ताक़तवर पर ज़ोर नहीं, कमज़ोर पर धौंस
बेलगाम डग्गामार, रेहड़ी-पटरी और ई-रिक्शा पर पुलिस की मार
गरीबों के लिए मुसीबत बना कमिश्नरी सिस्टम
(शमशाद रज़ा अंसारी)
ग़ाज़ियाबाद। जनपद में कमिश्नरी सिस्टम लागू हुए एक माह होने वाला है। जनपद में बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए कमिश्नरी प्रणाली लागू की गयी थी। लेकिन करीब एक माह गुज़रने के बाद भी अपराधों में कमी होने की बजाय अपराधों में बढ़ोत्तरी हुई है। जिले में लूट-चोरी की वारदातें निरंतर हो रही हैं। कमिश्नरी का असर अपराधियों पर होने की जगह गरीबों पर हो रहा है। पुलिस द्वारा की जा रही गतिविधियों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराध को खत्म करने के लिए बल्कि गरिबों का उत्पीड़न करने के लिए जनपद में कमिश्नरी सिस्टम लागू किया है। दरअसल जनपद के प्रथम पुलिस कमिश्नर बने अजय मिश्रा ने अधिकारियों के साथ यातायात के सम्बंध में मीटिंग की। जिसके बाद जनपद की आठ स्थानों को चिह्नित किया गया था। इन स्थानों को लेकर आदेश दिया गया था कि यहाँ से रेहड़ी-पटरी,दुकानों तथा ई-रिक्शा को हटाया जायेगा।
उच्चाधिकारियों का आदेश मिलने के बाद उस पर अमल करते हुए पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्यवाही करके फुटपाथ पर लगने वाली रेहड़ी-पटरी को हटाना शुरू कर दिया तथा बड़ी संख्या में ई-रिक्शा सीज कर दिए। इसका असर सीधा उन गरीबों पर पड़ा जो मेहनत-मजदूरी करके बामुश्किल अपने परिवार का पेट पाल रहे थे। इनके बेरोज़गार होने के बाद अपराधों में बढ़ोत्तरी हो जाए तो कोई अचरज की बात नहीं है। क्योंकि इंसान किसी भी स्थिति में अपने परिवार को भूख से तड़पते हुए नहीं देख सकता।
वहीं दूसरी ओर केवल गरीब तबके को निशाना बनाकर की जा रही कार्यवाही यह दर्शाती है कि पुलिस कमिश्नर ने ग़ाज़ियाबाद आने से पहले होमवर्क नहीं किया। क्योंकि जो उन्हें बैठक में दिखाया गया,उन्होंने उसी के सम्बंध में आदेश दे दिए। जबकि यातायात की ही बात करें तो जनपद में सबसे बड़ी समस्या डग्गेमार वाहनों की है। पूर्व एसएसपी पवन कुमार ने इस समस्या को समझते हुए डग्गेमार वाहनों पर पूरी तरह अंकुश लगा दिया था। लेकिन उनके जाने के बाद डग्गेमार वाहन जनपद की सड़कों पर फिर से बेलगाम दौड़ते हुए प्रतिदिन करोड़ों के राजस्व की हानि कर रहे हैं। साथ ही इन वाहनों के स्टाफ द्वारा यात्रियों से बदतमीज़ी एवम दुर्घटना होना आम बात है। बीते दिनों ही डग्गामार बस ने घूकना मोड़ पर एक बाइक सवार को कुचल दिया था।
कौशाम्बी, वैशाली तथा मोहननगर में डग्गामार बसों का जमावड़ा लगा रहता है। सूत्रों की मानें तो इन वाहनों को पूरी तरह से अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। जिस कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट आदेशों के बावजूद इन पर कभी कोई सख्त कार्यवाही नहीं होती,यदि होती भी है तो केवल खानापूर्ती होती है।
सड़क किनारे वाहन खड़े होने की बात करें तो थाना साहिबाबाद क्षेत्र में अर्थला रोड पर बड़े-बड़े भोजनालय खुले हुए हैं। इन पर आने वाले ग्राहक बाहर सड़क पर ही गाड़ी खड़ी कर देते हैं। जिससे आये दिन जाम लगा रहता है।
इन सब पर कोई कार्यवाही न होना यह दर्शाता है कि अधिकारियों द्वारा पुलिस कमिश्नर को असल समस्या से रूबरू कराने की बजाय गरीबों पर डंडा चलवाया गया है। या फिर ऐसा भी कह सकते हैं कि पुलिस कमिश्नर का ताकतवर पर ज़ोर नहीं चला तो उन्होंने भी आकर गरीबों पर ही धौंस जमाई है।
एक ओर जहाँ पुलिस गरीबों पर कार्यवाही करके अपनी पीठ थपथपा रही है तो वहीं दूसरी ओर पुलिस के सामने ही सड़कों पर सरपट दौड़ते डग्गामार वाहन कमिश्नरी सिस्टम को मुँह चिढ़ा रहे हैं। सिस्टम की मार झेल रहे हर गरीब की ज़बान पर यही सवाल है कि क्या गरीब होना ही हमारा अपराध है।