गिरीश मालवीय
2014 में जब मोदी सरकार आई थी तब मेक इन इंडिया का बहुत हल्ला मचा था लेकिन पिछले 5 सालो में इस योजना की थोथी बाते ही हुई काम कुछ नही हुआ आज एलएंडटी के चेयरमैन और नेशनल स्किल डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन के हेड एएम नाईक ने मेक इन इंडिया की असलियत लोगो को।बता दी कि सरकार की मेक इन इंडिया योजना के तहत ज्यादा नौकरियां नहीं पैदा हो पायी हैं। एलएंडटी के चेयरमैन एएम नाईक का कहना है कि अभी हम स्किल्ड लेबर की सप्लाई के साथ कदमताल नहीं कर पा रहे हैं, और इसकी वजह मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में आयी कमजोरी है।
सन 2015 में सरकार ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना लांच की थी. इस योजना के तहत 2016 से 2020 के बीच अलग-अलग सेक्टर में एक करोड़ युवाओं को ट्रेनिंग देने की बात कही गई थी. सरकार के तरफ से इस योजना के लिए 12000 करोड़ का बजट भी रखा गया था इस योजना के तहत पूरी देश मे 2500 से भी ज्यादा सेन्टर खोले गए. कई लोगों ने अपना नौकरी छोड़कर सेन्टर खोलने में पैसा लगाया.लेकिन स्किल इंडिया सेन्टर की हालत 2019 में बहुत खराब हो चुकी है आज नेशनल स्किल डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन के हेड एएम नाईक ने यह बात बिल्कुल साफ कर दी।
पीएम मोदी से तारीफें पाने वाले सांसद की मानसिकता
सुकरात ने कहा था knowledge is virtue and virtue is knowledge यानी ज्ञान ही सद्गुण है और सदगुण ही आंनद है, लेकिन देश मे एक ऐसा दल सत्ता में आ गया है जिसके सदस्यों के लिए मूर्खता ही सद्गुण है और सदगुण ही आंनद है। आज हम विशेष रूप से बात कर रहे हैं लद्दाख से भाजपा सांसद सेरिंग नामग्याल की, कश्मीर पर UNSC चर्चा पर जम्यांग त्सेरिंग नामग्याल जी का कहना है कि ‘मुझे खुशी है कि मोदी जी के नेतृत्व में लिए गए फैसले के कारण लद्दाख की चर्चा UN में हो रही है। इससे पहले जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब लद्दाख की संसद में भी चर्चा नहीं हुई थी, संयुक्त राष्ट्र को तो छोड़ ही दें”।
ये इनकी राजनीतिक समझ का नमूना है जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन बिल पारित होने के दौरान नमग्याल ने भाषण देते हुए जो लटके झटके दिखाए थे इससे वह चर्चा में आ गये थे इस भाषण की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं की खूब तारीफ भी की थी लोकसभा में उनका यह भाषण सोशल मीडिया में भी खूब वायरल भी हुआ. लेकिन देश के संजीदा मुद्दों और खासकर अपने क्षेत्र लद्दाख की समस्याओं पर उनकी कितनी गहरी समझ है यह उनके उपरोक्त बयान से समझ आ जाता है.
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)