोई इकलौता काण्ड नहीं है ऐसे दर्जनों काण्ड हो चुके है I उन नग्न महिलाओं के साथ चलने वाले उन बेशर्म लोगों और इस मुख्य मंत्री को क्या कहा जाये इसके लिए शब्द ढूंढें नहीं मिल रहे हैं, बेशर्म बेगैरत नामर्द यह सब बहुत  मामूली शब्द लगते हैं I गुजरात में भी बिलकीस बानो का केस अकेला नहीं था दर्जनों बिलकीस बानो हुई थीं और सबके मुजरिम आज़ाद घूम रहे हैं और सरकार उन्हें संस्कारी होने का सर्टिफिकेट भी दे रही है I गुजरात बड़ा राज्य हैं वहाँ की आबादी ज्यादा है इसलिए लगभग 2 हज़ार मुसलमान मारे गए मणिपुर छोटा राज्य है उसकी आबादी भी कम है इस लिए वहाँ अभी तक 150 -200 लोग ही मारे जा सके हैं विस्थापितों की संख्या भी दोनों जगह आबादी के अनुसार है और धर्मस्थल भी उसी अनुपात में जलाए गए है I पाठक चाहें तो मुज़फ्फरनगर 2012 को भी इसी श्रेणी में शामिल कर सकते हैं I वहां भी मार काट हत्या लूट विस्थापन घृणा  आदि का पैटर्न गुजरात जैसा ही था मगर सरकार अखिलेश यादव की थी जो पूरी तरह कंफ्यूज थी नाकारा साबित हुई I उस नरसंहार के बाद गुजरात आरएसएस का मज़बूत किला बन गया था और नरेन्द्र मोदी ने स्व बाला साहब ठाकरे से हिन्दू हृदय सम्राट का ताज छीन लिया था मुज़फ्फर नगर के दंगों ने भी बीजेपी को चुनावी फायदा पहुंचाया था I पूरी उम्मीद है की मणिपुर के दंगों से बीजेपी वहां और मज़बूत होगी यही कारण है कि देश और  दुनिया भर से आलोचना झेलने के बावजूद भी केंद्र सरकार  आरएसएस और बीजेपी का केन्द्रीय नेत्रित्व मणिपुर के शर्मनाक काण्ड पर कुछ बोलने के बजाए दुसरे राज्यों में महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों की तुलना शुरू कर देते है वह भूल जाते है कि जनरल क्राइम और हेट क्राइम में ज़मीन आसमान का फर्क होता है ह्त्या और नरसंहार को एक ही तराजू से नहीं तोला जा सकता अन्य राज्यों में जो गलत हुआ वह भी निंदनीय है लेकिन उस से  मणिपुर में जो हो रहा है वह बराबर नहीं हो सकता I मणिपुर में 150 -200 लोगों की ह्त्या हो चुकी है 50 हज़ार से ज्यादा लोग विस्थापित हो कर केम्पों में नारकीय जीवन बिता रहे है,ईसाईयों को चुन चुन के निशाना बनाया जा रहा है I वरिष्ट पत्रकार करण थापर को इंटरव्यू देते हुए एक मैतई नेता प्रमोद सिंह  ने खुले आम कूकियों को समाप्त कर देनें (Wipe out ) की बात कही है और वैसे ही आज़ाद घूम रहा है जैसे हरिद्वार की धर्म संसद में  20 लाख मुसलमानों के नरसंहार का खुलेआम एलान करने वाले काथित स्वामी और साधू आज़ाद घूम रहे हैं I गुजरात में मुसलमान निशाने पर थे मणिपुर में इसाई निशाने पर है I

नेशनल फेडरेशन ऑफ़ इंडियन विमेन का एक तीन सदस्यीय दल मणिपुर  के हालात का जायजा लेने गया था उसकी रिपोर्ट हैं कि बीजेपी सरकार की सरपरस्ती में कूकी ईसाईयों के खिलाफ बहुत दिनों से घृणा फैलाई जा रही है,उन्हें घुसपैठिया ड्रग तस्कर आदि बता के बदनाम किया जाता रहा है  I 4 मई को हिंसा फूट पड़ने से पहले ही सरकार  ने न्यू चिकोन इलाके में नाजायज़ निर्माण बता कर 4 चर्च गिरा दिए थे इसके बाद  कान्ग्पोपकी और तनगाल इलाके में वन संरक्षण अधिनियम के तहत वहां बसे सैकड़ों कूकी परिवारों को उजाड़ दिया गया यह आग सुलग ही रही थी की मणिपुर हाई कोर्ट ने बहुसंख्यक मैतई हिन्दुओं को भी  schedule ट्राइब (ST) का दर्जा देने का फैसला सुना दिया जिससे सुलग रही आग एक दम से धधक उठी हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस फैसले को स्थगित कर दिया था लेकिन तीर कमान से निकल चुका था I आरएसएस की विचारधारा लागु करने में अदालतें किस प्रकार अपना किरदार अदा कर रही हैं, हाई कोर्ट का फैसला इसी की कड़ी था I  

गुजरात और मणिपुर में बस एक अंतर ज़रूर है की तब स्व अटल जी प्रधान मंत्री  थे और  उन्होंने राज्य के मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी को राजधर्म निभाने की सलाह दी थी और दुखी मन से कहा था की इन दंगों के बाद मैं विदेशों में क्या मुंह दिखाऊंगा I आज खुद नरेन्द्र मोदी प्रधान मंत्री  हैं और उनके श्रीमुख से मणिपुर हिंसा के खिलाफ बस 36 सेकंड के लिए कुछ शब्द निकले और इस वीभत्स काण्ड को अन्य राज्यों में होने वाले महिला उत्पीडन से जोड़ कर उसकी विभत्सता कम करने के प्रयास किया गया I यह बयान भी उन्हों ने  करीब 75 दिनों के बाद दिया था I  लेकिन मणिपुर के मुख्य मंत्री को उन्हों ने अभी तक एक शब्द भी नहीं कहा I तब यह भी हुआ था की गुजरात नरसंहार के विरोध में राम विलास पासवान ने अटल जी के मंत्री मंडल से इस्तीफ़ा दे दिया था और लोक सभा में इस पर लम्बी चर्चा भी हुइ थी  अटल जी चर्चा से नहीं भागे थे I इस बार न मोदी जी के मंत्रीमंडल में न  कोई राम विलास पास्वान है और न ही मोदी में सदन  का सामना करने की क्षमता और  न ही साहस, यही कारण है कि चार पांच दिनों के हंगामो के बाद अंत में विपक्ष ने मजबूर हो कर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर के मोदी जी को सदन में आने और बयान देने के लिए मजबूर कर दिया I मोदी जी अपने जवाबी भाषण में क्या क्या बोलेंगे यह सभी जानते हैं वही तंज़, वही कटाक्ष,वही चरित्र हनन वही नेहरु को गालियाँ, वही गड़े मुर्दे उखाड़ना वही मटक चटक और  वही सब कुछ जो पिछले 9-10 वर्षों से सदन में वह करते आये है I हमें तो लगता है की वह लम्बा भाषण देंगे तो भी मणिपुर को बीच में शायद ही आने दें I

जाने अनजाने में इस देश को गृह युद्ध में तो नहीं धकेला जा रहा है ? ब्रेन वाश कर के लम्पट उजड हिंसक और धर्मांध नवजवानों की एक मिलिशिया ( निजी सेना ) बना दी गयी है जो किसी न किसी बहाने हर राज्य में ख़ास कर बीजेपी शासित राज्यों में अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों को निशाना बनाते रहते हैं और उस राज्य की पुलिस न केवल मूक दर्शक बनी रहती है बल्कि अक्सर उनकी सहयोगी भी बन जाती है I2002 के गुजरात के दंगों में यही कथित सेना हत्या लूट आगज़नी बलात्कार में आगे आगे थी पुलिस उसके पीछे थी I हरियाणा, उत्तर प्रदेश उत्तराखंड मध्य प्रदेश कर्नाटक आदि राज्यों में यही लम्पट  समय समय पर तांडव करते रहते हैं और मणिपुर में भी यही तत्व एक्टिव रहे हैं केंद्र सरकार ने मणिपुर हिंसा की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं मगर क्या सच्चाई सामने आ सकेगी ?

देश का समाजी ताना बाना बुरी तरह बिखर चुका है अन्तराष्ट्रीय बिरादरी में हमारी जबर्दस्त बदनामी हो रही है यह दुनिया की पहली सरकार और दुनिया का पहला सत्ताधारी दल है जो अपने ही लोगों के बीच घृणा और हिंसा फैला कर सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखना चाहता है I सोचिये उस  परिवार का अंजाम क्या होगा जिसका मुखिया खुद परिवार के लोगों के बीच नफरत फैलता हो।

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