मेरठ। “सभी धर्मगुरुओं की तालीमात में आपसी भाईचारे और मुहब्बत पर खास जोर दिया गया है। इन पवित्र लोगों के जीवन से भी हमें इन्सान दोस्ती और समानता का सबक मिलता है” ये विचार I.M.A. हॉल बच्चा पार्क मेरठ शहर के ऑल इण्डिया मिल्ली कौन्सिल (उत्तर प्रदेश) की भाईचारा कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता करते हुए ऑल इण्डिया मिल्ली काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हकीम मौलाना मुहम्मद अब्दुल्लाह मुगीसी ने रखे। मौलाना मुगीसी ने अपने अध्यक्षिय भाषण में अमन, भाईचारा और समानता सभी मजहबों की शिक्षा का जरुरी हिस्सा हैं। जहाँ तक मजहब इस्लाम की बात है तो इस्लाम सलामती और ईमान अमन से बना है। इस्लाम के नबी और आखरी पैगम्बर ने फरमाया कि मुसलमान वह है, जिसके हाथ और ज़बान से तमाम लोगों के जान और माल महफूज रहें, ये तमाम धर्मगुरु जो यहाँ बैठे हैं यही बताने और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए आए हैं। इन सबके दिल में यही दर्द है और उन्होने कहा कि इस्लाम के अनुसार दुनिया के तमाम इन्सान एक माँ-बाप की औलाद भाई-भाई हैं। इनमें ऊँच-नीच का कोई भेद-भाव नहीं। मौलाना मुगीसी ने हिन्दुस्तानी समाज के बारे में बताया कि मेल-मिलाप और भाईचारा इस मुल्क की मिट्टी में रचा बसा है। इस मुल्क की पहचान ही मिली जुली सामाजिकता और गंगा-जमुनी तहजीब है। हिन्दुस्तान का शहरी किसी भी मजहब इलाके, रंग, नस्ल, ज़बान, जात-पात में यकीन रखता हो, आपसी मेल-मिलाप के साथ अपने मुल्क से भी बेपनाह मुहब्बत रखता है और देशभक्ति के इसी जज्बे ने इस मुल्क के बाशिन्दों को या नागरिकों को एक लड़ी में पिरो दिया था। जिनकी आपसी प्रयास और कुर्बानियों के नतीजों में ये मुल्क आजाद हो चुका।
मिल्ली काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आस मुहम्मद गुलज़ार कासमी ने बड़े ही अफसोस के साथ कहा कि पिछले कुछ दिनों से इन्सानियत का जवाल और हिन्दुस्तानी समाज के बीच पैदा होने वाली दरार राजनीति का नतीजा है। जिसका समापन और उस खाई को पाटना हम सबकी जिम्मेदारी है।
मेजर हिमांशु और मनीष त्यागी एडवोकेट ने कहा कि मुजाहिदीन-ए-आजादी ने हिन्दुस्तान के मुस्तकबिल का जो सुनहरा सपना देखा था, वह मौजूदा माहौल में साकार होता नजर नही आता है। इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि आपसी भाईचारा, कौमी एकता और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने की भरपूर कोशिश करें। भाईचारे के बिना आजादी अधूरी और नागुकम्मल है। हमारे लिए राष्ट्रीय हित सबसे अहम होना चाहिए।
इस मौक़े पल मौलाना गुलजार क़ासमी ने कहा कि भाईचारा, कौमी एकता और समानता हिन्दुस्तानी समाज की पहचान है। विभिन्न धर्म और आस्थाओं में यकीन रखते लोग इस मुल्क में सदियों से एक साथ रहते, एक दूसरे के दुख दर्द में शरीक होते और एक दूसरे के काम आते रहे हैं। इनकी असल पहचान हिन्दुस्तानी होना है। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत के सूफी सन्त मजहबी पेशवा इन्सानियत की रुह फूँकने के लिए काम करते थे। किसी भी धार्मिक उत्सव में शरीक होते और लोगों का दुख दर्द बाँटते थे। सभी के दुख दर्द में साथ खड़े होते थे। इसी आधार पर हमारे इस देश को मुख्तलिफ फूलों से बना गुलदस्ता कहा गया।
मिल्ली काउन्सिल (उत्तर प्रदेश) की होने वाली इस भाईचारा कान्फ्रेन्स में सभी धर्म गुरुओं ने शिरकत की जिनमें संत गिरधारी महाराज, मुनीश त्यागी एडोकेट मेजर हिमांशु फादर जॉन चेमन, अख्तर डी एस पी, ताबिश फरीद, मौलाना रफीउ़द्दीन सहर कासमी, अख़्तर हसनैन ज़ैदी, मास्टर रोशन ज़मीर, मौलाना असलम, मौलाना मुनक़ाद राजपुरी, आदि के नाम शामिल हैं। कार्यक्रम का संचालन डाक्टर जहीर अहमद खान बुलंदशहरी ने किया।
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